1. दीर्घावधि सिंचाई निधि का प्रारम्भ
अपूर्ण बृहत और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के निधीयन उनके और कार्यान्वयन को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए माननीय केंद्रीय वित्तमंत्री ने अपने बज़ट भाषण 2016-17 में `20,000 करोड़ की आरंभिक समूह निधि से नाबार्ड में एक समर्पित दीर्घावधि सिंचाई निधि का सृजन करने की घोषणा की है. योजना के समग्र कार्यान्वयन हेतु जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में एक मिशन की स्थापना की गई है. दीर्घावधि सिंचाई निधि का उद्देश्य संसाधनों के अंतराल को पाट कर 2016-2020 के दौरान इन परियोजनाओं को पूरा करने में सहयोग देना है. 23 परियोजनाओं (प्राथमिकता -1) को 2016-17 तक पूरा करने के लिए, 31 परियोजनाओं (प्राथमिकता -II) को 2017-18 तक पूरा करने के लिए तथा शेष 45 परियोजनाओं (प्राथमिकता - III) को 2019-20 तक पूरा करने के लिए चिह्नित किया गया है.
2. वित्तीय आवश्यकताएं
चिह्नित परियोजनाओं के लिए 01.04.2016 की स्थिति के अनुसार त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्यूएम) कार्यों के लिए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण (जसं, नवि और गंसं) मंत्रालय द्वारा अनुमानित केंद्रीय सहायता और राज्य के हिस्से की आवश्यकताओं का विवरण निम्नानुसार हैं: -
वर्ष
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केंद्रीय सहायता
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राज्य हिस्सा
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वर्ष-वार कुल
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2016-17
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11918
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17787
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29705
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2017-18
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7930
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10644
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18574
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2018-19
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7121
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10548
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17669
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दिसंबर 2019
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4373
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7274
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11647
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परियोजना कार्यों के लिए कुल
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31342
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46253
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77595
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समवर्ती मूल्यांकन / सामाजिक लेखा परीक्षा, तृतीय पक्ष अनुप्रवर्तन और मूल्यांकन, आईईसी, आईटी और प्रोफेशनल सेवाओं, प्रशासनिक खर्च के लिए केंद्रीय सहायता का 1%
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313
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-
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313
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कुल योग
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31655
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46253
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77,908
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3. एलटीआईएफ़ समूह निधि
जसं, नवि और गंसं मंत्रालय के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार एलटीआईएफ की समूहनिधि में विभिन्न स्रोतों का मिश्रण होगा जैसे कि भारत सरकार से बजटीय आवंटन/ नाबार्ड द्वारा भारत सरकार के पूरी तरह सर्विस्ड बांडों के माध्यम से अतिरिक्त बजट संसाधन और नाबार्ड द्वारा बाजार से लिया गया ऋण शामिल होगा. भारत सरकार अतिरिक्त बजटीय संसाधनों की प्रकृति के पूरी तरह से सर्विस्ड बॉन्ड के संबंध में, भारत सरकार हर साल बांड निवेशकों को कूपन भुगतान के लिए बांड की पूरी अवधि के लिए बजट का प्रावधान करेगी.
4. पात्र उधारकर्ता इकाई
केंद्रीय शेयर के लिए, और सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत सोसाइटी के रूप में पंजीकृत, जल संसाधन मंत्रालय (एमओडब्ल्यूआर) के अंतर्गत काम कर रही राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए), भारत सरकार से एलटीआईएफ संसाधन उधार लेगी. राज्य सरकार परियोजनाओं में अपने राज्य के हिस्से को पूरा करने के लिए एलटीआईएफ के अंतर्गत नाबार्ड से सीधे ऋण ले सकती हैं अथवा अपने स्वयं के संसाधनों का उपयोग कर सकती है.
पहचान की गई 99 परियोजनाएं 18 राज्यों में हैं, अर्थात आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाणा और उत्तर प्रदेश.
5. मूल्यांकन और अनुप्रवर्तन
अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, एलटीआईएफ के तहत वित्त पोषित होने वाली सभी परियोजनाओं का मूल्यांकन फील्ड स्तर पर सीडब्ल्यूसी और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. सीडब्ल्यूसी के क्षेत्रीय कार्यालय भी छह महीनों में एक बार परियोजनाओं की भौतिक प्रगति की मॉनिटरिंग करेंगे.
6. कार्यक्रम आधार पर ऋण की मंजूरी
तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) द्वारा अनुशंसित और नीति आयोग/ भारत सरकार द्वारा निवेश स्वीकृति मंजूर होने के बाद केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा एकल परियोजनाओं के मूल्यांकन के आधार पर नाबार्ड द्वारा एनडब्ल्यूडीए और राज्य सरकारों को एलटीआईएफ ऋण मंजूर किया जाएगा. भारत सरकार द्वारा मूल अनुमोदन के आधार पर, इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन पहले से ही हो रहा है और पर्यावरण, वन आदि जैसी विभिन्न वैधानिक अपेक्षाएं/ स्वीकृतियां एनडब्ल्यूडीए/ जसं, नवि और गंसं मंत्रालय के पास उपलब्ध हैं. एमओडब्ल्यूआर/ मिशन द्वारा एनडब्ल्यूडीए और राज्य सरकार दोनों के ऋण प्रस्ताव की मंजूरी के लिए नाबार्ड को अनुशंसा की जाएगी. नाबार्ड प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए प्रस्तावों को नाबार्ड की परियोजना मंजूरी समिति (पीएससी) जो बोर्ड की उप-समिति है, को प्रस्तुत करेगा.
7. ब्याज दर और चुकौती अवधि
केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनुमोदन के अनुसार वित्त मंत्रालय नाबार्ड को 2016-17 से 2019-20 तक प्रत्येक वर्ष लागत रहित उपयुक्त राशि के लिए अनुमति देगा ताकि एलटीआईएफ के अंतर्गत उधार पर ब्याज दर 6% के आसपास बनाए रखी जा सके.
इस निधि के अंतर्गत ऋण सहायता 03 वर्षों की आस्थगन अवधि के साथ 15 वर्ष की अवधि के लिए होगी. एनडब्ल्यूडीए को दिए गए ऋण की चुकौती त्रैमासिक किश्तों में की जाएगी, जबकि राज्य सरकार को दिए गए ऋण की चुकौती वार्षिक किस्तों में की जाएगी. त्रैमासिक अंतराल पर ब्याज देय होगा. आस्थगन अवधि के दौरान भी उधार लेने वाली संस्था द्वारा ब्याज का भुगतान किया जाएगा.
8. प्रस्तावित कार्यान्वयन संरचना
इस योजना को मिशन मोड में पूरा करने का प्रस्ताव है तथा निर्णय लेने और परियोजना अनुमोदन के लिए भारत सरकार के जल मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित संरचना प्रस्तावित की गई है.
- उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति – 2000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली नई परियोजनाओं के लिए - वित्त मंत्री, मंत्री (जसं, नवि और गंसं मंत्रालय), कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष इसमें शामिल होंगे.
- परिषद् - 1000 करोड़ रुपए से अधिक और 2000 करोड़ रुपए तक की लागत वाली नई परियोजनाओं के लिए - सीईओ, नीति आयोग, सचिव (जसं, नवि और गंसं मंत्रालय), सचिव (कृषि और सहकारिता), सचिव (ग्रावि), सचिव (वित्त) और अध्यक्ष, नाबार्ड
- मिशन - 1000 करोड़ रुपए तक की नई परियोजनाओं और सभी जारी परियोजनाओं तथा 2 राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता (सीए) जारी करने के लिए - अपर सचिव / विशेष सचिव, जसं, नवि और गंसं मंत्रालय मिशन निदेशक हो सकते हैं.
9. अब तक हुई प्रगति
दिनांक 31 मार्च 2019 की स्थिति के अनुसार संचयी मंजूरी और संवितरण की राशि का त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और कमान क्षेत्र विकास तथा जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्यूएम) के लिए घटक-वार केन्द्रीय और राज्य हिस्से में स्वीकृत ऋण राशि का ब्योरा निम्नानुसार है.
(राशि ` करोड़ में) |
घटक | एआईबीपी | सीएडीडबल्यूएम | कुल |
शेयर | मंजूर | जारी | मंजूर | जारी | मंजूर | जारी |
केंद्र | 19533.47 | 8925.65 | 13537.22 | 2380.23 | 33070.69 | 11305.88 |
राज्य | 33269.81 | 16342.36 | 1669.25 | 127.17 | 34939.06 | 16469.53 |
उप जोड़ | 52803.28 | 25268.01 | 15206.47 | 2507.40 | 68009.75 | 27775.41 |
पोलावरम | 6381.54 | 5814.15 | 0.00 | 0.00 | 6381.54 | 5814.15 |
नॉर्थ कोयल रिसर्वोयर | 1378.61 | 659.17 | 0.00 | 0.00 | 1378.61 | 659.17 |
कुल योग | 60563.43 | 31741.33 | 15206.47 | 2507.40 | 75769.90 | 34248.73 |