1. आरंभ
कृषि क्षेत्र नीति विभाग (एफएसपीडी) नाबार्ड के पूर्व विकास नीति विभाग (डीपीडी) से अलग कर गठित किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के समग्र नीतिगत ढांचे के अंदर कृषि और सहबद्ध कार्यकलापों, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन इत्यादि से संबंधित उपयुक्त नीतियां तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना है.
विभाग के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में ऋण, संवर्धनात्मक और विकासात्मक सहयोगों के माध्यम से ऐसी नीतियों के कार्यान्वयन हेतु उपयुक्त परिचालनात्मक दिशानिर्देश तैयार करना शामिल है. नए विचारों, प्रौद्योगिकियों तथा मॉडलों के परीक्षण के लिए विभाग क्षेत्र विशिष्ट प्रायोगिक परियोजनाओं का परीक्षण भी करता है. प्रयोग के सफल हो जाने पर उसे अनुकृति के माध्यम से देश के अन्य क्षेत्रों/अंचलों में बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया जाता है.
2. विभाग के मुख्य कार्य
A. नीति, डिजिटाइजेशन और जोखिम प्रबंधन
- जलवायु परिवर्तन, कृषि तथा कृषि जोखिम शमन, कृषक क्लब, पर्यावरणीय, सामाजिक और महिलाओं के मुद्दों पर सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के समनुरूप नीतियां तैयार करना.
- कृषि और सहबद्ध क्षेत्र के विकास से संबंधित मौजूदा नीतियों की समीक्षा और उनमें संशोधन.
- ऋण, संवर्धनात्मक और विकासात्मक सहयोगों के माध्यम से ऐसी नीतियों के कार्यान्वयन हेतु उपयुक्त परिचालनात्मक दिशानिर्देश तैयार करना.
- जोखिम जांच करने संबंधी साधनों, जांच सूचियों, मैनुअलों, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का विकास.
- पर्यावरणीय और सामाजिक जोखिमों का मूल्यांकन करना एवं जलवायु परिवर्तन हेतु एडाप्टेशन फंड, ग्रीन क्लाइमेट फंड और राष्ट्रीय अनुकूलन निधि से संबंधित प्रस्तावों के सामाजिक लागत लाभ का विश्लेषण.
- विभिन्न कार्यक्रमों/ उत्पादों से संबंधित आंकड़ों का डिजिटाइजेशन.
- संबंधित विकास संस्थाओं के साथ सहयोग.
B. जलवायु परिवर्तन
- जलवायु परिवर्तन कार्यसूची के अंतर्गत नाबार्ड का उद्देश्य विशेषकर भारत में कृषि और ग्रामीण आजीविका के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुईं चुनौतियों का समाधान करना.
- तीन महत्वपूर्ण फंडिंग व्यवस्थाओं अर्थात् एडाप्टेशन फंड (एएफ), राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन निधि (एनएएफसीसी) तथा ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयनकर्ता एण्टिटी (एनआईई) की हैसियत से नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य है भारत में अनुकूलन और जोखिम शमन कार्यकलापों के लिए राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और निजी क्षेत्रों से प्राप्त वित्तीय सहायता का उपयोग करना.
- नाबार्ड जलवायु के अनुकूल विकास के उद्देश्य से जलवायु परिवर्तन के लिए राज्य कार्ययोजना (एसएपीसीसी) और इसके कार्यान्वयन के आधार पर परियोजना के आइडिया की पहचान करने का सुविधा प्रदान करने में भूमिका निभाता है.
- जलवायु वित्त तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय निधीयन विधि से संसाधनों तक पहुंच के बारे में राज्य सरकारों, संस्था के अपने स्टाफ तथा भागीदार संस्थाओं समेत हितधारकों का क्षमता निर्माण और उनमें जागरूकता पैदा करना.
C. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए अम्ब्रेला कार्यक्रम (यूपीएनआरएम)
- सुदृढ़ क्षमता निर्माण सहायता के साथ ऋण आधारित, सहभागितामूलक एवं समुदाय-उन्मुख प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) आधारित बिजनेस मॉडलों की व्यवहार्यता की जांच करना. परियोजनाओं की जांच ऐसे मार्गदर्शी सिद्धांतों पर आधारित है जो यह सुनिश्चित करता है कि परियोजनाएं गरीबों के अनुकूल, पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय, सामुदायिक भागीदारी युक्त, अच्छे अभिशासन वाली एवं एकीकृत तथा आवश्यकता आधारित हैं.
- एनआरएम क्षेत्र के अंतर्गत एनआरएम वित्तपोषण में अनुदान से ऋण की ओर एवं परियोजना एप्रोच से कार्यक्रम एप्रोच की ओर जाने के लिए प्रेरित करना.
- प्रधान कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों दोनों की परियोजनाओं का मूल्यांकन, मंजूरी, संवितरण, निगरानी, चूक/ एनपीए प्रबंधन तथा प्रधान कार्यालय की परियोजनाओं के मामले में चुकौती.
- केएफडब्ल्यू और जीआईजेड से ऋण और अनुदान के अंतर्गत दावों के प्रतिपूर्ति की व्यवस्था करना.
- परियोजना के आंकड़ों का रखरखाव और दावों की प्रतिपूर्ति.
- विशेष लेखापरीक्षा, परिचालनात्मक लेखापरीक्षा और सांविधिक लेखापरीक्षा करना.
D. कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) और तकनीकी परामर्श समूह
- कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII के अनुसार प्रभावी और पारदर्शी तरीके से अपने सीएसआर के आबंटनों का उपयोग करने के लिए कारपोरेट्स को अवसर प्रदान करना.
- कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु कारपोरेट्स के सीएसआर व्ययों से लाभ उठाना.
- कृषि और सहबद्ध क्षेत्रों के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करना.
3. राष्ट्रीय स्तर पर विभाग की सामान्य उपलब्धियां-
(30 सितम्बर 2016 की स्थिति)
A. जलवायु परिवर्तन
- एडाप्टेशन फंड (एएफ) के अंतर्गत 9.8 मिलियन अमेरिकी डालर के कुल परिव्यय के साथ छह परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं जिसके परिणामस्वरूप छह राज्यों में 57,802 परिवारों को लाभ पहुंचा है. इस प्रकार अंतरिम आधार पर एडाप्टेशन फंड बोर्ड द्वारा देश के लिए निर्धारित 10.00 मिलियन अमेरिकी डालर की कुल सीमा का उपयोग कर लिया गया.
- जुलाई 2015 में जीसीएफ की 10वीं बोर्ड बैठक में नाबार्ड को राष्ट्रीय कार्यान्वयनकर्ता एंटिटी (एनआईई) के रूप में मान्यता दी गई थी तथा नाबार्ड इस निधि के लिए भारत में एक मात्र राष्ट्रीय कार्यान्वयनकर्ता एंटिटी है. नाबार्ड 250 मिलियन अमेरिकी डालर से अधिक परिव्यय वाली बड़े आकार वाली परियोजनाएं प्रस्तुत करने हेतु पात्र है. जीसीएफ के अंतर्गत हरियाणा और ओडिशा राज्यों से प्राप्त दो प्रस्तावों को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है.
- एनएएफसीसी के अंतर्गत `235.19 करोड़ (35.55 मिलियन अमेरिकी डालर) की सहायता से बारह परियोजनाएं मंजूर की गईं जिससे 12 राज्यों अर्थात् पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, तमिलनाडु, केरल, मिजोरम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, पुद्दुचेरी तथा तेलंगाणा की 9.68 लाख कमजोर आबादी पुनर्वसन लाभान्वित होगी.
- नाबार्ड ने ''''निम्न कोटि की मिट्टी के पुनर्वसन'''' पर दो परियोजनाएं कार्यान्वित करने के लिए केएफडब्ल्यू (10 मिलियन यूरो) और जीआईजेड (5 मिलियन यूरो) के साथ अनुदान-आधारित करार पर हस्ताक्षर किए. केएफडब्ल्यू की सहायता वाली परियोजनाएं कर्नाटक, तेलंगाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कार्यान्वित की जाएंगी, जबकि जीआईजेड की सहायता वाली परियोजनाएं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कार्यान्वित की जाएंगी.
- वर्ष 2015-16 के दौरान विभाग ने निम्नलिखित आयोजन किएः
i) 40 सहभागियों के साथ 2 राइट-शॉप का आयोजन
ii) राज्य सरकार के विभागों के साथ 11 राज्य स्तरीय जागरूकता कार्यशालाएं/ बैठकें.
iii) विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए 6 राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम.
iv) एनएएफसीसी और जीसीएफ परियोजना विकास पर राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए 2 क्षेत्रीय कार्यशालाएं.
v.) ''''ग्रीन फाइनेंस'''' के उभरते क्षेत्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन.
B. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हेतु अम्ब्रेला कार्यक्रम (यूपीएनआरएम)
- दूरगामी पहलः `566.48 करोड़ के ऋण तथा `36.98 करोड़ के अनुदान के साथ यूपीएनआरएम के अंतर्गत `603.46 करोड़ की कुल वित्तीय सहायता के साथ 21 राज्यों तथा एक केंद्र शासित प्रदेश में संचयी रूप से 306 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं. `360.35 करोड़ के ऋण और `22.43 करोड़ के अनुदान के साथ संचयी संवितरण की राशि `382.78 करोड़ थी.
- गरीबों के अनुकूलः यूपीएनआरएम के अंतर्गत कार्यान्वित कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप सभी सहयोगों की औसत आय में लागभग तीन गुना वृद्धि (175%) दर्ज हुई है.
- पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीयः परियोजना सहयोग के चलते रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर लगभग 3000 हेक्टेयर भूमि पर हरित कृषि को बढ़ावा दिया गया. यूपीएनआरएम के सहयोग से लगभग 16,000 टन जैविक खाद के उत्पादन हेतु मदद प्राप्त हुई तथा 3000 हेक्टेयर हरित कृषि को बढ़ावा मिला.
- महिला अनुकूल और समावेशीः सभी परियोजनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 45% है और लगभग 80% महिलाएं अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़ी जातियों से हैं.
- पर्यावरण के अनुकूलः क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म प्रोजेक्ट (सीडीएम) के रूप में पंजीकृत ओडिशा में कृषि वानिकी परियोजनाएं वार्षिक रूप से 33,400 की दर से कार्बन दूर करने में सहायता प्रदान कर रही है. 1,229 बायोगैस प्लांट्स की स्थापना द्वारा 12,500 वृक्षों की सुरक्षा.
- जल सक्षमः चावल सघनीकरण की प्रणाली (एसआरआई) तथा ड्रिप सिंचाई प्रणाली से 96 मिलियन घन मीटर जल की बचत तथा CO2 में 13,000 टन कमी.
C. नीति, डिजिटाइजेशन और जोखिम प्रबंधन
- नाबार्ड की पर्यावरणीय, सामाजिक और महिला नीति तथा प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करना.
- प्रायोगिक चरण के अंतर्गत सात राज्यों के 17 जिलों में 2,865 कृषक क्लबों तथा कृषक क्लबों के 22,754 सदस्यों का डिजिटाइजेशन पूर्ण.
D. कारपोरेट सामाजिक दायित्व और तकनीकी परामर्श समूह
- ग्यारह विषयों के अंतर्गत प्रधान कार्यालय में केंद्रीय तकनीकी परामर्श समूह (सी-टीएजी) का गठन किया गया है.
- संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में उपलब्ध संसाघनों को समन्वित कर 10 प्रमुख क्षेत्रीय कार्यालयों में क्षेत्रीय तकनीकी परामर्श समूह (आर-टीएजी) का गठन किया गया है.
- क्षेत्रीय कार्यालयों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए विभिन्न राज्यों में 30 कारपोरेट्स `18,719 लाख के परिव्यय से नाबार्ड के साथ 134 परियोजनाओं के लिए सहयोग कर रहे हैं.
4. चालू परियोजनाएं और योजनाएं
- एडाप्टेशन फंड के अंतर्गत पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु तथा राजस्थान में पांच परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं.
- जलवायु परिवर्तन हेतु राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन निधि (एनएएफसीसी) के अंतर्गत पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, तमिलनाडु, केरल, मिजोरम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, पुद्दुचेरी तथा तेलंगाणा में 12 परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं.
- यूपीएनआरएम के अंतर्गत मंजूर की गई कुल 315 परियोजनाओं में से 198 परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है.
5. अतिरिक्त सूचना
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें
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संपर्कः
श्री निलय डी कपूर
नाबार्ड, प्रधान कार्यालय
5वी मंजिल, ऐ’ विंग
प्लॉट: सी-24, जी’ ब्लॉक
बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स,
बांद्रा (पू)
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