नाबार्ड ने सहकारी क्षेत्र को कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) प्लेटफॉर्म पर लाने की प्रक्रिया में मदद की है, जो संस्था निर्माण की दिशा में एक सबसे बड़ी पहल है . देश के 16 राज्यों और 03केंद्र शासित प्रदेशों में 201 राज्य और मध्यवर्ती केंद्रीय सहकारी बैंकों की कुल 6953 शाखाओं में यह परियोजना लागू हो गयी है अर्थात पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, उत्तराखंड, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पुडुचेरी और अंडमान एवं निकोबार "सहकारी संस्थाओं के लिए नाबार्ड द्वारा शुरू की गयी सीबीएस परियोजना " से जुड़ गए हैं .
दो वेंडर्स अर्थात टीसीएस और विप्रो ने पूरे देश में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लागू किया है. नाबार्ड परियोजना के तहत 6953 शाखाओं सहित सभी 201 बैंक पूरी तरह सीबीएस पर हैं.इसमें वे 122 नई शाखाएं भी शामिल हैं जो सीधे सीबीएस प्रणाली पर खोली गयी हैं . कर्नाटक राज्य के कोलार जि. म. स. बैंक के एचओ रिटेल मॉड्यूल का क्रियान्वयन चल रहा है.
सहकारी बैंकों के अलावा परियोजना के तहत तमिलनाडु औद्योगिक सहकारी बैंक (टीएआईसीओ) सीबीएस रॉल-आउट के लिए तैयार है.
इसमें क्लाउड कंप्यूटिंग की अवधारणा का उपयोग करते हुए एप्लिकेशन सेवा प्रदाता (एएसपी) मॉडल का उपयोग किया गया है.रॉल-आउट प्रक्रिया अंतिम चरण में है और नियमित आधार पर शाखाओं को सीबीएस प्लेटफार्म पर शिफ्ट किया जा रहा है . अब इन एक शतक पुराने बैंकों ने वाणिज्य बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तकनीकी प्रणाली की तर्ज पर सीबीएस माहौल में काम करना शुरू कर दिया है और देश के दूरदराज के इलाकों में इन सेवाओं को समान रूप से प्रदान करने हेतु इन संस्थाओं की बराबरी कर रहे हैं .ये बैंक अब बदलते नए परिदृश्य में अपने मौजूदा एवं नए ग्राहकों को समान रूप से सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं . अब उनके ग्राहक विभिन्न सरकारी प्रोत्साहन / सब्सिडी का लाभ सीधे प्राप्त कर सकेंगे और सहकारी बैंकों में अपने खातों में अन्य वित्तीय इनपुट्स भी प्राप्त कर सकेंगे .
1. सहकारी बैंकों को कोर बैंकिंग सोल्यूशन के तहत लाने के लाभ
- वाणिज्य बैंकों और क्षे. ग्रा. बैंकों के तकनीकी प्लैटफ़ार्म के समकक्ष ले आया गया है तथा देश के दूरदराज के इलाकों में समान रूप से सेवाएँ प्रदान करने में इन संस्थाओं की बराबरी करता है .
- खातों में पारदर्शिता एवं नियमित रूप से उनका मिलान करना तथा खातों में हेरा-फेरी पकड़ने हेतु खाता-बहियों का संतुलन करना
- बैंक जब एक बार प्रौद्योगिकी मंच पर आ जाते हैं, तो वे तकनीकी सोल्युशंस का बेहतर उपयोग कर सकते हैं जिससे ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन पहल को आगे बढ़ाया जा सकता है
- बैंकों के ग्राहक किसी भी शाखा से बैंकिंग, ई-ट्रांसफर के माध्यम से देश में कहीं भी धन का प्रेषण आदि जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं
- भारत सरकार के लिए भी आधार संख्या के आधार पर धारकों को प्रोत्साहन / सब्सिडी / अन्य भुगतान इत्यादि अंतरित करने में सुविधा होगी .
- तकनीकी सोल्युशंस के उपयोग से स्टाफ सदस्यों को अपने ग्राहकों के साथ संपर्क बढ़ेगा और बैंकों के लिए नए ग्राहक बनाने में भी मदद मिलेगी जिससे व्यापार पोर्टफोलियो भी बढ़ेगा .
2. नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों हेतु शुरू की गयी सीबीएस परियोजना के तहत शामिल राज्य