विपणन प्रयास
कारीगर न केवल विपणन कार्यक्रमों में अपना उत्पाद बेचने में समर्थ हों, बल्कि अपने उत्पादों का विपणन भी कर सकें और बाजार
के फीडबैक से सीधे लाभ उठाते हुए भविष्य में अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें, इसके लिए चयन के आधार पर अनुदान
के रूप में वित्तीय सहायता दी जाती है.
प्रदर्शनियाँ/ मेले
नाबार्ड ग्रामीण कारीगरों और उत्पादकों को प्रदर्शनियों और मेलों के माध्यम से अपने पारंपरिक कला शिल्प, अपनी उपज और
उत्पाद को प्रदर्शित करने के लिए विपणन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए सहयोग देता है जिससे कारीगर अपनी विशेषज्ञता का
उपयोग आजीविका के स्रोत के रूप में कर पाते हैं और अपनी आय भी बढ़ा पाते हैं.
ग्रामीण हाट/ ग्रामीण मार्ट
कारीगर न केवल विपणन कार्यक्रमों में अपना उत्पाद बेचने में समर्थ हों, बल्कि अपने उत्पादों का विपणन भी कर सकें और बाजार
के फीडबैक से सीधे लाभ उठाते हुए भविष्य में अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें, इसके लिए नाबार्ड ग्रामीण हाट
और ग्रामीण मार्ट की स्थापना के लिए अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है.
रुडसेटी/ रुडसेटी प्रकार की संस्थाएँ/ आरसेटी
अपने उद्यमिता और कौशल विकास प्रयासों को संस्थागत रूप देने की कोशिश के अंतर्गत नाबार्ड विशेषज्ञ संस्थाओं नामतः
रुडसेटी/ रुडसेटी प्रकार की संस्थाओं और आरसेटी को सहायता उपलब्ध कराता है जो ग्रामीण युवाओं/ महिलाओं को आजीविका के बेहतर
विकल्प सृजित करने वाले विभिन्न कौशलों में उद्यमिता का विकास करते हैं और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. नाबार्ड
द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने वाली संस्थाओं को सहायता उपलब्ध कराई जाती है.
नाबार्ड ने पूर्व में रु.109.77 करोड़ की वित्तीय सहायता से 30,341 आरईडीपी/ एसडीआई का संचालन किया था, जिनमें 7.83 लाख
बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया था.
कौशल विकास को व्यापकतर आधार देने के लिए आरसेटी/ रुडसेटी के अतिरिक्त साझेदार एजेंसियों के नए समुच्चय (एनएसडीसी से
सहबद्ध प्रशिक्षण संस्थाएँ, सरकारी एजेंसियाँ, सीएसआर के अंतर्गत कॉर्पोरेट, एनजीओ, ट्रस्ट और अन्य स्वैच्छिक एजेंसियाँ)
को शामिल किया गया ताकि समाज के विभिन्न तबकों की कौशल सम्बन्धी आवश्यकताओं को शामिल किया जा सके. नाबार्ड ने दो वर्षों
अर्थात् 2017-18 और 2018-19 में लगभग 1 लाख ग्रामीणों के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा है जिनमें से लगभग 50% महिलाएँ होंगी.
नाबार्ड कौशल विकास के प्रयासों का डिजिटलीकरण करने की प्रक्रिया में है ताकि सभी हितधारकों को एकल प्लेटफॉर्म पर लाया जा
सके.
ग्रामीण नवोन्मेष निधि (आरआईएफ)
ग्रामीण नवोन्मेष निधि एक ऐसी निधि है जिसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि कृषि, कृषीतर और सूक्ष्म वित्त सेक्टरों में
ऐसे नवोन्मेषी, जोखिम-युक्त, गैर-पारंपरिक प्रयोगों को सहयोग दिया जा सके जो ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों और
रोजगार सृजन की सभाव्यता से युक्त हों.
आरआईएफ के अंतर्गत सहायता ऋण/ अनुदान/ उद्भवन निधि सहयोग के रूप में, या इन तीनो घटकों के मिश्रण के रूप में हो सकती है.
इस सहयोग को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि आवश्यकता-आधारित, कम लागत वाली और परियोजना की अपेक्षा के अनुरूप होने के
साथ-साथ इसमें प्रस्तावक की कुछ वित्तीय संलग्नता भी हो. निर्णय मामला-दर-मामला आधार पर लिया जाता है. “30 सितम्बर को
आरआईएफ की अवधि पूरी हो जाने के बाद यह निधि अस्तित्व में नहीं रहेगी. तथापि, नाबार्ड ग्रामीण नवोन्मेष को सहयोग देना जारी
रख रहा है.”
ग्रामीण आवासन और ग्रामीण स्वच्छता को सहयोग
नाबार्ड पात्र संस्थाओं को ग्रामीण आवासन और स्वच्छता के लिए भी वित्तीय सहायता दे रहा है.