02 फ़रवरी 2023
बाह्य परिपत्र सं. 14/ डॉस -03/ 2023
संदर्भ. सं.एनबी.डॉस प्र.का/ओएसएस/5696/जे-1/2022-23
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
सभी अधिसूचित राज्य सहकारी बैंक
महोदया/ प्रिय महोदय
स्थलेतर (ऑफसाइट) अनुप्रवर्तन प्रणाली (ओ एस एस )– “ओएसआर – सीआरएआर पर विवरण” विवरणी को प्रस्तुत करने की तिथियों में संशोधन
हम आपका ध्यान सभी अधिसूचित राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्षों/प्रबंध निदेशकों को संबोधित भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 04 दिसंबर 2007 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. आरएफ़. बीसी. 40/ 07. 38. 03/ 2007-08 की ओर आकर्षित करते हैं जिसमें राज्य सहकारी बैंकों को सूचित किया गया था कि वे 31 मार्च 2008 को अपने तुलन-पत्रों में सीआरएआर के स्तर का प्रकटन करें और उसके बाद प्रति वर्ष अपने तुलन-पत्रों के लिए 'लेखों पर नोट्स' के रूप में प्रकटन करें. सीआरएआर ढांचे को शुरू करने के पीछे मूल उद्देश्य ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) की सुदृढ़ता और स्थिरता को मजबूत करना था. ग्रामीण सहकारी बैंकों
(आरसीबी) को यह भी सूचित किया गया था कि वे निर्धारित प्रारूप में पूंजी निधियों और जोखिम आस्ति अनुपात को इंगित करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को एक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करें और यह विवरणी उन दो अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित की जानी चाहिए जो भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत किए जाने वाले सांविधिक विवरणियों पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत हैं.
2. इसके अलावा, ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) को दिनांक 07 जनवरी 2014 के परिपत्र संख्या. आरपीसीडी.सीओ.आरसीबी.बीसी.73/07.51.012/2013-14 माध्यम से सूचित किया गया था कि वे 31 मार्च 2015 से निरंतर आधार पर 9% का न्यूनतम सीआरएआर चरणबद्ध तरीके से हासिल करें और इसे बनाए रखें.
3. भारतीय रिजर्व बैंक ने इंगित किया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) में अधिसूचित राज्य सहकारी बैंकों की भागीदारी तय करने हेतु उनके लिए आवश्यक सीआरएआर की समीक्षा निरंतर आधार पर की जाएगी और तदनुसार नाबार्ड को अधिसूचित राज्य सहकारी बैंकों के सीआरएआर की स्थिति तिमाही आधार पर प्रदान करने हेतु सूचित किया गया है.
4. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुदेशों के अनुसार, "ओएसआर-7 - सीआरएआर पर विवरण" की आवधिकता को "तिमाही" में संशोधित करने का निर्णय लिया गया है, जो अन्य बातों के साथ-साथ, व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी) के प्रदर्शन का विश्लेषण करने की प्रभावशीलता में सुधार करने में सक्षम होगा. इस तरह की पहली विवरणी 31 दिसंबर 2022 को समाप्त होने वाली तिमाही हेतु तैयार की जाए और इसे अधिकतम 15 फरवरी 2023 तक प्रस्तुत किया और उसके बाद आवधिकता और समय-सीमा के अनुरूप निम्नानुसार प्रस्तुत करें:
तिमाही |
समाप्त होने वाली अवधि |
नियत तिथि |
जून |
30 जून |
31 जुलाई |
सितंबर |
30 सितंबर |
31 अक्तूबर |
दिसंबर |
31 दिसंबर |
31 जनवरी |
मार्च (अलेखापरीक्षित) |
31 मार्च |
30 अप्रैल |
मार्च (लेखापरीक्षित) |
31 मार्च |
30 जून |
5. पर्यवेक्षित संस्थाएँ विवरणी प्रस्तुत करने हेतु आवधिकता और समय-सीमा में किए गए संशोधन का अध्ययन करें अपने आंतरिक एमआईएस में उपयुक्त बदलाव/सुधार करें ताकि विवरणी निर्धारित नियत तिथियों के भीतर प्रस्तुत की जा सके.
6. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 27(3) के अंतर्गत प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए नाबार्ड द्वारा ओएसएस/एफएमएस विवरणियां निर्धारित की जाती हैं और इसलिए यह प्रकृति में सांविधिक हैं. अत: सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इन विवरणियों को निर्धारित समय-सारणी के अनुसार बिना किसी चूक के प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें. विवरणियाँ जमा न करने या इन विवरणियों में गलत रिपोर्टिंग करने पर अधिनियम में यथानिर्दिष्ट विनियात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
7. कृपया इस परिपत्र की पावती हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें.
भवदीय
ह/-
(डी के गवली)
महाप्रबंधक