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मीडिया कक्ष

वित्तीय वर्ष 2021-22 में नाबार्ड के तुलन-पत्र में 15% की वृद्धि दर्ज की गई
मुंबई | April 2022
  • वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक का सर्वाधिक पुनर्वित्त संवितरण रु. 2.68 लाख करोड़ हुआ.
  • तकनीकी सहयोगों और जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्यों पर अधिक बल दिया गया.
  • कृषि-पारिस्थितिकीय कार्यक्रम जेआईवीए (जीवा) आरंभ किया गया

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने अपने विकास वित्तपोषण एजेंडा का पालन करते हुए आज वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए परिणामों की घोषणा की. इस शीर्ष विकास वित्त संस्थान (डीएफ़आई) ने प्रगति के मानदंडों की कसौटी पर शानदार कार्यनिष्पादन किया है और वैश्विक माहमारी के पश्चात् वित्तीय वर्ष में सभी चुनौतियों को पार कर यह सफलता पाई है.

वित्तीय कार्यनिष्पादन के संबंध में घोषणा करते समय नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जी आर चिंतला ने इस बात पर बल दिया कि विकास वित्त संस्थान ने वित्तीय वर्ष के लिए कुछ लक्षित रणनीतियों के अनुसार कार्यनिष्पादन किया.

अपने विभिन्न कार्यों के अलावा नाबार्ड ने मुख्यतः आधार स्तरीय ऋण संवितरण में तेज़ी लाने पर बल दिया, प्रमुख और सरकारी पहलों के लिए संवितरणों हेतु पुनर्वित्त प्रदान करने पर ज़ोर दिया, कृषक उत्पादक संगठनों के फ्रेमवर्क को बढ़ावा दिया, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और कृषि भंडारण जैसी आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए सहायता प्रदान की, कृषि स्टार्ट-अप्स के लिए निधि प्रदान की, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन से संबंधित कार्यों में सहयोग प्रदान किया, तकनीकी सहयोगों को बढ़ावा दिया, कृषीतर कार्यक्रमों का संवर्धन किया, ग्रामीण आधारभूत संरचना में पूंजी निवेश के माध्यम से राज्य परियोजनाओं को सहायता प्रदान की, प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के रूपान्तरण के लिए सहयोग प्रदान किया, राज्य सरकारों को दिए जाने वाले ऋणों में वृद्धि कर अधिप्राप्ति में सहयोग प्रदान किया, ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था के लिए वित्तीय समावेशन, स्वयं सहायता समूहों के लिए सूक्ष्म वित्त और सहायक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण जारी रखा.

वित्तीय विशेषताएँ

वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान नाबार्ड का तुलन-पत्र रु. 7,57,246 करोड़ हो गया जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह रु. 6,57,798 करोड़ था. तुलन-पत्र में 15.08% की वृद्धि दर्ज की गई. ऋण वितरण के दायरे का विस्तार करने के बाद 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार बैंक का ऋण पोर्टफोलियो रु. 6,03,000 करोड़ था. 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार इसमें वृद्धि हुई और यह बढ़कर रु. 6,80,731 करोड़ हो गया. ऋण पोर्टफोलियो में 12.89% की वृद्धि दर्ज की गई. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान रु. 3,50,022 करोड़ के संवितरण के समक्ष 7.73% की वृद्धि दर्ज करते हुए इस वित्तीय वर्ष में कुल संवितरण रु. 3,77,086 करोड़ हो गया.

कृषि ऋण

केंद्रीय बजट घोषणा के अनुसार भारत सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए आधार स्तरीय ऋण (कृषि और अनुषंगी) हेतु रु. 16.50 लाख करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया था. इस लक्ष्य के समक्ष वर्ष 2021-22 के दौरान उपलब्धि रु. 17.09 लाख करोड़ (104%) हो गई.

परिचालनात्मक और विकास संबंधी पहलें:

पुनर्वित्त

कृषि और ग्रामीण विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड ने पिछले वर्ष के दौरान संवितरित कुल रु. 2.23 लाख करोड़ के कुल पुनर्वित्त संवितरण के समक्ष वर्ष 2021-22 के दौरान रु. 2.68 लाख करोड़ का सर्वाधिक पुनर्वित्त संवितरण रिपोर्ट किया. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान हुए रु. 92,786 करोड़ के दीर्घावधि पुनर्वित्त संवितरण के समक्ष अब तक का सर्वाधिक दीर्घावधि पुनर्वित्त संवितरण पिछले वर्ष की तुलना में 25.02% की वृद्धि दर्ज करते हुए रु. 1,16,000 करोड़ तक पहुँच गया. इसी प्रकार इस विकास वित्त संस्थान ने वर्ष 2020-21 के दौरान संवितरित रु. 1,30,964 करोड़ के अल्पावधि संवितरण के समक्ष अब तक का सर्वाधिक अल्पावधि संवितरण किया है जोकि रु. 1,52,430 करोड़ है.

पुनर्वित्त और तरलता में वृद्धि

वैश्विक महामारी की दूसरी और तीसरी लहर में वित्तीय संस्थाओं को सहायता प्रदान करने की दृष्टि से नाबार्ड ने विशेष तरलता सुविधा-2 के अंतर्गत रु. 24,399.44 करोड़ के संवितरण के माध्यम से चलनिधि में पर्याप्त वृद्धि की है. नाबार्ड ने कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और सहकारी बैंकों (सीबी) को दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि से रु. 15,000 करोड़ का रियायती पुनर्वित्त प्रदान किया. इसके अलावा, नाबार्ड ने छोटे ऋणदाताओं को हो रही चलनिधि संबंधी परेशानियों को दूर करने की दृष्टि से एनबीएफ़सी क्षेत्र को रु. 8,820 करोड़ और लघु वित्त बैंकों को रु. 3,447 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता प्रदान की.

आधारभूत संरचना विकास

नाबार्ड का अग्रणी कार्यक्रम ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ़) जिसकी स्थापना वर्ष 1995-96 में रु. 2,000 करोड़ के प्रारंभिक कॉर्पस के साथ की गई थी, वह बढ़कर वर्ष 2021-22 (खेप XXVII) में रु. 40,000 करोड़ हो गई. देशभर की लगभग 7.43 लाख परियोजनाओं को कवर करने के लिए 31 मार्च 2022 तक आरआईडीएफ़ के अंतर्गत रु. 4.55 लाख करोड़ की संचयी मंजूरी प्रदान की गई. इस मंजूरी से अन्य क्षेत्रों के अलावा कृषि, सिंचाई, ग्रामीण कनेक्टिविटी और सामाजिक क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा चालू वर्ष के दौरान 31 मार्च 2022 तक रु. 46,073 करोड़ (2020-21 के दौरान रु. 34,830 करोड़) की राशि को मंजूरी प्रदान की गई है. पिछले वर्ष की तुलना में इस मंजूरी में 32% की वृद्धि दर्ज की गई. 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार आरआईडीएफ़ के अंतर्गत समग्र संवितरण रु. 33,883 करोड़ था.

वित्तीय वर्ष के दौरान नाबार्ड आधारभूत संरचना विकास सहायता (नीडा) के अंतर्गत रु. 7,136.26 करोड़ का संवितरण किया गया जबकि महासंघों को ऋण सुविधा के अंतर्गत रु. 46,434.31 करोड़, सहकारी संस्थाओं को प्रत्यक्ष पुनर्वित्त (डीआरए) के अंतर्गत रु.17,573.67 करोड़, डेयरी प्रसंस्करण और आधारभूत संरचना विकास निधि (डीआईडीएफ़) के अंतर्गत रु. 118.66 करोड़ तथा मत्स्यपालन, जलचरपालन और आधारभूत संरचना विकास निधि (एफ़आईडीएफ़) के अंतर्गत रु. 171.93 करोड़ का संवितरण किया गया.

अनाज के वैज्ञानिक भंडारण के लिए आधारभूत संरचना की स्थापना की दृष्टि से नाबार्ड में रु. 10,000 करोड़ के कॉर्पस के साथ भंडारागार आधारभूत संरचना निधि (डबल्यूआईएफ़) का परिचालन किया जा रहा है. डब्ल्यूआईएफ के अंतर्गत, इस विकास बैंक ने देश भर में 127.01 लाख मीट्रिक टन की कृषि भंडारण क्षमता बनाने के लिए रुपये 9709 करोड़ की संचयी मंजूरी के साथ 7594 परियोजनाओं को मंजूरी दी. इनमें से 59.71 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाली लगभग 5,529 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं.

विकासात्मक पहलें

एफ़पीओ को सुदृढ़ करना

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के संवर्धन के लिए भारत सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप, नाबार्ड इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. बैंक ने अब तक 5136 एफपीओ का संवर्धन किया है जिसमें 10 हजार एफपीओ के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत गठित 1064 एफपीओ भी शामिल हैं.

इसके अतिरिक्त, एफपीओ को ऋण प्रदान करने के लिए संस्थागत ऋणदाताओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, नैबसंरक्षण ट्रस्टी प्रा. लिमिटेड, नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, की ट्रस्टीशिप के अंतर्गत, नाबार्ड तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के बराबर योगदान के साथ रुपये 1,000 करोड़ की निधि के साथ ऋण गारंटी निधि की स्थापना की गई है. नैबकिसान बैंक की सहायक संस्था और एफ़पीओ वित्तपोषक एनबीएफ़सी है जिसने 1,400 से अधिक एफ़पीओ को संचयी रूप से रुपए 444.02 करोड़ मंजूर किए.

नाबार्ड ने एफपीओ की कार्यप्रणाली में सहयोग करने के लिए अभिनव कदम भी उठाए हैं जैसे कि एफपीओ (एफपीओ मानक टूल) के विकास के लिए ऑटो-ग्रेडिंग टूल के विकास हेतु जीआईजेड के साथ सहयोग.

‘जीवा’ कार्यक्रम की शुरुआत

इस वित्तीय वर्ष में, नाबार्ड ने 11 राज्यों में अपने मौजूदा वाटरशेड और वाडी कार्यक्रमों के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 'जीवा' नामक भारत का पहला अनूठा एग्रो इकोलाजिकल कार्यक्रम शुरू किया. कृषि मूल्य शृंखला में निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह विकास वित्त संस्थान वेल्यू चेन प्लेयर्स के साथ मिलकर काम कर रही है.

पैक्स को सहायता प्रदान करना

नाबार्ड ने पैक्स की आधारभूत संरचना में बदलाव करके उन्हें बहु-सेवा केंद्र (एमएससी) के रूप में रूपांतरित करने के लिए विशेष पुनर्वित्त योजना शुरू की है. डिजिटल रूप से सुसज्जित सहकारी बैंकिंग प्रणाली के विज़न को प्राप्त करने के लिए, नाबार्ड पैक्स के कम्प्यूटरीकरण को अत्यधिक महत्व देता है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में 63 हजार पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए रुपये 350 करोड़ (पांच साल के लिए कुल बजट रुपये 2,516 करोड़) का बजटीय प्रावधान किया गया है. यह उल्लेखनीय है कि नाबार्ड ने पहले राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और उसके पश्चात जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (बीसीसीबी) को सीबीएस प्लेटफॉर्म से जोड़ा है.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पुनःपूंजीकरण

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए क्षेग्रा बैंकों के पुनर्पूंजीकरण हेतु रुपये 4,084 करोड़ का योगदान दिया. इसमें से अब तक 21 क्षेग्रा बैंकों को रुपये 3,197 करोड़ जारी किए जा चुके हैं.

सूक्ष्म ऋण

माइक्रो क्रेडिट के क्षेत्र में, बैंकों द्वारा एसएचजी-बीएलपी के तहत संचयी रूप से कुल 1.17 करोड़ एसएचजी को कवर किया गया है. 2021-22 में एसएचजी को रुपये 71,000 करोड़ का बैंक ऋण संवितरित किया गया. वित्तीय वर्ष में प्रति एसएचजी को संवितरित औसत ऋण रु. 2.83 लाख तक पहुँच गया. नाबार्ड द्वारा स्वयं सहायता समूहों के संवर्धन और पोषण के लिए रु. 427 करोड़ की अनुदान सहायता जारी की गई.

जलवायु परिवर्तन अनुकूलन

नाबार्ड कई पहलें कर रहा है जैसे वाटरशेड में नेट ज़ीरो भू-जल नेट जी उपयोग, जलवायु परिवर्तन की अतिसंवेदनशीलता के विश्लेषण के लिए सरल उपकरणों का विकास, वाडी/वाटरशेड वृक्षारोपण, स्वचालित मौसमी स्टेशनों की स्थापना आदि के तहत अपने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सहयोगों से क्लाइमेट प्रूफिंग.

नाबार्ड जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कार्यक्रम में सहयोग कर रहा है, जिसका शीर्षक है 'खराब मिट्टी को ठीक करने के लिए जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के साथ वाटरशेड विकास रणनीतियों का एकीकरण' (एसईडबल्यूओएच). इस कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में खराब मिट्टी को ठीक करना और उसे पुनः उपजाऊ बनाना है. नाबार्ड भारत में पांच राज्यों में पूरे हो चुके 103 वाटरशेड में इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर रहा है.

फसल उत्पादकता में सुधार की दृष्टि से, नाबार्ड महाराष्ट्र के पांच जिलों और मध्य प्रदेश के दो जिलों में "भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए मृदा संरक्षण और पुनरुद्धार" (प्रोसॉइल) परियोजना को भी सहयोग प्रदान कर रहा है. इसी तरह, नाबार्ड ने हाल ही में जीआईजेड के साथ "क्षमता वृद्धि या संधारणीय कृषि और संधारणीय एक्वाकल्चर" (सी-एसएएसए) परियोजना पर तकनीकी सहयोग स्थापित किया है.

कृषीतर विकास

वर्ष 2021-22 के दौरान, नाबार्ड ने 10 ओएफपीओ को मंजूरी दी, जबकि लगभग 50 ओएफपीओ आज कार्यशील हैं जो 23 राज्यों में 16000 से अधिक कारीगरों और बुनकरों को कवर कर रहे हैं. भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राधिकरण की प्रक्रिया को और तेज करते हुए, नाबार्ड ने अब तक 112 उत्पादों का जीआई पंजीकरण किया है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान नाबार्ड ने 40 उत्पादों के लिए सहायता प्रदान की है.

सहायक संस्थाएँ

नाबार्ड की सहायक कंपनियों ने वित्त वर्ष के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. नैबफिंस, जो कि एक लेंडिंग वर्टिकल है उसने रुपये 1270 करोड़ का संवितरण किया, नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकोंस) ने कृषि, ग्रामीण विकास और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित सभी क्षेत्रों में परामर्शी सेवाएँ प्रदान करके पूरे भारत में अपने कार्यों का विस्तार किया है. नाबार्ड की एक अन्य सहायक संस्था नैबफाउंडेशन ने 32 जिलों में 'माई पैड, माई राइट' पहल की शुरुआत की. एग्री-टेक स्टार्ट-अप्स में निवेश को तेज करते हुए, नाबार्ड की वैकल्पिक निवेश निधि शाखा नैबवेंचर्स ने नौ स्टार्ट-अप्स में 146 करोड़ रुपये का निवेश किया और इसे अब तक रुपये 411 करोड़ की अतिरिक्त पूंजी प्रतिबद्धता प्राप्त हुई है. 31 मार्च 2022 तक नैबवेंचर्स ने लगभग रुपये 616 करोड़ की अंतिम निधि प्राप्त करने के उपरांत धन-संग्रहण की प्रक्रिया को पूरा किया.

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