1. आरंभ
वित्तीय समावेशन से संबन्धित मुद्दों के समाधान हेतु भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ सी रंगराजन की अध्यक्षता में वित्तीय समावेशन पर एक समिति का गठन किया था. 4 जनवरी 2008 को समिति ने तत्कालीन वित्त मंत्री को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की.
रिपोर्ट में वित्तीय समावेशन को " कमजोर वर्गों तथा निम्न आय वर्ग के लोगों की जरूरत के लिए कम लागत पर और समय से पर्याप्त ऋण और वित्तीय सुविधाएं सुनिश्चित करने की प्रक्रिया." के रूप में परिभाषित किया गया है.
समिति ने दो निधियां - वित्तीय समावेशन निधि (एफआईएफ) और वित्तीय समावेशन प्रौद्योगिकी निधि (एफआईटीएफ) – बनाने की सिफारिश की थी. इन दोनों निधियों को नाबार्ड में सृजित किया गया और वित्तीय समावेशन पहल हेतु नाबार्ड को एक समन्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करने का दायित्व दिया गया. भारत सरकार की दिनांक 17 जुलाई, 2015 की अधिसूचना के अनुसार एक नई वित्तीय समावेशन निधि में इन दोनों निधियों का विलय कर दिया गया.
2. विभाग के मुख्य कार्य
- वित्तीय समावेशन निधि का प्रबंधन
- भारत सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देशों के अनुसार वित्तीय समावेशन निधि का उपयोग करना, वित्तीय समावेशन और बैंकिंग प्रौद्योगिकी विभाग के दो आंतरिक वर्टिकल हैं, जिनके नाम हैं :
- वित्तीय समावेशन
- बैंकिंग प्रौद्योगिकी
- वित्तीय समावेशन
- वित्तीय समावेशन कार्य को उच्च प्राथमिकता देते हुए यह वर्टिकल वित्तीय समावेशन निधि(एफआईएफ) के दायरे में गतिविधियों और वित्तीय साक्षरता तथा क्षमता निर्माण में शामिल होनेवाली संस्थाओं के विस्तार और व्याप्ति में वृद्धि का प्रयास करता है.
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / सहकारी संस्थाओं / गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से वित्तीय समावेशन अभियान चलाना. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी समितियों के कर्मचारियों में वित्तीय समावेशन के संबंध में जागरूकता पर ध्यान केन्द्रित करता है.
- बैंकों के बिजनेस कोरेस्पोंडेंट (बीसी) / बिजनेस फैसिलिटेटर (बीएफ) को आईआईबीएफ की सहायता से प्रशिक्षित करता है.
- आईसीटी सोल्युशंस अपनाने हेतु क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सीबीएस समर्थित सहकारी संस्थाओं को सहायता प्रदान करना ताकि वे अपनी पहुँच में विस्तार कर सकें.
- बैंकिंग प्रौद्योगिकी :
• सभी उधार लेनेवाले किसानों को रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने हेतु देश भर में सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रोत्साहित करना.
• भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के साथ समन्वय कर सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के साथ बातचीत के माध्यम से कार्ड जारी करने पर सक्रिय रूप से ज़ोर देना.
• देश के शहरी क्षेत्रों के समान ही सभी बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कृषक समुदाय को सक्षम बनाकर एक कैशलेस वातावरण का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना.
• उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु विभिन्न हितधारकों के साथ नीति निर्धारण, क्षमता निर्माण और नेटवर्किंग.
भारत सरकार, जो निधि से मंजूरी संबंधी निर्णय लेने के लिए अंतिम प्राधिकारी है, ने एफआईएफ के मार्गदर्शन के लिए एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया है. सलाहकार बोर्ड ने वित्तीय समावेशन एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) सहित सहकारी बैंकों पर विशेष ध्यान दिया है. यह कार्य क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी अपनाने में पूरी तरह से सशक्त प्रौद्योगिकी-सक्षम व्यावसायिक संस्था के रूप में कार्य करने हेतु सहकारी बैंकों को सहायता देकर संभव बनाया गया है.
3. राष्ट्रीय स्तर पर विभाग की व्यापक उपलब्धियां
भारत में वित्तीय समावेशन अनिवार्य रूप से बैंकों की अगुवाई में चलाया जानेवाला एक मॉडल है. तत्कालीन एफआईटीएफ के तहत मुख्यतः आर्थिक रूप से कमजोर 27 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सहायता प्रदान की गयी थी ताकि वे अन्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) में बराबरी कर सकें. इससे देश के सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सीबीएस प्रणाली से जोड़ दिया गया.
इसके अलावा, सहकारी संस्थाओं में सीबीएस के लिए नाबार्ड द्वारा आरंभ किए गए प्रोजेक्ट के तहत सभी 380 लाइसेंसधारी ग्रामीण सहकारी बैंकों को सीबीएस से जुडने में सुविधा प्रदान कर दी गई है.
31 मार्च 2016 तक एफआईएफ के अंतर्गत मंजूरी / संवितरण
31 मार्च 2016 तक वित्तीय समावेशन निधि (एफआईएफ) के तहत मंजूरी एवं संवितरण तथा निधि की आरंभिक स्थापना के पश्चात संचयी मंजूरी एवं संवितरण के संबंध में प्रगति इस प्रकार है :