अक्टूबर 2000 में भारत सरकार द्वारा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए ऋण से जुड़ी पूंजी सब्सिडी योजना (सीएलसीएसएस) शुरू की गई थी. योजना का उद्देश्य भारत सरकार द्वारा इस योजना के तहत अनुमोदित सुस्थापित और बेहतर तकनीकों जिसके लिए पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाती है, के माध्यम से निर्दिष्ट उत्पादों / उप क्षेत्रों में लघु उद्योग इकाइयों के प्रौद्योगिकी उन्नयन बढ़ाना है. सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और वाणिज्य बैंकों के माध्यम से सब्सिडी देने के लिए नाबार्ड एक नोडल एजेंसियों के रूप में नामित है.