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विशेष दीर्घावधि पुनर्वित्त योजनाएँ तैयार करना

गाँवों से शहरों की ओर पलायन के मुद्दे का समाधान करने के लिए और कोविड युग के बाद कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, नाबार्ड ने तीन विशेष पुनर्वित्त योजनाएं शुरू की हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया है :

1 पैक्स को एमएससी के रूप में बदलने के लिए विशेष दीर्घावधि पुनर्वित्त योजना

इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2020 से तीन वर्षों की अवधि में सभी संभावित पैक्स को बहु सेवा केन्द्रों (एमएससी) के रूप में विकसित किया जाएगा. इस योजना के अंतर्गत रास बैंकों को @3% की दर से रियायती पुनर्वित्त प्रदान किया जाएगा ताकि पैक्स को सहायता उपलब्ध कराई जा सके जिससे वे बेहतर आधारभूत संरचना (पूंजीगत आस्तियां) का निर्माण कर सकें और सदस्यों की जरूरतों के अनुरूप अपने व्यवसाय पोर्टफोलियो को बढ़ा सकें. ऋण की इस सीमा के अंतर्गत, नाबार्ड ने तीन वर्षों में 35,000 पैक्स को परिवर्तित करने की परिकल्पना की है जिनमें वित्त वर्ष 2011 में 5,000 पैक्स के साथ बाद के वर्षों अर्थात वित्त वर्ष 2012 और वित्त वर्ष 2013 के दौरान प्रति वर्ष 15,000 पैक्स को बहुसेवा केंद्र के रूप में परिवर्तित करना शामिल है. अब तक 3055 पैक्स को सैद्धान्तिक रूप से मंजूरी प्रदान की गई है जिसकी अनुमानित परियोजना लागत रु. 1760.82 करोड़ है और नाबार्ड द्वारा अनुमानित बैंक ऋण रु. 1568 करोड़ है.

2 वाटरशेड और वाडी परियोजना क्षेत्रों के लाभार्थियों के लिए विशेष दीर्घावधि पुनर्वित्त योजना

इस योजना का उद्देश्य नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त वाटरशेड और वाडी परियोजना क्षेत्रों में लाभार्थियों के लिए संधारणीय आर्थिक गतिविधियों, आजीविका और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना है, इसके साथ ही इस योजना के अंतर्गत गाँवों से शहरों की ओर पलायन करने से संबंधी मुद्दे को कम करने एवं कोविड के बाद आने वाले समय में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इन लाभार्थियों को रियायती दर पर उधार देने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित किया जाता है. सभी पात्र बैंकों/ वित्तीय संस्थानों को अधिकतम 5 वर्षों के लिए 3% की दर पर पुनर्वित्त उपलब्ध होगा. इस योजना के तहत बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रभारित की जाने वाली संशोधित अंतिम उधार दर को 06 महीने के एमसीएलआर+1% या ईबीएलआर+2.5% , इनमें से जो भी कम हो, के रूप में संशोधित किया गया है. नाबार्ड ने 2020-21 से 2022-23 के दौरान रु. 5000 करोड़ की पुनर्वित्त राशि निर्धारित की है. नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय सहभागी बैंकों के साथ मिलकर बैंकिंग योजनाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं.

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3 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष दीर्घावधि पुनर्वित्त योजना

इस योजना का उद्देश्य बैंकों को सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों के लिए उधार देने हेतु प्रोत्साहित करना और कोविड-19 महामारी के कारण गावों से शहरों की ओर पलायन करने वाले लोगों तथा ग्रामीण युवाओं के लिए स्थायी आजीविका और रोजगार के अवसर पैदा करना है.

इस योजना के अंतर्गत मौजूदा एकल सूक्ष्म उद्यमों के आधुनिकीकरण और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इन सूक्ष्म उद्यमों के औपचारिक क्षेत्र में परिवर्तन की परिकल्पना की गई है. इस पुनर्वित्त योजना से एमओएफ़पीआई, भारत सरकार द्वारा आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत हाल ही में शुरू की गई "सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिकरण के लिए पीएम योजना (पीएम एफएमई)" को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना के अंतर्गत इस क्षेत्र में लगभग 25,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है. पात्र वित्तीय संस्थानों जैसे वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंक, रास बैंक क्षेग्रा बैंक और नाबार्ड की सहायक संस्थाओं के लिए 4% दर पर रियायती पुनर्वित्त उपलब्ध है.

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4. 'एनबीएफसी-एमएफआई के लिए सुनियोजित वित्त और आंशिक गारंटी कार्यक्रम'

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने कोविड -19 महामारी से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित ऋण और ऋण गारंटी उत्पाद तैयार किया है. एनबीएफसी-एमएफआई के लिए सुनियोजित वित्त और आंशिक गारंटी कार्यक्रम के अंतर्गत लघु और मध्यम आकार के सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को दिए गए ऋण पर आंशिक गारंटी प्रदान करता है. आंशिक रूप से गारंटीकृत ऋण सुविधा से लाखों घरों, कृषि और व्यावसायिक बाजारों को लाभ मिलेगा जिससे वे कोविड-19 के बाद अपनी स्थिति बेहतर कर पाएंगे.

इससे शुरुआती चरण में 2,500 करोड़ रुपये के वित्तपोषण में मदद मिलेगी और उम्मीद है कि इसे आगे भी बढ़ाया जाएगा. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस कार्यक्रम के 28 राज्यों और 650 जिलों के 10 लाख से अधिक परिवारों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. समूहिक ऋण जारी करने की (पीएलआई) संरचना नाबार्ड की आंशिक क्रेडिट सुरक्षा के माध्यम से ऋणदाता बैंक को पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराती है, और पूंजी की लागत को कम करती है क्योंकि ऋण की रेटिंग में सुधार होता है और उधारदाताओं को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है. यह संरचना अनेक उधारकर्ताओं के जोखिम को एक साथ जोड़ देगी और उच्च रेटिंग वाले गारंटर से आंशिक रूप से प्रथम हानि के लिए ऋण वृद्धि की सुरक्षा परत उपलब्ध कराएगी.