दीर्घावधि सिंचाई निधि (एलटीआईएफ) की घोषणा केन्द्रीय बजट 2016–17 में की गई थी ताकि
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चिह्नित 99 मध्यम और बृहत् सिंचाई परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा किया जा सके. ये परियोजनाएँ 18
राज्यों में थीं. बाद में एलटीआईएफ में चार और परियोजनाओं को शामिल कर लिया गया, नामतः आंध्र प्रदेश में पोलवरम
परियोजना, बिहार और झारखण्ड में उत्तर कोयल परियोजना, सरहिंद और राजस्थान फीडरों की रिलाइनिंग और पंजाब में शाहपुर कंडी
डैम.
2016-2021 के दौरान, नाबार्ड ने भारत सरकार के विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी), राष्ट्रीय
जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) को केंद्रीय हिस्से के रूप में ऋण प्रदान किया, साथ ही इच्छुक राज्य सरकारों को राज्य के
हिस्से के रूप में 15 वर्षों की अवधि के लिए ऋण प्रदान किया। अब तक 13 राज्यों ने नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त
करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं
वर्ष 2021-22 से मात्र 60 चालू एआईबीपी परियोजनाओं के लिए राज्य के हिस्से को पूरा करने
की दिशा में और 85 चालू सीएडीडब्ल्यूएम बड़ी /मध्यम सिंचाई परियोजनाएं को (99 सिंचाई परियोजनाओं में से) वित्तपोषण
व्यवस्था जारी रखी जा रही है जिनमें भारत सरकार की ब्याज उपादान सहायता केवल 2% तक है. केंद्र के हिस्से के लिए
वित्तपोषण आवश्यकताओं को भारत सरकार के बजटीय संसाधनों के माध्यम से पूरा किया जाएगा.
31 अक्टूबर 2025 के अंत की स्थिति के अनुसार, मंजूर और जारी की गई संचयी ऋण राशि क्रमश:
₹85,790.78 करोड़ (केंद्र का हिस्सा - ₹46,495.92 करोड़ और राज्यों का हिस्सा – ₹ 39,294.86 करोड़) और ₹62,792.02 करोड़
(केंद्र का हिस्सा - ₹26,500.62 करोड़ और राज्यों का हिस्सा – ₹36,291.40 करोड़) था. 31 अक्टूबर 2025 की स्थिति के अनुसार,
निधियों की राज्य-वार मंजूरी और निर्गम का विवरण निम्नानुसार है:
31 मई 2025 के अंत की स्थिति के अनुसार, मंजूर और जारी की गई संचयी ऋण राशि क्रमश:
₹85,790.78 करोड़ (केंद्र का हिस्सा - ₹46,495.92 करोड़ और राज्यों का हिस्सा – ₹ 39,294.86 करोड़) और ₹62,792.02 करोड़
(केंद्र का हिस्सा - ₹26,500.62 करोड़ और राज्यों का हिस्सा – ₹36,291.40 करोड़) था. 31 मई 2025 की स्थिति के अनुसार,
निधियों की राज्य-वार मंजूरी और निर्गम का विवरण निम्नानुसार है:
(₹ Crore)
| क्र.सं |
राज्य |
मंजूर ऋण |
जारी ऋण |
|
|
केंद्र का हिस्सा |
राज्य का हिस्सा |
केंद्र का हिस्सा |
राज्य का हिस्सा |
| 1 |
आंध्र प्रदेश |
425.07 |
513.87 |
91.81 |
489.34 |
| 2 |
असम |
195.04 |
116.01 |
7.55 |
116.01 |
| 3 |
बिहार |
240.01 |
0.00 |
146.06 |
0.00 |
| 4 |
छत्तीसगढ़ |
165.73 |
80.07 |
62.79 |
0.00 |
| 5 |
गोवा |
17.6 |
209.95 |
3.84 |
209.941 |
| 6 |
गुजरात |
8158.5 |
3611.03 |
5635.46 |
3611.03 |
| 7 |
जम्मू और कश्मीर |
57.34 |
0.00 |
46.25 |
0.00 |
| 8 |
झारखण्ड |
1847.00 |
1020.44 |
756.73 |
1020.44 |
| 9 |
कर्नाटक |
1837.34 |
0.00 |
1183.32 |
0.00 |
| 10 |
केरल |
48.71 |
0.00 |
2.69 |
0.00 |
| 11 |
मध्य प्रदेश |
3537.51 |
2863.18 |
811.12 |
1805.09 |
| 12 |
महाराष्ट्र |
4627.5 |
18021.31 |
1796.79 |
16780.36 |
| 13 |
मणिपुर |
309.86 |
390.37 |
228.35 |
370.02 |
| 14 |
ओडिशा |
1751.81 |
5614.23 |
1340.82 |
5034.94 |
| 15 |
पंजाब |
143.71 |
0.00 |
70.50 |
0.00 |
| 16 |
राजस्थान |
1084.67 |
423.06 |
509.95 |
423.06 |
| 17 |
तेलंगाना |
3478.826 |
0.00 |
673.86 |
0.00 |
| 18 |
उत्तर प्रदेश |
4661.86 |
6431.34 |
1553.91 |
6431.18 |
|
उप-जोड़ |
32588.08 |
39294.86 |
14921.80 |
36291.40 |
| 19 |
पोलावरम |
11217.71 |
- |
10650.15 |
- |
| 20 |
उत्तर कोयल जलाशय (रिज़र्वायर) |
1378.61 |
- |
721.22 |
- |
| 21 |
शाहपुर कंडी डैम |
485.35 |
- |
207.45 |
- |
| 22 |
सरहिंद फीडर और राजस्थान फीडर की रिलाइनिंग |
826.17 |
- |
0.00 |
- |
|
सकल जोड़ |
46495.92 |
39294.86 |
26500.62 |
36291.40 |
अब तक राज्य के हिस्से के ऋण का लाभ 11 राज्यों ने लिया है. ये राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, असम, झारखंड, गुजरात,
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गोवा.
31 मार्च 2025 की स्थिति के अनुसार, 99 परियोजनाओं में से, 61 परियोजनाओं का त्वरित क्षेत्र लाभान्वित कार्यक्रम
(एआईबीपी) घटक पूरा हो चुका है और 27 परियोजनाओं का कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडी एंड डब्ल्यूएम) घटक पूरा हो
चुका है. 99 सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में 2016-25 के दौरान दी गई वित्तपोषण सहायता ने 34.63 लाख हेक्टेयर की लक्षित
सिंचाई क्षमता की तुलना में 26.84 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता के निर्माण की सुविधा प्रदान की है. इसके अतिरिक्त,
कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत 22.21 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य कृषि क्षेत्र विकसित किया गया है.
(स्रोत-एमओजेएस, भारत सरकार).