नाबार्ड का 43वां स्थापना दिवस दिनांक 12 जुलाई 2024 को प्रधान कार्यालय में "जलवायु जोखिम प्रबंधन और बैंकिंग" विषय के साथ मनाया गया. इस महत्वपूर्ण दिन पर, एग्री-श्योर निधि का प्री-लॉन्च कार्यक्रम, उप प्रबंध निदेशकों के विशेष संबोधन, नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी केवी का मुख्य भाषण, 'जलवायु जोखिम प्रबंधन और बैंकिंग' पर पैनल चर्चा, अनेक विभागों द्वारा प्रकाशनों/ वीडियो का विमोचन आदि सहित कई कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई. वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में नाबार्ड के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी भाग लिया.
श्री सतीश बी. राव, मुख्य महाप्रबंधक, सीपीडी ने प्रतिभागियों और नाबार्ड के शीर्ष प्रबंधन का स्वागत किया. डॉ.ए. के. सूद, उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड ने अपना उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें ग्रामीण भारत की वृद्धि और समृद्धि का समर्थन करने वाले एक दृढ़ स्तंभ के रूप में नाबार्ड की भूमिका पर बल दिया गया. उन्होंने नाबार्ड की उल्लेखनीय उपलब्धियों, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में इसके बढ़े हुए ऋण प्रवाह पर प्रकाश डाला, जिसने असंख्य किसानों को सशक्त बनाया है. डॉ. सूद ने जोर देकर कहा कि नाबार्ड की योजनाओं ने ग्रामीण समुदायों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने वित्तीय समावेशन बढ़ाने हेतु फिनटेक की खोज का उदाहरण देते हुए नवोन्मेषों के प्रति नाबार्ड की प्रतिबद्धता को दोहराया. जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और किसान ऋण-ग्रस्तता जैसी गंभीर चुनौतियों का हवाला देते हुए, उन्होंने इन महत्वपूर्ण मुद्दों के अभिनव समाधान खोजने के लिए नाबार्ड के दृढ़ संकल्प पर जोर दिया.
श्री जी. एस. रावत, उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड ने अपने संबोधन में 43वें स्थापना दिवस के अवसर पर नाबार्ड की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी. उन्होंने नाबार्ड द्वारा महिलाओं, एफपीओ, जेएलजी को सशक्त बनाने और केसीसी जैसे अभिनव उत्पादों को प्रवेश करने में की गई पहलों पर प्रकाश डाला, जिसने लाखों किसानों को किफायती ऋण तक पहुंचाने के साथ-साथ सशक्त बनाया है और इस तरह उनकी आय में वृद्धि हुई है. स्थापना के बाद से, नाबार्ड भारत की ग्रामीण विकास रणनीति का एक आधारस्तंभ रहा है, जो उभरती चुनौतियों के अनुकूल है और कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सतत विकास में योगदान देता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे 43वें स्थापना दिवस पर आइए हम ग्रामीण विकास में नाबार्ड की प्रमुख भूमिका और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की उसकी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि करें.
नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी केवी ने अपने मुख्य भाषण के दौरान नाबार्ड के 43वें स्थापना दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई दी. उन्होंने नाबार्ड की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसे शुरू में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ग्रामीण और कृषि ऋण कार्यों का काम सौंपा गया था. इन वर्षों में, नाबार्ड ने ग्रामीण ऋण प्रणालियों में अक्षमताओं को दूर करने और सरकारी कार्यक्रमों को प्रभावित करने वाले पीएलपी, एसएचजी बैंक लिंकेज और आरआईडीएफ जैसी अग्रणी पहलों को संबोधित करते हुए विकसित किया है.
वर्तमान संदर्भ में लौटते हुए, उन्होंने कहा कि नाबार्ड अपने पांचवें दशक में प्रवेश कर रहा है, परितंत्र ने काफी प्रगति की है, उसमें परिपक्वता आई है, और अब वह उल्लेखनीय विकास के लिए तैयार है. उन्होंने वित्तीय समावेशन में हुई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, इस बात पर जोर दिया कि लगभग हर भारतीय को अब वित्तीय प्रणाली में एकीकृत किया गया है, जैसा कि नवीनतम नाफिस सर्वेक्षण द्वारा संकेत दिया गया है. तथापि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि चुनौतियां बनी हुई हैं, विशेष रूप से क्षमता निर्माण के मुद्दों को संबोधित करने में, विशेष रूप से बचत में उत्पन्न अधिशेष को प्रभावी ढंग से चैनलिंग करने में. उन्होंने जोर देकर कहा कि नाबार्ड ग्रामीण विकास के प्रयासों को बढ़ाने के लिए अपनी सहायक कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगा. क्रेडिट प्लस गतिविधियों में एक सूत्रधार से एक सक्रिय भागीदार के रूप में संक्रमण महत्वपूर्ण है. उन्होंने ग्रामीण समुदायों के उत्थान में नाबार्ड की विस्तारित भूमिका की परिकल्पना की, जिससे उन्हें प्रत्यक्ष लाभांतरण (डीबीटी) के लाभार्थियों से, वित्तीय संस्थानों से वाणिज्यिक ऋण प्राप्त करने वाले सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में परिवर्तित किया जा सके. यह परिवर्तन नाबार्ड के अनोखे स्थान को परिभाषित करता है और उसके रणनीतिक फोकस को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि हमारे विकास की ट्रैजेक्टरी जीडीपी और सेक्टर बेंचमार्क के साथ आराम से संरेखित होती है. वर्तमान में हमारी बैनेंस शीट का आकार 9 ट्रिलियन का है, और हमारा अगला लक्ष्य इसमें तेज़ी से एक और ट्रिलियन जोड़ना है. एक विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआई) के रूप में, जहाँ नाबार्ड लक्ष्यों को पूरा करने या उससे अधिक करने के प्रति आश्वस्त रहता है, वहीं हमारा ध्यान भटकना नहीं चाहिए. निरंतर, सक्रिय कदम उठाना महत्वपूर्ण होता है, न कि केवल वार्षिक प्रयास करना. देयता पक्ष पर भी प्रयासों पर जोर देना अनिवार्य होता है, विशेष रूप से सीमित रियायती निधियों पर भारत सरकार के प्रगतिशील रुख को देखते हुए.
अनियमित वृद्धि और आय की असमानता जैसी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए, नाबार्ड को अपने क्षेत्र में विकास में तेजी लानी चाहिए, जिसका लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर को दोगुना करना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उभरती जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने, हमारी सहायता चाहने वाले अनेक अल्पसेवित व्यक्तियों और संगठनों तक पहुंचने पर जोर दिया, जो हमारे संगठन को एक अद्वितीय दृष्टिकोण के साथ दूसरों से अलग करता है – यानी स्थापित टेम्पलेटों का पालन करने के बजाय मांग और क्षमता को पैदा करना.
उन्होंने नवोन्मेषी व्यापार मॉडल विकसित करने में वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग का आग्रह किया और अनुभवों की सीमाओं को दूर करने के लिए आंतरिक रूप से विचारों के संग्रहण को प्रोत्साहित किया. रिपोर्टिंग के कम स्तरों के साथ एक सपाट संगठनात्मक संरचना पर जोर देते हुए, उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रतिभावान भर्तियों की संभाव्यताओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और अधिकतम करने की चुनौती पर प्रकाश डाला. कौशल के अंतरालों को दूर करने के लिए टीएजी/ आरएजी कार्यक्रमों के पुनरुत्थान या परिमार्जन का प्रस्ताव करते हुए, उन्होंने बेसल III के तहत निधि प्रबंधन, क्लाइमेट फाइनान्स और जोखिम प्रबंधन जैसे विशेष क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसमें प्रत्येक विभाग आदर्श रूप से विकसित परितंत्र के साथ तालमेल रखने के लिए एक प्रौद्योगिकी का केंद्र होगा. उन्होंने एग्रीस्टैक जैसी पहलों में योगदान पर जोर दिया और एसएचजी और जेएलजी मॉडल से परे उद्यम पूँजी और सूक्ष्मवित्त में भूमिकाओं का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया, विशेष रूप से सहकारी क्षेत्र में क्षमता निर्माण के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक की अद्यतन सूक्ष्मवित्त की परिभाषाओं का समर्थन किया. इसके अतिरिक्त, उन्होंने ग्रामीण रोजगार सृजन और कृषि क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से भारत सरकार की पहलों में सहयोग देने पर भी जोर दिया.
आगे कहते हुए, उन्होंने डेटा वेयरहाउसिंग और डिजिटलीकरण में चल रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए आत्मनिरीक्षण और तकनीकी प्रगति की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने वैश्विक जलवायुगत चुनौतियों के बीच संधारणीय विकास में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और वित्तीय समावेशन और ग्रामीण विकास को बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने रणनीतिक लक्ष्यों को रेखांकित किया, जिनमें साझेदारियाँ बढ़ाने, ग्रामीण एमएसएमई को पुनरुज्जीवित करने और दक्षता व विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना शामिल है. उन्होंने नए अधिकारियों से विशेषज्ञता विकसित करने का आग्रह किया, एक टेक्नोलॉजी वेयरहाउस की योजना पर प्रकाश डाला जो जरूरत पड़ने पर संगठन भर में सुलभ होगा. संगठन की ज्ञान-आधारित प्रकृति पर जोर देते हुए, उन्होंने सभी कर्मचारियों को सरलता से ज्ञान साझा करने और उपलब्ध कराने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि डेटा वेयरहाउस पूरी तरह से चालू होने के बाद इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकेगा.
अंत में, उन्होंने कृषि को कृषि-व्यवसाय में बदलने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण की पैरवी की, जो इक्विटी, रोजगार सृजन और किसान कल्याण की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित हैं, जिसका लक्ष्य नाबार्ड को आने वाले वर्षों में प्रगति का प्रतीक बनाना है.
अगले कार्यक्रम में, "जलवायु जोखिम प्रबंधन और बैंकिंग" पर एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा हुई. पैनल में आईआईटी, बॉम्बे की प्रोफेसर डॉ. तृप्ति मिश्रा; श्री संतोष कुमार सिंह, इंटेलकैप के प्रबंध निदेशक; और डॉ. सत सिंह तोमर, सत्युक्त (एक स्टार्टअप) के सीईओ शामिल थे. चर्चा का संचालन बीसीजी के श्री विवेक अधिया ने किया, जो कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण थे.
इसके बाद, कार्यक्रम में प्रधान कार्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा जारी प्रकाशनों और वीडियो के विमोचन किए गए, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- 1. भारत में सूक्ष्म वित्त की स्थिति 2023-24' – एमसीआईडी द्वारा
- 2. स्प्रिंगशेड विकास कार्यक्रम – सफलता की कहानिया – एफएसडीडी द्वारा पुस्तिका
- 3. जीवा कार्यक्रम की सर्वोत्त पद्धतियों का संग्रह – एफएसडीडी द्वारा
- 4. जनजाति विकास कार्यक्रम – सफलता की कहानियाँ – एफएसडीडी द्वारा पुस्तिका
- 5. कृषक उत्पादक संगठन – सफलता की कहानियाँ - एफएसडीडी द्वारा पुस्तिका
- 6. कृषि-क्षेत्र संवर्धन निधि के अंतर्गत प्रभावशाली पहलें – खंड-2 - एफएसडीडी द्वारा
- 7. क्यूरेटेड इनसाइट्स: खोजी आलेखों का एक संकलन – डॉस द्वारा
- 8. बग की पहचान करें, पुरस्कार पाएँ – डीडीएमएबीआई द्वारा
- 9. आंकड़ो के आगे – सीसीडी द्वारा
- 10. आरआईडीएफ कॉफी टेबल बुमक – ग्रामीण आधारभूत संरचना का निर्माण – एसपीडी द्वारा
- 11. आरआईडीएफ़ वेब पोर्टल में प्रस्ताव प्रस्तुतीकरण और मूल्यांकन मॉड्यूल पर एक लघु वीडियो – एसपीडी द्वारा
- 12. कृषि अवसंरचना कोष पर शैक्षिक वीडियो (6 मिनट की अवधि का) – डॉर द्वारा
- 13. सहमति ज्ञापन की घोषणा – एफपीओ एक्सेलरेटर नाबार्ड स्मार्ट पार्ट्नरशिप – एसपीपीआईडी द्वारा
सुश्री स्मिता मोहंती, महाप्रबंधक, सीपीडी, ने सभी प्रतिभागियों, प्रधान कार्यालय के विभागों-विशेष रूप से डीपीएसपी और सीसीडी-को उनके अमूल्य लॉजिस्टक सपोर्ट के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञाप्ति किया. उन्होंने सेवारत और सेवानिवृत्त बैंक अधिकारियों, जिला विकास प्रबंधकों, अन्य हितधारकों को भी धन्यवाद दिया, जो वर्चुअल रूप से शामिल हुए, और उन सभी के प्रति भी धन्यवाद व्यक्त किया जिनकी उपस्थिति ने इस आयोजन की शानदार सफलता में योगदान दिया.
मीडिया कक्ष