विश्व बैंक और विश्व बैंक समूह की गारंटी शाखा, बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (एमआईजीए) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने आपसी हित के क्षेत्रों पर एमआईजीए, विश्व बैंक और नाबार्ड के बीच सहयोग पर चर्चा के लिए दिनांक 02 अगस्त 2024 को नाबार्ड के प्रधान कार्यालय का दौरा किया. बैठक की अध्यक्षता नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के.वी. ने की और बैठक में उप प्रबंध निदेशक श्री जी एस रावत और उप प्रबंध निदेशक डॉ अजय के सूद ने भी चर्चा में भाग लिया.
विश्व बैंक और एमआईजीए के 07 सदस्यीय दल का नेतृत्व श्री हिरोशी मातानो, कार्यकारी उपाध्यक्ष, एमआईजीए और श्री जुनैद अहमद, उपाध्यक्ष, परिचालन ने किया. प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में भारत कार्यालय के प्रमुख जेई ह्युंग क्वोन, रणनीति प्रबंधक डेविड सैवेज, रेबेका जुएटोंग वांग, अभिनव गोयल, ईटी परामर्शदाता, एमआईजीए और आदर्श कुमार, वरिष्ठ एग्रि-व्यवसाय विशेषज्ञ, विश्व बैंक शामिल थे.
नाबार्ड की ओर से बैठक में सर्वश्री/ श्री सतीश बी. राव, मुख्य महाप्रबंधक, कॉर्पोरेट आयोजना विभाग, डॉ. के इंकरसल, मुख्य महाप्रबंधक, डीसीएएस; संजय घोष, महाप्रबंधक, डीसीएएस, एस आर पंडा, महाप्रबंधक, सीपीडी, सुश्री तृप्ति मिश्रा, उप महाप्रबंधक, सीपीडी, सुश्री शशिरेखा मोहनराज, उप महाप्रबंधक, एसपीपीआईडी, सुश्री रीता चौधरी, उप महाप्रबंधक, बिड और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया.
श्री सतीश बी. राव ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और जलवायु कार्रवाई और अन्य क्षेत्रों में विश्व बैंक और नाबार्ड के सहयोग पर प्रकाश डाला. डॉ. के. इंकारसल, मुख्य महाप्रबंधक, डीसीएएस ने कहा कि ग्रीन क्लाइमेट एक्शन पारस्परिक व्यापार का एक अवसर है और जलवायु वित्त, ऋण वृद्धि और ऋण गारंटी, एमआईजीए और नाबार्ड के बीच सहयोग के अन्य संभावित क्षेत्र हो सकते हैं.
एमआईजीए के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री हिरोशी मातानो ने कहा कि यह नाबार्ड के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों का पता लगाने का एक शानदार अवसर है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन में अनुकूलन और शमन उपायों को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि नाबार्ड, जिसका जमीनी स्तर पर व्यापक नेटवर्क है, के साथ सहयोग अपने हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में विश्व बैंक के लिए अति उपयोगी होगा. उन्होंने नाबार्ड को हरित वर्गीकरण के क्षेत्र में अग्रणी के रूप में स्वीकार किया और नाबार्ड के साथ ज्ञान साझेदारी स्थापित करने में गहरी रुचि दिखाई.
नाबार्ड के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में नाबार्ड और उसकी सहायक कंपनियों के कामकाज, विशेष रूप से हरित ऋण, क्रेडिट गारंटी में तेजी लाने और जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों को विकसित करने के क्षेत्रों में चर्चा की. उन्होंने कृषि दक्षता में सुधार के लिए एग्रि-स्टैक जैसे डेटा-संचालित दृष्टिकोणों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कृषि से लोगों को एमएसएमई और अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने, पीपीपी मोड में ग्रामीण स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना संबंधी हस्तक्षेपों, जलवायु वित्त सुविधा के लिए तकनीकी सहायता, निजी विदेशी संस्थाओं से संसाधनों की सोर्सिंग के लिए और सामान्य कार्बन क्रेडिट उत्पादों में गारंटी घटक को एकीकृत करने के क्षेत्रों में विश्व बैंक और एमआईजीए के साथ साझेदारी का पता लगाया जा सकता है. उन्होंने संकेत दिए कि नाबार्ड का लक्ष्य ग्रीन बॉन्ड जारी करने के माध्यम से संसाधनों में विविधीकरण सहित अपने सभी परिचालनों में जलवायु संबंधी कार्यों को एकीकृत करना है. अंततः, लक्ष्य भारत को जलवायु-अनुकूल तरीके से एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करना है.
तत्पश्चात्, एक इंटरैक्टिव सत्र और विचार-विमर्श किया गया.