नाबार्ड ने ग्लोबल फ़िनटेक फ़ेस्ट 2024 (जीएफ़एफ़ 24) में भाग लिया, जो 28 से 30 अगस्त 2024 तक जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर, मुंबई में आयोजित किया गया था. जीएफएफ 24 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था. नाबार्ड ने अन्य प्रीमियम संगठनों जैसे पीसीआई, एनपीसीआई, एफसीसी, आदि के साथ इस आयोजन के लिए डायमंड प्रायोजक के रूप में भाग लिया था. इस वर्ष की थीम थी, ""वित्त के अगले दशक के लिए ब्लूप्रिंट: जिम्मेदार | समावेशी | लचीला एआई"". नाबार्ड ने फायरसाइड चैट, विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चाएँ आयोजित कीं और एक हैकथॉन भी चलाया. सत्रों में सत्युक्त एनालिटिक्स, ट्रेसेक्स टेक्नॉलोजीज़, इंकोफिन, एनविरॉनाल्गे, नॉर्दर्न आर्क कैपिटल, नाइट फ़िनटेक, एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, डेलॉइट एलएलपी, एक्सिस बैंक, क्रिसिल रिसर्च, आईबीए, म्यूनिकआरई, स्काईमेट वेदर, शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन, एनएसए, इक्विप देसी इन्वेस्टमेंट्स, गाइडस्टार इंडिया, ग्रामीण फाउंडेशन, पे पॉइंट, पे नियरबाइ, इंडिफ़ाई, एसबीआई, और सैटश्योर के प्रतिष्ठित पैनलिस्ट शामिल हुए. सत्रों में नाबार्ड और उसकी सहायक कंपनियों के पैनलिस्ट भी थे. पैनलिस्टों ने अंतिम मील तक पहुंचने के लिए डिजिटल वित्तीय समावेशन, प्रौद्योगिकी में नवोन्मेष, स्मार्ट खेती, सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) और फ़िनटेक सहयोग के संबंध में विभिन्न हस्तक्षेपों पर अपनी बहुमूलय अंतर्दृष्टि विचारार्थ रखी.
नाबार्ड ने हैक-टू-स्किल के सहयोग से 'नेशनल एग्रि-इन्नोवेट हैकथॉन' का आयोजन किया, ताकि नाबार्ड के अधिदेश से जुड़ी समस्याओं के अभिनव, डिजिटल समाधानों की तलाश की जा सके. हैकाथॉन में सात समस्या कथन शामिल थे, जिनमें निविष्टियों की पहुँच और दक्षता बढ़ाना, कृषि सलाहकारी सेवाओं में क्रांति लाना, मूल्य की खोज के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना, कृषि मूल्य श्रृंखला लिंकेज को मजबूत करना, कृषि विकास के लिए डेटा का उपयोग करना, किसान आय और स्थिरता में वृद्धि करना और कृषि मूल्य श्रृंखला में विश्वास और पारदर्शिता का निर्माण करना शामिल है. इसके लिए 3,000 से भी अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं. एल्डू डिजिटल प्राइवेट लि. ने डिजिटल रूपांतरण में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करते हुए अपने उन्नत ईआरपी समाधान के साथ शीर्ष का स्थान प्राप्त किया. रशैल एग्रो प्रथम उप-विजेता और जलयान द्वितीय उप-विजेता रहे.
नाबार्ड और इसकी सहायक कंपनियों से सहयोग प्राप्त फ़िनटेकों ने जैसे ई-किसानक्रेडिट, अडवारिस्क, भारत हाउसिंग नेटवर्क, संयुक्त और रेनाई द्वारा स्टॉल स्थापित किए गए थे.
निम्नलिखित विषयों पर फायरसाइड चैट/ पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं :
- 1. कृषि फ़िनटेक: खेत-से-मेज तक वित्त के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना.
- 2. कृषि आंकड़ा विनिमय: आंकड़ों के माध्यम से भारत के एग्रि-टेक परितंत्र का सशक्तीकरण.
- 3. क्या एक साइज़ में सब फिट हो सकते हैं? डिजिटल और फिजिटल लेंडिंग के जिए बीसी.
- 4. स्मार्ट कृषि: कृषि-टेक स्टार्टअपों के लिए उभरती प्रवृत्तियाँ और अवसर.
- 5. डिजिटल ऋण-वितरण की बारीकियाँ (कृत्रिम मेधा/ मशीन लर्निंग, इत्यादि का फायदा उठाते हुए): सुदृढ़ जोखिम प्रबंधन और विनियामक चौकसी की आवश्यकता.
- 6. ग्रीन बैंकिंग: नवोन्मेषी मॉडलों के साथ वित्तीय परिदृश्यों का रूपांतरण.
- 7. सोशल स्टॉक एक्स्चेंज (एसएसई): संधारणीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक.
फायरसाइड चैट के दौरान, नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के. वी ने ग्रामीण विकास और डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाने में फ़िनटेक और एग्री-टेक द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, और उन्हें एक सफल भविष्य की कुंजी के रूप में चिह्नित किया. उन्होंने डिजिटलीकरण पर जोर देने के साथ-साथ ग्रामीण आधारभूत
संरचना, कृषि, एसएमई और एमएसएमई को बढ़ाने के लिए नाबार्ड की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला.
श्री शाजी ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनुकूलित डिजिटल रूप से सक्षम सेवाएं प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के बीच सहयोग का आह्वान किया, व इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण वित्त को मजबूत करने और गांव की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण महत्वपूर्ण होते हैं.
उन्होंने इस रूपांतरण में एक धैर्यपूर्ण भागीदार के रूप में नाबार्ड की भूमिका की पुन:पुष्टि की, जिससे कृषक उत्पादक संगठन आंदोलन को बढ़ावा दिया जा सके और छोटी संस्थाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत किया जा सके. उन्होंने सभी हितधारकों को ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करने हेतु नवोन्मेषी समाधान उपलब्ध करने में सहयोग प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया, एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जहां प्रौद्योगिकी हर समुदाय को सशक्त बनाती है.
पैनल परिचर्चा में डॉ. अजय कुमार सूद, उप प्रबंध निदेशक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विकास को बढ़ावा देने में बिजनेस करेस्पोंडेंटों (बीसी) की आवश्यक भूमिका पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कॉरपोरेट बैंकों की पहुँच सीमित है. उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटलीकरण महत्वपूर्ण है, बीसी विश्वास बनाने और फिजिटल समाधानों के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.
श्री गोवर्धन सिंह रावत, उप प्रबंध निदेशक ने कृषि को डिजिटल बनाकर एग्रीटेक क्षेत्र को बदलने के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने उच्च पूंजी लागत, जैसी, चुनौतियों का जिक्र किया जो ऋणदाताओं और किसानों दोनों को प्रभावित कर रही हैं और वित्तीय दक्षता में सुधार के लिए इन लागतों को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया. नाबार्ड की पहल कृषि में नवोन्मेषों और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एग्रीस्टैक जैसी डेटा और सहायक प्रणालियों को केंद्रीकृत करने पर जोर देने के साथ-साथ अनुकूलित वित्तीय समाधान प्रदान करने के लिए कृषि लेनदेन डेटा का उपयोग करने पर केंद्रित होती है.
जीएफएफ में नाबार्ड की भागीदारी ने, उसे अपने नवोन्मेषी डिजिटल समाधानों को प्रदर्शित करने, स्टार्टअप और उद्यमियों के साथ जुड़ने, नाबार्ड की पहलों के बारे में जागरूकता पैदा करने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सहायता मिली है. उद्योग के विशेषज्ञों के साथ नेटवर्किंग और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करने से फिनटेक स्पेस में नाबार्ड की उपस्थिति और छवि को बढ़ाने, सहयोग को आकर्षित करने और ग्रामीण विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने में मदद मिली.
मीडिया कक्ष."