नाबार्ड और वित्तीय आसूचना एकक-भारत (एफ़आईयू-आईएनडी) ने 03 सितंबर 2024 को एफआईयू-आईएनडी के प्रधान कार्यालय, नई दिल्ली में धन शोधन निवारण अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों की आवश्यकताओं के प्रभावी कार्यान्वयन में निरंतर समन्वित प्रयासों के एक हिस्से के रूप में एक सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. सहमति ज्ञापन पर श्री विवेक अग्रवाल, निदेशक, एफआईयू-आईएनडी और अतिरिक्त सचिव, राजस्व विभाग, भारत सरकार और श्री शाजी के वी, अध्यक्ष, नाबार्ड ने हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर एफआईयू-आईएनडी की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती श्रुजानी मोहंती, नाबार्ड के पर्यवेक्षण विभाग के मुख्य महाप्रबंधक श्री सुधीर कुमार रॉय और नाबार्ड, नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक-प्रभारी अधिकारी श्री वसीहरन एस एस भी उपस्थित थे.
- i. सहमति ज्ञापन के प्रत्येक पक्ष द्वारा नोडल अधिकारी और वैकल्पिक नोडल अधिकारी की नियुक्ति.
- ii. अपने-अपने संबंधित डेटाबेस में उपलब्ध आसूचनाएँ और जानकारियाँ साझा करना.
- iii. धनशोधन निवारण संबंध (पीएमएल) नियमों के तहत विनियमित कंपनियों/ रिपोर्टिंग कंपनियों द्वारा वित्तीय आसूचना एकक-भारत को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया और तरीके निर्धारित करना.
- iv. विनियमित निकायों/ रिपोर्टिंग निकायों के लिए आउटरीच और प्रशिक्षण आयोजित करना.
- v. नाबार्ड द्वारा विनियमित, विनियमित/ रिपोर्टिंग निकायों में धनशोधन निवारण/ आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबला करने के कौशलों का उन्नयन.
- vi. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) में धन-शोधन निवारण/ आतंकवाद के वित्तपोषण (एएमएल/ सीएफटी) संबंधी जोखिमों और कमजोरियों का आकलन.
- vii. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) में संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) के लिए रेड फ्लैग संकेतकों की पहचान.
- viii. विनियमित निकायों/ रिपोर्टिंग निकायों द्वारा धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), धन-शोधन निवारण (पीएमएल) नियमों और नाबार्ड के दिशानिर्देशों के अनुपालन का पर्यवेक्षण और अनुप्रवर्तन.
- ix. प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तहत एक दूसरे के दायित्वों का अनुपालन.
- x. एएमएल/ सीएफटी अपराधों में टाइपोलॉजी/ प्रवृत्तियों, ऐसे मामलों, जहां प्रतिबंध लगाए गए हैं, आदि के साथ-साथ उपर्युक्त मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तिमाही बैठक का आयोजन करना.