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सूचना का अधिकार

पुनर्वित्त विभाग

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) (ख) के अंतर्गत प्रकाशन के लिए अपेक्षित सूचना
क्र.सं. विवरण सूचना
(ii) विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियाँ और कर्त्तव्य पुनर्वित्त विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निम्नलिखित कर्तव्यों का निर्वहन करते करते हैं: अ) दीर्घावधि पुनर्वित्त:
नाबार्ड के दीर्घावधि पुनर्वित्त के माध्यम से विवेश ऋण पर बल दिया जाता है जिससे आस्ति-सृजन के जरिये पूँजी निर्माण होता है. कृषि में पूँजी निर्माण कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, यह किसानों को मौसम की अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन से संरक्षण देता है और उन्हें संधारणीय आय-प्रवाह उपलब्ध कराता है. इसके साथ ही, अनुषंगी गतिविधियों में पूँजी निर्माण पूरे साल किसानों के आय-प्रवाह को बनाए रखने में सहयोग देता है और उन्हें किसी संकट को सहने के लिए आवश्यक अनुकूलन क्षमता देता है.
आ) अल्पावधि पुनर्वित्त:
नाबार्ड ग्रामीण वित्तीय संस्थाओं को अल्पावधि पुनर्वित्त प्रदान करता है ताकि वे फसल के सीज़न में किसानों को समय पर वित्त उपलब्ध कराने में सक्षम हो सकें.  
इ) प्रत्यक्ष पुनर्वित्त सहयोग (डीआरए)
नाबार्ड जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों के ऋण वितरण संबंधी संसाधनों में वृद्धि लाने हेतु उन्हें प्रत्यक्ष वित्तपोषण प्रदान करने के लिए बहु-उद्देशीय अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराता है.
ई) केसीसी संतृप्ति चरण II:::
किसानों के लिए प्रधान मंत्री के पैकेज के भाग के रूप में माननीय वित्त मंत्री ने केसीसी संतृप्ति के दूसरे चरण के अंतर्गत 2.5 करोड़ किसानों को शामिल करने की घोषणा की ताकि कृषि क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराया जा सके. भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग तथा मात्स्यिकी विभाग ने भी साथ ही साथ दुग्ध संघों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों से जुड़े 1.5 करोड़ डेयरी किसानों और 1 करोड़ मत्स्य किसानों को केसीसी उपलब्ध कराने के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया.
 
(iii)
विभाग में विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व के माध्यम सम्मिलित हैं.
कार्यविधि- पुनर्वित्त जारी करने के संबंध में नीतिगत दिशानिर्देश वार्षिक आधार पर बैंकों को वर्ष के आरम्भ में जारी किए जाते हैं. इस संबंध में नाबार्ड द्वारा समय-समय पर परिचालनात्मक दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं.  
सम्बंधित उपबंध, अधिनियम, नियम – नाबार्ड सामान्य विनियमावली. 1982 का विनियम 11(2)

उत्तरदायित्व - – उत्तरदायित्व के लिए नाबार्ड की नीति का अनुसरण किया जाता है.
(iv)
अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए विभाग द्वारा स्थापित मानदंड
 कृत्यों का निर्वहन नाबार्ड के नियमों और विनियमों, भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त दिशानिर्देशों और विभाग द्वारा जारी विभिन्न नीतिगत परिपत्रों में निर्धारित मानदंडों/ मानकों की संरचना के भीतर किया जाता है. विभिन्न कृत्यों के लिए मानदंडों की रूपरेखा निम्नानुसार है:
1 पुनर्वित्त – दीर्घावधि  
1.1 पात्र संस्थाएँ  
नाबार्ड अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों, लघु वित्त बैंकों, एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई नाबार्ड सहायक कंपनियां और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी भी अन्य वित्तीय संस्था को पुनर्वित्त सहायता देता है.
1.2 पात्र प्रयोजन  
नाबार्ड कृषि और कृषीतर दोनो क्षेत्रों की गतिविधियों के लिए पुनर्वित्त देता है.
1.3. पुनर्वित्त की प्रमात्रा  
पुनर्वित्त की प्रमात्रा समय-समय पर निर्धारित हमारी पुनर्वित्त नीति के पात्रता-मानदंडों के अधीन होती है.
1.4 पुनर्वित्त पर ब्याज दर  
निधियों की लागत, बाजार की स्थितियों आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर पुनर्वित्त पर ब्याज दर की समीक्षा की जाती है.
1.5 चुकौती अवधि
चुकौती अवधि 3 वर्ष से 5 वर्ष तक और उससे अधिक होती है.
2 पुनर्वित्त – मध्यावधि  
2.1. पात्र संस्थाएँ -   सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी बैंक, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक, लघु वित्त बैंक, एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई नाबार्ड सहायक कंपनियां और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित कोई भी अन्य वित्तीय संस्था
2.2 पात्र प्रयोजन
कृषि और अनुषंगी गतिविधियों से सम्बंधित मध्यावधि प्रयोजनों के अंतर्गत सभी निवेश गतिविधियाँ पात्र हैं.  
2.3. पुनर्वित्त की प्रमात्रा
पुनर्वित्त की प्रमात्रा समय-समय पर निर्धारित हमारी पुनर्वित्त नीति के पात्रता- मानदंडों के अधीन होती है.
2.4 पुनर्वित्त पर ब्याज दर 
निधियों की लागत, बाजार की स्थितियों आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर पुनर्वित्त पर ब्याज दर की समीक्षा की जाती है. 
2.5 चुकौती अवधि 
न्यूनतम चुकौती अवधि 18 माह और अधिकतम 3 वर्ष है.  
3.दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि:
इस निधि की घोषणा भारत सरकार द्वारा संघीय बजट 2014-15 में की गई ताकि सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रियायती ब्याज दर पर किसानों को सावधि कृषि ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. यह निधि रु.5000 करोड़ के आरंभिक आबंटन से स्थापित की गई थी. 2024-25 के दौरान इस निधि के अंतर्गत रु 8023.75 करोड़ आबंटित किए गए. नाबार्ड इस निधि से सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा देता है ताकि वे किसानों को रियायती ब्याज दर पर सावधि कृषि ऋण देने में समर्थ हो सकें
4.पुनर्वित्त –अल्पावधि
4.1-अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन)
किसानों को समय पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों द्वारा ऋण देने की उत्पादन-उन्मुख प्रणाली का अनुसरण किया जाता है. इस प्रणाली में ऋण आवश्यकता के आकलन और उर्वरकों, कीटनाशकों आदि जैसी निविष्टियों की खरीद के लिए ऋण के प्रावधान जैसी विशेषताएँ हैं. इसके अंतर्गत प्रत्येक फसल और जिले के लिए वित्तमान तय किए जाते हैं और ऋण देने और उसकी वसूली में फसल के मौसम का पालन सुनिश्चित किया जाता है. वार्षिक ऋण सीमा की मंजूरी के माध्यम से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के लिए राज्य सहकारी बैंकों को वार्षिक ऋण सीमा की मंजूरी के जरिये उत्पादन के प्रयोजन से रियायती ब्याज दर पर पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जाता है. मंजूर की गई ऋण सीमा से प्रत्येक आहरण 12 माह की अवधि के भीतर चुकौती-योग्य होता है.  
4.2 अल्पावधि ऋण पुनर्वित्त निधि: एसटीसीआरसी और एसटीआरआरबी

पुनर्वित्त भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के प्राथमिकता क्षेत्र ऋणीकरण में की गई कमी की राशि से गठित अल्पावधि सहकारी ऋण (एसटीसीआरसी) निधि और अल्पावधि क्षेग्रा बैंक (सटीआरआरबी) पुनर्वित्त निधि से दिया जाता है.

इस निधि का उद्देश्य अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) हेतु सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड के संसाधनों में वृद्धि करना है. इस निधि में ऐसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अंशदान करते हैं जिन्होंने रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्राथमिकता क्षेत्र के लिए निर्धारित लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों को हासिल करने में कमी की हो. तदनुसार बैंक प्रत्येक वर्ष के बजट में घोषित समूह निधि में अंशदान करते हैं. नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को यह अल्पावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए खुले बाजार से उधार लेकर इस निधि की अनुपूर्ति करता है. वर्ष 2024-25 के दौरान एसटीसीआरसी निधि के अंतर्गत रु..32,079.11 करोड़ और एसटीआरआरबी निधि के अंतर्गत रु.7023.74 करोड़ आबंटित किए गए.
4.3 अतिरिक्त अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन)
ग्रामीण वित्तीय बैंकों की बढ़ती मांग को देखते हुए और उन्हें तरलता संबंधी बाधाओं का सामना करने में मदद करने के लिए नाबार्ड ने 2016-17 के दौरान एसटीसीबी और आरआरबी को सामान्य एस.टी. (एस.ए.ओ.) सीमा के अतिरिक्त अतिरिक्त अल्पावधि पुनर्वित्त (एस.ए.ओ.) उपलब्ध कराने के लिए नई ऋण व्यवस्था शुरू की।
4.4 अल्पावधि (अन्य) और बुनकर
बैंको को अल्पावधि (अन्य) और बुनकर सीमा मंजूर की जाती है ताकि वे अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) सीमा में शामिल प्रयोजनों से इतर प्रयोजनों, नामतः कृषि और अनुषंगी गतिविधियों, फसलों के विपणन, मात्स्यिकी क्षेत्र आदि के लिए और प्राथमिक/ शीर्ष/ क्षेत्रीय बुनकर सहकारी समितियों, राज्य हथकरघा विकास निगम आदि की कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं के लिए अल्पावधि ऋण उपलब्ध करा सकें.
5. पुनर्वित्त – मध्यावधि परिवर्तन
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के, मध्यावधि स्थिरीकरण व्यवस्था के अंतर्गत परिवर्तित/ पुन:अनुसूचित/ पुनःचरणीकृत किए गए ऋणों के समक्ष राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा उपलब्ध है. राज्य सहकारी बैंक के मामले में परिवर्तन सुविधा में नाबार्ड की भागीदारी 60%, राज्य सरकार की 15% और राज्य सहकारी बैंक की 25% होती है और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के मामले में नाबार्ड की भागीदारी 70%, प्रायोजक बैंक की 25% और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 5% होती है.
6. पुनर्वित्त - अल्पावधि - प्रत्यक्ष पुनर्वित्त सहयोग (डीआरए)
6.1 पात्र संस्थाएँ क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी की गई नवीनतम निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार सुशासित और वित्तीय रूप से सुदृढ़ ‘A’ और ‘B’ श्रेणी रेटिंग वाले राज्य सहकारी बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को ऋण सीमा मंजूर की जाएगी. इसके अलावा, ‘C’ रेटिंग वाले राज्य सहकारी बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को डीआरए के अंतर्गत ऋण सीमा तब उपलब्ध कराई जाएगी यदि वह ऋण राशि के 110% के बराबर पात्र संपार्श्विक सुरक्षा के विरुद्ध सुरक्षित है.
6.2 पात्र गतिविधियाँ
शाखाओं/ पैक्स/ अन्य समितियों के माध्यम से कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं, कृषि उपकरण और अन्य उपयोगी आसित्यों की मरम्मत और अनुरक्षण, उत्पाद के भंडारण/ ग्रेडिंग/ पैकेजिंग, फसलोपरांत और विपणन गतिविधियों, फसल ऋण (यदि व्यक्तिशः आवश्यकता ₹3 लाख से अधिक हो), राष्ट्रीय खाद्य ऋण कॉन्सोर्टियम में सहभागिता जैसे विभिन्न प्रयोजनों के लिए व्यक्तिशः/ संस्थाओं को मंजूर किए गए ऋणों के प्रति डीआरए के अंतर्गत पात्र पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है.
6.3 पुनर्वित्त की मात्रा
पात्र बैंकों हेतु नाबार्ड से उपलब्ध पुनर्वित्त सहायता की मात्रा पात्र प्रयोजन हेतु उन्हें मंजूर की गई राशि का 100% तक है.
चीनी फ़ैक्टरी हेतु राज्य सहकारी बैंकों/ मध्यवर्ती सहकारी बैंकों द्वारा मंजूर की गई ऋण सीमा के 75% तक नाबार्ड से वित्तीय सहायता उपलब्ध है 6.4 सीमा की प्रकृति
6.4.1 वार्षिक (12 महीने तक ब्याज की निश्चित और अस्थिर दरों के साथ)/ त्रैमासिक ऋण सीमा (निश्चित दर 90 दिन)
6.4.2 स्वीकृत ऋण सीमा नकद ऋण सुविधा की प्रकृति में होगी और सहकारी बैंक स्वीकृति की तारीख से 12 महीने के भीतर जितनी बार आवश्यक हो उतनी बार आहरण और पुनर्भुगतान कर सकते हैं, बशर्ते खाते में बकाया ऋण स्वीकृत ऋण सीमा से अधिक न हो।
7. राज्य सरकार को दीर्घावधि ऋण 
नाबार्ड सहकारी ऋण संस्थाओं (राज्य/ जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, राज्य/ प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, पैक्स, एफएसएस, लैम्प्स) की शेयर पूँजी में अंशदान के लिए राज्य सरकार को 12 वर्ष तक के लिए दीर्घावधि ऋण उपलब्ध कराता है ताकि इन संस्थाओं के शेयर पूँजी आधार को मजबूत किया जा सके और इस प्रकार उनकी ऋण लेने की शक्ति बढे और वे कुछ शर्तों के अधीन बृहत्तर ऋणीकरण कार्यक्रम चलाने में समर्थ हों.
8. किसान क्रेडिट कार्ड  
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना 1998-99 में एक नवोन्मेषी ऋण प्रदाय तंत्र के रूप में शुरू की गई थी जिसका लक्ष्य किसानों को आवश्यक निविष्टियों की खरीद सहित खेती के लिए लचीले, सुविधाजनक और किफायती तरीके से पर्याप्त और समय पर बैंकिंग प्रणाली से ऋण सहायता उपलब्ध कराना था. बैंकों को सूचित किया गया है कि वे सभी पात्र किसानों को केसीसी जारी करें. केसीसी योजना को एक बार के दस्तावेजीकरण, ऋण सीमा में लागत वृद्धि के अनुरूप वृद्धि की अन्तर्निहित व्यवस्था, एटीएम-समर्थित डेबिट कार्ड आदि सुविधाओं के माध्यम से सरल बनाया गया है. केसीसी के विद्यमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत ऋण सीमा 05 वर्ष के लिए मंजूर की जाती है और लाभार्थियों के लिए आहरण और चुकौती को आसान और लचीला बनाया गया है. अल्पावधि कृषि ऋण के अलावा, केसीसी का लाभ पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के लिए कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी उठाया जा सकता है। 31 मार्च 2025 तक सहकारी बैंकों और आरआरबी द्वारा जारी कुल केसीसी 4,81,94,483 थे, जिनकी बकाया राशि 4,19,096.68 रुपये थी।
(v)
विभाग द्वारा या विभाग के नियंत्रणाधीन धारित या विभाग के कर्मचारियों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए प्रयोग किए गए नियम, विनियम, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख
सन्दर्भ के लिए निम्नलिखित मैनुअल तैयार किए गए हैं जिनमें मोटे तौर पर नीतियों, कार्यविधियों/ नियमों, दस्तावेजीकरण आदि का विवरण दिया गया है:
(i)अल्पावधि मैनुअल
(ii)दीर्घावधि मैनुअल

(iii)आतंरिक और बाह्य परिपत्रों को बैंक के इंट्रानेट पर स्टाफ को उपलब्ध कराया जाता है और बाह्य परिपत्रों को बैंक की वेबसाइट (www.nabard.org) पर डाला जाता है.
दिशानिर्देशों/ परिचालनात्मक अनुदेशों में समय-समय पर परिपत्र जारी कर आशोधन किया जाता है और इन परिपत्रों को भी वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.  
(vi)
विभाग द्वारा या विभाग के नियंत्रणाधीन धारित दस्तावेजों के प्रवर्गों का विवरण
पुनर्वित्त जारी करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजीकरण किया जाता है -
 दीर्घावधि पुनर्वित्त जारी करना  
अ. सभी एजेंसियों के लिए सामान्य पुनर्वित्त करार, उधारकर्ता संस्थाओं द्वारा निष्पादित बोर्ड का संकल्प और चूक की स्थिति में सम्बंधित संस्था के भारतीय रिज़र्व बैंक स्थित/ प्रधान बैंकर के पास स्थित खाते को डेबिट करने का अधिदेश.
आ. राज्य सहकारी बैंकों, जो निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करते, और राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों के मामले में राज्य सरकार की गारंटी.  
इ. सरकार की गारंटी (जहाँ भी आवश्यक हो) न मिलने की स्थिति में वैकल्पिक प्रतिभूतियों, जैसे सरकारी प्रतिभूतियों के बंधक या अनुसूचित बैंकों द्वारा या अच्छा काम करने वाले राज्य सहकारी बैंकों द्वारा जारी सावधि जमा रसीदों के बंधक पर इस संबंध में नाबार्ड द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुपालन के अधीन विचार किया जा सकता है.
ई. एनबीएफसी/ एनबीएफसी-एमएफआई के मामले में समनुदेशन करार/ बही ऋणों, सुपुर्दगी पत्र और डीपी नोट तथा ऋणों/ प्रतिभूतियों की रसीद का दृष्टिबंधक.
अल्पावधि पुनर्वित्त जारी करना
अ. राज्य सहकारी बैंक/ क्षेग्रा बैंक द्वारा – ऋण करार, अधिदेश, डीपी नोट, अनतिदेय कवर विवरण
आ.. गैर-अनुसूचित एसटीसीबी जो नाबार्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित सीआरएआर मानदंडों को पूरा करते हैं, वे सरकारी गारंटी के तहत या सरकार की प्रतिज्ञा के खिलाफ क्रेडिट सीमा की मंजूरी के लिए पात्र होंगे। /अनुमोदित प्रतिभूतियां और/या अनुसूचित बैंकों की एफडीआर की गिरवी।
डीआरए की मंजूरी/ रिलीज़ मंजूरी-पूर्व प्रक्रियाओं में ऋण प्रदायगी, इनवर्ड रजिस्ट्री, प्रारंभिक जाँच, ऋण मूल्यांकन शामिल है - मंजूरी-प्रक्रियाओं में मंजूरी पत्र जारी करना, और मंजूरी-पूर्व प्रक्रियाओं हेतु टर्नअराउंड टाइम (टीएटी) शामिल है. - मंजूरी-पश्चात् प्रक्रियाओं में दस्तावेजीकरण, संवितरण प्रक्रिया, संवितरण हेतु शक्ति का प्रत्यायोजन, संवितरण-पश्चात् प्रक्रिया, दंडात्मक प्रभार, दबावग्रस्त आस्ति प्रबंधन और आलेखों का संरक्षण शामिल हैं.
 
(vii)
ऐसी व्यवस्थाओं के अलग-अलग विवरण जो विभाग की नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संदर्भ में जनता के सदस्यों से परामर्श या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं.
बैंकों, किसानों, ग्रामीण उद्यमियों, जनता के सदस्यों से जिला कार्यालयों, बैठकों, कार्यशालाओं, अध्ययनों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि के माध्यम से प्रतिसूचना (फीडबैक) प्राप्त की जाती है और नीतियों/ कार्यक्रमों की वार्षिक समीक्षा के दौरान तथा विभाग के लिए नई वार्षिक नीतियाँ और कार्यक्रम तैयार करते समय उन्हें ध्यान में रखा जाता है.
(viii)
ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों या अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका विभाग के भागरूप में या इस विषय में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है, और इस विषय में, कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों या अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुँच होगी, विवरण
नाबार्ड के निदेशक बोर्ड या निदेशक बोर्ड की विभिन्न समितियों से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद पुनर्वित्त विभाग की पुनर्वित्त नीति/ तौर-तरीकों को प्रभावी किया जाता है. बोर्ड/ समितियों की बैठकें/ उन बैठकों के कार्यवृत्त जनता के लिए खुले नहीं हैं.
(ix)
विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका
अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका -
(x)
विभाग के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक, जिसके अंतर्गत प्रतिकर की प्रणाली भी है जो उसके विनियमों में यथा-उपबंधित हो.
यहाँ क्लिक करें -
(xi)
सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्ययों और किए गए संवितरणों पर रिपोर्टों के अलग-अलग विवरण उपदर्शित करते हुए विभाग के प्रत्येक अभिकरण (एजेंसी) को आबंटित बजट
आबंटित बजट और किए गए संवितरण:
दीर्घावधि पुनर्वित्त –31.03.2025 की स्थिति के अनुसार

रु. करोड़ में

एजेंसी
2024-25 के लिए लक्ष्य
31.03.2025 की स्थिति के अनुसार उपलब्धि
लघु वित्त बैंक सहित वाणिज्यिक बैंक
138963.00
58372.00
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
24184.00
10242.15
राज्य सहकारी बैंक
21246.00
12281.54
राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
3465.00
2578.41
एनबीएफसी (एनबीएफसी-एमएफआई सहित)
16878.00
11270.00
नाबार्ड की सहायक संस्थाएँ (नैबकिसान/ नैबफिन्स/ नैबसमृद्धि)
2535.00
4654.36
राज्य सरकारों को ऋण
0 0
कुल
207271.00
99398.46
अल्पावधि पुनर्वित्त –31.03.2025 की स्थिति के अनुसार

रु. करोड़ में

एजेंसी
2024-25 के लिए लक्ष्य
31.03.2025 की स्थिति के अनुसार उपलब्धि
अल्पावधि – मौसमी कृषि परिचालन
75000.00
39102.85
राज्य सहकारी बैंक
75000.00
32079.11
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
7023.74
कुल
75000.00
39102.85
अतिरिक्त अल्पावधि (मौकृप)
78248.00
102216.76
अल्पावधि (अन्य) और बुनकर
26083.00
47400.43
लघु वित्त बैंक
100.00
162.69
एसएलएफ -3
0.00
0.00
कुल
179431.00
188882.73

सहकारी बैंकों को प्रत्यक्ष पुनर्वित्त सहायता (डीआरए)

रु. करोड़ में

2024-25 के लिए लक्ष्य 31.03.2025 की स्थिति के अनुसार उपलब्धि
23510.00 37216.62

&(xiii)); वह भाषा जिसमें मैनुअल/ पुस्तिकाएँ उपलब्ध हैं.
(i) अल्पावधि और दीर्घावधि मैनुअल अंग्रेजी में हैं.
(ii) सभी परिपत्र द्विभाषिक हैं.
& (XIII) मैनुअल/ पुस्तिका को अंतिम बार कब अद्यतन किया गया? 
अल्पावधि और दीर्घावधि मैनुअलों को अंतिम बार 2017-18 में अद्यतन किया गया.
& (XIV) इलेक्ट्रोनिक रूप में उपलब्ध सूचना
सभी परिपत्र और संगत सूचनाएँ सॉफ्ट फॉर्म में नाबार्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
(XV)
संगठन की सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं का विवरण
नाबार्ड में परिवाद/ शिकायत निवारण तंत्र स्थापित है. व्यक्तियों/ एजेंसियों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना माँगी जा सकती है.
((XVI))
ऐसी अन्य सूचनाएँ जो इस धारा के अंतर्गत निर्धारित हैं.  
परिवाद निवारण पोर्टल, वेबमास्टर और ई-मेल के मध्यम से अल्पावधि और दीर्घावधि पुनर्वित्त, से सम्बंधित सभी परिवादों/ शिकायतों का उत्तर दिया जाता है. अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआईपी) से प्राप्त सन्दर्भों और सूचना का अधिकार के अंतर्गत माँगी जाने वाली सूचनाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं.

सूचना का अधिकार