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प्रौद्योगिकी के साथ पारंपरिक बुनाई
आंध्र प्रदेश
पहल
पोचमपल्ली साड़ी बुनाई का स्वचालन
लाभार्थी
आंध्र प्रदेश के वे बुनकर जो हाथकरघा संचालन की कठिनाई से जूझ रहे थे
चुनौती
बुनाई की मैन्युअल प्रक्रिया में 10 किलोग्राम वज़न उठाकर दिन में 9,000 बार पैडल दबाना शामिल था
यह अत्यधिक शारीरिक गतिविधि बुनकरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही थी, और दूसरों की इस कार्य में रुचि कम हो रही थी
उपाय
नाबार्ड ने नलगोंडा ज़िले के श्री चिंतकिंडी मल्लेशम को एक ऐसी मशीन डिज़ाइन करने में सहायता प्रदान की, जिसने बुनाई की प्रक्रिया को आंशिक रूप से मशीनीकृत कर दिया है
प्रभाव
पोचमपल्ली परंपरा में टाई-एंड-डाई रेशमी साड़ी बनाने की प्रक्रिया ‘लक्ष्मी आसू मशीन’ से सरल हुई; श्रम में 99% की कमी आई
बुनकरों को प्रतिदिन 8-9 घंटे की बचत होने से उत्पादन दोगुना हुआ
स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों में कमी और शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन में गिरावट