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स्पष्टीकरण

बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित समाचार पर स्पष्टीकरण
  
 
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित लेख: "किसानों की कीमत पर ग्रामीण महलों का निर्माण" पर नाबार्ड का उत्तर
 
1. दिनांक 19 मार्च 2014 के बिजनेस स्टैंडर्ड में श्री सी एल देधीच  का  "किसानों की कीमत पर ग्रामीण महलों का निर्माण"  शीर्षक से  एक लेख प्रकाशित किया गया. इस संबंध में, हम नाबार्ड द्वारा संचालित ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि से संबन्धित वास्तविक स्थिति प्रस्तुत करना चाहेंगे. 
 
2. लेखक का यह तर्क कि बैंक आरआईडएफ के अंतर्गत प्राप्त निक्षेपों को तरजीह देते हुए किसानों के लिए निर्धारित अत्यावश्यक ऋण  को राज्य सरकारों को देता है,  पूर्णतः भ्रामक और असत्य है. इसे इस तरह से समझा जा सकता है : 
  • आरआईडएफ के निक्षेप उन  बैंकों से प्राप्त होते हैं, जिन्होंने पहले ही प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लिए निर्धारित ऋण संवितरण का लक्ष्य पूरा नहीं किया है और न कि इसके विपरीत. इसके अतिरिक्त,  केवल आरआईडएफ निक्षेप  में  निवेश को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण के रूप में गणना नहीं की जाती है. 
  • भारतीय रिजर्व बैंक के आरआईडएफ पर दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों को उनके निक्षेपों  (प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत प्रदत्त ऋण की कमी की राशि पर निर्भर करता है) पर बैंक दर से 2% से लेकर 5% कम दर से ब्याज दिया जाता है, जो वर्तमान में 7% से लेकर 4%(सकल) के दायरे में रहता है. इसलिए लेखक का यह आरोप कि  आरआईडएफ निक्षेपों पर 6.5% ब्याज दर होता है, त्रुटिपूर्ण है. 
  • लेखक ने आरआईडएफ निक्षेपों पर 6.5% के सकल ब्याज दर को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋणों के 4.5%  के निवल रिटर्न के साथ अतर्कपूर्ण तरीके से तुलना करने की कोशिश की है. यदि हम आरआईडएफ निक्षेपों की वेटेड औसत लागत पर ध्यान दें, तो आरआईडीएफ निक्षेपों से प्राप्त रिटर्न ऋणात्मक हो जाएगा और इस प्रकार बैंकों के लिए आरईडीएफ निक्षेपों  में निवेश घाटे का सौदा हो जाएगा. 
3. भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2012-13 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में प्राथमिकता  प्राप्त क्षेत्र में ऋण में कमी की राशि  क्रमशः रु.1.35 लाख करोड़ और रु. 0.22 लाख करोड़ रही है. इसके समक्ष वर्ष 2013-14 के लिए आरआईडएफ में आबंटित रु. 20,000 करोड़ की राशि बहुत कम( 12.7%) है. 
 
4. राज्य सरकारों ने आरईडीएफ  के अंतर्गत उपलब्ध ऋणों  का उपयोग कृषि क्षेत्र में आवश्यक पूंजी निर्माण और महत्वपूर्ण ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं के निर्माण के लिए किया है.  इसके अंतर्गत प्राप्त ऋणों से सिंचाई, वाटरशेड विकास, ग्रामीण कनेक्टिविटी, वेअर हाउसों  के निर्माण के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में पेयजल सुविधाएं, स्कूल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए भी किया जाता है. आरआईडीएफ  योजना के अंतर्गत आरंभ से अब तक रु. 1,40,948 करोड़ की राशि संवितरित की जा चुकी है और 216 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता, 3.74 लाख किलोमीटर की  ग्रामीण सड़कों और 109 लाख नियमित रोजगार सृजित किए गए हैं. आईआईटी बंगलुरु, आईआईएम लखनऊ,आईआईटी रुड़की, मिटकॉन  ने अपने मूल्यांकन अध्ययन में रिपोर्ट किया है कि इस वजह से फसल सघनीकरण, उपज , आय में वृद्धि के साथ-साथ लोगों के जीवन यापन के स्तर  में सुधार आया है और आरईडीएफ  के परियोजना क्षेत्रों में वाणिज्य बैंकों/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/ सहकारी बैंकों के ऋण प्रवाह में भी अच्छी वृद्धि देखी गई है. 
 
5. आरईडीएफ  के बदौलत प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में ऋण  विस्तार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है, जबकि लेखक का कहना है कि आरईडीएफ  के कारण किसान  ऋण से वंचित हुए हैं. इससे कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण को बढ़ावा मिला है और परियोजना क्षेत्रों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वास्तविक सुधार आया है.