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वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए योजनाबद्ध ऋण वितरण हेतु पुनर्वित्त नीति – राज्य सहकारी बैंक (रास बैंक)
 

25 मार्च 2019

सं.राबैं.पुनर्वित्‍त /3204/ पीपीएस - 9/2018-19
परिपत्र सं.77/ डीओआर - 23/ 2019

प्रबंध निदेशक
सभी राज्य सहकारी बैंक

महोदया/ प्रिय महोदय,

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए योजनाबद्ध ऋण वितरण हेतु पुनर्वित्त नीति - राज्य सहकारी बैंक (रास बैंक)

वित्त वर्ष 2019-20 हेतु योजनाबद्ध ऋण के लिए राज्य सहकारी बैंक के पुनर्वित्त नीति को अंतिम रूप दिया गया है और इसे हम इसके साथ भेज रहे हैं. यह नीति इस संबंध में वर्तमान नीतियों का अधिक्रमण करती है.

2. यह परिपत्र नाबार्ड की वेबसाइट www.nabard.org पर टैब इन्फर्मेशन सेंटर के अंतर्गत भी उपलब्ध है.

3. कृपया पावती दें.

भवदीय,

(जी आर चिंताला))
मुख्य महा प्रबंधक

संलग्‍नक : 8 पृष्‍ठ

योजनाबद्ध ऋण वितरण के लिए पुनर्वित्त नीति - वित्तीय वर्ष 2019-20

1. परिचय
नाबार्ड, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 की धारा 25(i)(क) के प्रावधानों के अधीन अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं को कृषि क्षेत्र में निवेश गतिविधियों, अनुषंगी गतिविधियों और ग्रामीण कृषीतर क्षेत्र आदि को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त ऋण प्रदान करने के लिए उनके संसाधनों के अनुपूरक के रूप में दीर्घावधि पुनर्वित्त सहायता प्रदान करता है.

2. दीर्घावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के उद्देश्य निम्नप्रकार हैं:
नाबार्ड के दीर्घावधि पुनर्वित्त के उद्देश्य निम्नानुसार हैं :

  • i. कृषि क्षेत्र के संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि पूंजी निर्माण को सहयोग देना.
  • ii. ऋण प्रवाह को बल क्षेत्र की गतिविधियों के संवर्धन हेतु ले जाना.
  • iii. संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की ऋण जरूरतों को पूरा करना.
  • iv. कृषीतर क्षेत्र की गतिविधियों के लिए सहयोग देकर ग्रामीण क्षेत्र में वैकल्पिक रोजगार की सुविधाओं का संवर्धन.

3. निभाव की प्रकृति
बैंकों को उनके द्वारा विभिन्‍न प्रयोजनों के लिए किए गए संवितरण के संबंध में पुनर्वित्‍त सहायता निम्‍नलिखित दो प्रकार से प्रदान की जाती है:

  • 3.1 स्वचालित पुनर्वित्त सुविधा (एआरएफ)
    स्वचालित पुनर्वित्त सुविधा गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों को पूर्व-स्वीकृति की औपचारिकताओं की व्यापक प्रक्रिया से गुजरे बिना नाबार्ड से वित्तीय निभाव प्राप्त कराती है. गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों से अपेक्षा है कि वे अपने स्तर पर प्रस्तावों का मूल्यांकन करेंगे और उधारकर्ता को वित्त प्रदान करेंगे. इसके बाद बैंक नाबार्ड से घोषणा (आहरण आवेदन) के आधार पुनर्वित्त के लिए दावा करेगा. आवेदन में पुनर्वित्त दावे के विभिन्न उद्देश्यों और संवितरित ऋण राशि का उल्लेख रहेगा. ऐसे मामलों में नाबार्ड पुनर्वित्त की स्वीकृति और संवितरण एक साथ करेगा.
    कृषि क्षेत्र (एफएस) और कृषीतर के अधीन सभी परियोजनाओं के लिए पुनर्वित्‍त, बैंक ऋण अथवा कुल वित्‍तीय परिव्‍यय की मात्रा की किसी उच्‍चतम सीमा के बिना स्‍वतः पुनर्वित्‍त सहायता प्रदान की जाती है.
  • 3.2 पूर्व-मंजूरी
    बैंक अगर पूर्व मंजूरी प्रणाली के अंतर्गत पुनर्वित्त का लाभ लेना चाहे तो, इन्हें नाबार्ड के अनुमोदन हेतु परियोजना प्रस्तुत करना आवश्यक है. मंजूरी से पूर्व इसकी तकनीकी साध्यता, वित्तीय व्यवहार्यता और बैंक साध्यता का निर्णय करने के लिए नाबार्ड इन परियोजनाओं का मूल्यांकन करेगा.

4. पात्रता मानदंड

  • 4.1 नाबार्ड से पुनर्वित्त के आहरण के लिए पात्रता मानदंडों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है. वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित पात्रता मानदंड निम्नानुसार हैं:
    • i. न्यूनतम 9.00% सीआरएआर का अनुपालन करने वाले राज्‍य सहकारी बैंकों को ही पुनर्वित्त स्वीकृत करने पर विचार किया जाएगा. जिन जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंकों का सीआरएआर 9.00% से कम होगा, उनके लिए संबंधित राज्‍य सहकारी बैंक को पुनर्वित्त उपलब्ध नहीं होगा.
    • ii. निवल अनर्जक आस्तियां (एनपीए) बकाया निवल ऋणों/ अग्रिमों 20% से अधिक न हों. इसके अलावा पूरे बैंक की एनपीए की स्थिति की गणना की जाएगी.
    • iii. बैंक निवल लाभ में हो.
    • iv. सिर्फ ‘ए’ या ‘बी’ लेखा परीक्षा वर्गीकरण वाले रास बैंक/ मस बैंक पात्र हैं.
  • 4.2 1 अप्रैल 2019 से 30 सितंबर 2019 के दौरान पात्रता मानदंड और जोखिम आकलन 31.03.2018 अथवा 31.03.2019 (यदि 31.03.2019 की लेखा परीक्षित स्थिति उपलब्ध है) के अनुसार उनके लेखापरीक्षित वित्तीय स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाएगा. 1 अक्तूबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक वह 31.03.2019 की लेखापरीक्षित वित्तीय स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाएगा. 1 अक्तूबर 2019 को अथवा उसके बाद ऐसे रास बैंकों को मंजूरी या आहरण की अनुमति तभी प्रदान की जाएगी जिनकी लेखा परीक्षा पूर्ण हो चुकी हो और जिन्होंने संबन्धित लेखा परीक्षा रिपोर्ट नाबार्ड के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की हो.
  • 4.3 लेखा परीक्षा रिपोर्ट और नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्ट में उल्लिखित वित्तीय मानदंडों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन किए जाने की स्थिति में पात्रता निर्धारण के लिए नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्ट को माना जाएगा.
  • 4.4 सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं सहित कृषि और कृषीतर क्षेत्र दोनों के अंतर्गत पुनर्वित्त आहरण के लिए पात्रता मानदंड लागू होंगे.

5. पात्र प्रयोजन

  • 5.1 आहरण आवेदन तिथि को बैंक के बही खातों में 18 महीने से अधिक की परिपक्‍वता अवधि शेष के कृषि सूक्ष्‍म, छोटे और मध्‍यम उद्यम और अन्‍य पात्र ऋण पुनर्वित्‍त के लिए पात्र होंगे.
  • 5.2 कृषीतर और अन्‍य क्षेत्रों में शामिल गतिविधियों की सूची अनुबंध 1 में दी गई है. यह सूची उदाहरणात्‍मक है न कि परिपूर्ण. शामिल न की गई गतिविधि,यां यदि वे कृषि और ग्रामीण विकास के प्रसार में सहायक हैं, वे भी पुनर्वित्‍त के लिए पात्र होंगी.
  • 5.3 बल क्षेत्र
    बल क्षेत्र में भूमि विकास, लघु व सूक्ष्म सिंचाई, जल बचाव और जल संरक्षण उपकरण, मत्स्य पालन, पशुपालन, स्वयं सहायता समूह/ संयुक्त देयता समूह /रैतु मित्र समूह (आरएमजी), एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर, ग्रामीण आवास, कृषि प्रसंस्करण, बंजर भूमि विकास, शुष्क भूमि कृषि, ठेका कृषि, क्षेत्र विकास योजनाएं, बागान और बागबानी, कृषि वानिकी, बीज उत्पादन, टिश्यू कल्चर प्लांट प्रोडक्शन, कृषि विपणन आधारभूत संरचना (शीतगृह, गोदाम, मार्केट यार्ड आदि सहित) कृषि उपकरण, अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत, पहले लागू किए गए वाटरशेड और जनजाति विकास कार्यक्रमों के क्षेत्र में वित्तपोषण शामिल हैं.
    बैंकों को बागान और बागवानी क्षेत्रों के अंतर्गत विविध गतिविधियों के लिए नवोन्मेषी/बल क्षेत्रों जैसे उच्च मूल्यवाली विदेशी प्रजातियों वाली सब्जियां, नियंत्रित स्थितियों जैसे पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस में उगने वाले कटफ्लावर्स, मशरूम, टिश्यूकल्चर लैब जैसे हाइटेक निर्यातोन्मुख उत्पाद यूनिटों की स्थापना, सब्जियों और फलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रीसीज़न फार्मिंग, फलोद्यान और बागान फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों की स्थापना हेतु वित्तपोषण को प्राथमिकता देनी चाहिए

6. पुनर्वित्त की प्रमात्रा
सिक्किम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र (असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मीजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा), पर्वतीय क्षेत्र (जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह), लक्ष्‍वद्वीप और छत्तीसगढ़ को सभी प्रयोजनों के लिए पुनर्वित्‍त सहायता की प्रमात्रा पात्र बैंक ऋणों का 100% होगी. अन्य क्षेत्रों के लिए पुनर्वित्त सहायता निम्नानुसार होगी:

  • क) सभी बल क्षेत्रों के लिए 100% जैसा कि क्रम संख्या 5.3 पर निर्दिष्ट किया गया है;
  • ख) अन्य सभी विविध प्रयोजनों के लिए 95%

7. पुनर्वित्‍त की मात्रा

  • 7.1 पुनर्वित्त की मात्रा जोखिम रेटिंग मॉड्यूल के अनुसार निर्धारित की जाएगी और एनबीडी 1 से एनबीडी 9 में वर्गीकृत की जाएगी. पुनर्वित्त की मात्रा का वर्ग-वार विवरण नीचे दिया गया है:
    मानदंड पुनर्वित्त की मात्रा
    एनबीडी 1 से एनबीडी 3 (अंक >60 और ≤ 100) राज्य/ बैंक के लिए समग्र आबंटन के अधीन पुनर्वित्त की प्रप्रमात्रा अप्रतिबंधित रहेगी
    एनबीडी 4 और एनबीडी 4 (अंक > 50 और ≤ 60) पुनर्वित्त की मात्रा पिछले वर्ष आहरित पुनर्वित्त से 25% ज्यादा/ संबंधित राज्‍य सहकारी बैंक/ जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान सावधि ऋणों हेतु वितरित आधार स्तरीय ऋण का 90% - इनमें से जो भी अधिक हो.
    एनबीडी 6 और एनबीडी 5 (अंक > 40 और ≤ 50) पुनर्वित्त की मात्रा पिछले वर्ष के दौरान आहरित पुनर्वित्त से 10% अधिक/ संबंधित राज्‍य सहकारी बैंक/ जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान सावधि ऋणों हेतु वितरित आधार स्तरीय ऋण का 80%, - इनमें से जो भी अधिक हो.
    एनबीडी 6 से एनबीडी 9 (अंक ≤ 40) बैंक पुनर्वित्त के लिए पात्र नहीं होगा
  • 7.2 पूर्वी क्षेत्र के राज्यों (पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, बिहार, झारखंड और अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह) के लिए ऋण-प्रवाह में वृद्धि करने की दृष्टि से, सिक्किम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र, पर्वतीय राज्यों (जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) लक्षद्वीप और छत्तीसगढ़ के लिए श्रेणीवार पात्रता मानदंड निम्नानुसार हैं:
    मानदंड पुनर्वित्त की मात्रा
    एनबीडी 1 से एनबीडी3 (अंक >60 और ≤ 100) राज्य/बैंक के लिए समग्र आबंटन की शर्त पर पुनर्वित्त की प्रमात्रा असीमित रहेगी.
    एनबीडी 4 और एनबीडी5 (अंक >40 और < 60) पुनर्वित्त की मात्रा पिछले वर्ष के दौरान आहरित पुनर्वित्त से 25 % अधिक / संबंधित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान मीयादी ऋणों हेतु वितरित आधार स्तरीय ऋण का 90%, इसमें से जो भी अधिक हो.
    एनबीडी 6 से एनबीडी9 (अंक ≤ 40) बैंक पुनर्वित्त के लिए पात्र नहीं होगा

8. ब्याज दर

  • 8.1 पुनर्वित्त पर ब्याज:
    नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्त पर ब्याज की दरों का निर्धारण समयावधि, वर्तमान बाजार दर, जोखिम अवधारणा आदि के आधार पर किया जाएगा और समय-समय पर इसमें संशोधन किया जा सकता है. सभी क्षेग्रा बैंकों को नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए जोखिम आकलन मॉड्यूल के अनुसार 9 जोखिम वर्गों में वर्गीकृत किया गया है. तदनुसार निर्धारित जोखिम प्रीमियम पुनर्वित्त पर ब्याज की दर से अधिक प्रभारित किया जाएगा.
  • 8.2 दंडात्‍मक ब्‍याज : चूक होने पर, जिस दर पर पुनर्वित्त वितरित किया गया था उससे वार्षिक 2.00% अधिक अतिरिक्त ब्याज दर चूक की राशि पर चूक की अवधि के लिए लगार्इ जाएगी.
  • 8.3 अवधि-पूर्व भुगतान के लिए सुविधा प्रभार: पुनर्वित्त के अवधि-पूर्व भुगतान पर दंड की दर 2.50% प्रति वर्ष होगी और भुगतान की निर्धारित तारीख से पहले किए गए भुगतान से देय किस्त की वास्तविक तारीख तक की सम्पूर्ण अवधि (न्यूनतम 6 माह) के लिए प्रत्येक देय किस्त के लिए दंडात्मक ब्याज प्रभारित किया जाएगा. अवधि पूर्व भुगतान तीन कार्य दिवस का नोटिस दिए जाने के बाद ही किया जा सकता है.

9. चुकौती अवधि
पुनर्वित्‍त की चुकौती अवधि (न्यूनतम) 18 महीने से लेकर 5 वर्ष अथवा इससे अधिक होगी. हर वर्ष छमाही आधार पर (31 जनवरी और 31 जुलाई को देय तिथि होगी) चुकौती की जाएगी. ब्‍याज का भुगतान हर वर्ष 01 फरवरी और 01 अगस्‍त अर्थात् छमाही आधार पर किया जाएगा.

10. प्रतिभूति
पुनर्वित्त या अन्य माध्यमों से दिए गए ऋणों और अग्रिमों के लिए प्रतिभूति नाबार्ड द्वारा सामान्य पुनर्वित्त करार (जीआरए)/ मंजूरी पत्र में विनिर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार रहेगी. इसके अलावा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा नाबार्ड के पक्ष में एक विधिवत अधिदेश प्राप्त किया जाए.
पैरा संख्या 11 पर इंगित मानदंडों को पूरा न करने वाले राज्य सहकारी बैंकों को कृषि क्षेत्र और कृषीतर क्षेत्र दोनों के लिए पुनर्वित्त राज्य सरकार की गारंटी पर ही दिया जाएगा. सरकारी गारंटी (जहां आवश्यक हो) न प्राप्‍त होने की स्थिति में वैकल्पिक प्रतिभूति के रूप में सरकारी प्रतिभूतियों या अनुसूचित बैंकों या अच्छा काम कर रहे राज्य सहकारी बैंकों द्वारा जारी की गर्इ सावधि जमा रसीदों को, नाबार्ड द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों की अनुपालन के अधीन स्वीकार किया जा सकता है.

11. सरकारी गारंटी से छूट के लिए नियम एवं शर्तें

  • 11.1 द्वि-स्तरीय और त्रि-स्तरीय संरचनावाले अनुसूचित राज्‍य सहकारी बैंक जिनका लेखा-परीक्षा `ए' श्रेणी का है :
    • क. पुनर्वित्‍त अपेक्षित योजना तकनीकी रूप से साध्य और वित्तीय रूप से व्यवहार्य होनी चाहिए.
    • ख. ली जानेवाली प्रतिभूति भारतीय रिजर्व बैंक / नाबार्ड द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार होनी चाहिए.
    • ग. राज्‍य सहकारी बैंक को लेखा परीक्षा श्रेणी `ए' में होना चाहिए.
  • 11.2 त्रि-स्तरीय ढांचे के अंतर्गत अनुसूचित राज्‍य सहकारी बैंक जिनका लेखा परीक्षा वर्गीकरण `बी' है :
    • क. पुनर्वित्‍त अपेक्षित योजना तकनीकी रूप से साध्य और वित्तीय रूप से व्यवहार्य होनी चाहिए.
    • ख. वित्‍तपोषण करने वाला जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक की लेखापरीक्षा श्रेणी `ए' में वर्गीकृत होनी चाहिए और श्रेणी `ए' राज्‍य सहकारी बैंक के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा करना चाहिए.
    • ग. प्रतिभूति भारतीय रिजर्व बैंक / नाबार्ड द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार प्रतिभूति प्राप्‍त करनी चाहिए.

12. अनुप्रवर्तन

  • 12.1 पुनर्वित्‍त के नियम व शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नाबार्ड को राज्‍य सहकारी बैंकों की स्‍थल जांच का अधिकार होगा.
  • 12.2 लागू नियम व विनियमनों तथा बैंक द्वारा पुनर्वित्‍त की नियम व शर्तों के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नाबार्ड को स्‍वयं अथवा (उधारकर्ता की लागत पर) अन्‍य संस्‍थाओं के माध्‍यम से राज्‍य सहकारी बैंक/ जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंकों के बही खातों और अन्‍य संबंधित सामग्री की विशेष लेखापरीक्षा का अधिकार होगा.
  • 12.3 अंतर-बैंक और अंतर-शाखा खातों का समाधान छह महीने से अधिक लंबित नहीं होना चाहिए अन्‍यथा नाबार्ड पुनर्वित्‍त सहायता प्रदान करना अस्‍वीकार कर सकता है.

13. अन्‍य नियम व शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं होगा.

अनुबंध I

1. कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:

  • i. भूमि विकास
  • ii. लघु और सूक्ष्म सिंचाई, ड्रिप सिंचाई
  • iii. जल बचाव और जल संरक्षण उपकरण
  • iv. डेयरी
  • v. मुर्गी पालन
  • vi. मधुमक्खी पालन
  • vii. रेशम उत्पादन
  • viii. मत्स्यपालन
  • ix. पशुपालन
  • x. स्वयं सहायता समूहों / संयुक्त देयता समूहों/ रायतु मित्र समूहों को दिए गए ऋण
  • xi. शुष्क भूमि कृषि
  • xii. ठेका खेती
  • xiii. बागान और बागवानी
  • xiv. कृषि वानिकी
  • xv. बीज उत्पादन
  • xvi. टिशु कल्चर प्लांट प्रोडक्शन
  • xvii. कृषि और संबद्ध गतिविधियों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े कारपोरेट किसानों, कृषक उत्पादक संगठनों, किसानों की एकल कंपनियों, साझेदारी फ़र्मों और किसानों की सहकारी संस्थाओं और कृषक सहकारी समितियों को प्रति उधारकर्ता ₹2 करोड़ की सीमा तक के ऋण
  • xviii. कृषि उपकरण
  • xix. नियंत्रित परिस्थितियों अर्थात् पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस में उच्च मूल्य/ विदेशी प्रजातियों की सब्जियों कट फ्लावर्स का उत्‍पादन
  • xx. सब्जियों और फलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए मशरूम, टिशु कल्चर लैब, प्रिसीज़न फ़ार्मिंग जैसे हाई-टेक निर्यातोन्मुख उत्पादन इकाईयों की स्थापना.

2. अन्य गतिविधियाँ :

  • i. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने वाले विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
  • ii. कृषि क्लिनिक्स व कृषि व्यवसाय केन्द्र
  • iii. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा परिभाषित स्टार्ट-अप्स जो एमएसएमई, कृषि और संबद्ध सेवाओं में कार्यरत हैं.
  • iv. ग्रामीण आवास
  • v. वाणिज्यिक वाहन
  • vi. कृषि प्रसंस्करण
  • vii. मृदा संरक्षण और वाटरशेड विकास
  • viii. कृषि विपणन आधारभूत संरचना (शीत भंडारण, गोदाम, मार्केट यार्ड, सिलोस आदि सहित) चाहे जहां भी स्थित हो.
  • ix. गैरपरम्परागत ऊर्जा स्रोत,
  • x. पहले से ही कार्यान्वित किए गए वाटर शेड और जनजाति विकास कार्यक्रमों के क्षेत्र में वित्तपोषण.
  • xi. प्लांट टिशू कल्चर और कृषि जैव प्रोद्यौगिकी, बीज उत्पादन, जैव कीटनाशक, जैव उर्वरक का उत्पादन और वर्मी कम्पोस्टिंग.
  • xii. प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स), कृषक सेवा समितियों (एफएसएस) और बडे आकार की आदिवासी बहुउद्देशीय समितियों (एलएएमपीएस) का कृषि क्षेत्र में आगे ऋण देने के लिए बैंक ऋण
  • xiii. कृषि क्षेत्र में आगे ऋण देने के लिए बैंकों द्वारा गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं-सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों को मंजूर ऋण.
  • xiv. केवीआई (खादी ग्रामोद्योग).
  • xv. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण विद्यालय, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता की सुविधाएं और अन्य सामाजिक आधारभूत सुविधाएँ
  • xvi. नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर आधारित ऊर्जा जेनेरेटर, बायोमास आधारित ऊर्जा जेनेरेटर, पवन चक्कियाँ, सूक्ष्म हाईडेल परियोजनाएं और गैरपारंपरिक ऊर्जा आधारित सार्वजनिक जन सुविधाएँ जैसे सड़क प्रकाश व्‍यवस्‍था और दूर दराज के गांवों का विद्युतीकरण.
  • xvii. ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौरकरण के लिए एकल सौर कृषि पंपों की स्थापना; बंजर / परती भूमि पर या किसान के स्वामित्व वाली कृषि भूमि पर स्टिल्ट फैशन में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना.
  • xviii. जैव ईंधन के उत्पादन के लिए तेल निष्कर्षण/प्रसंस्करण इकाइयों का निर्माण, उनके भंडारण और वितरण के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उद्यमियों को कोंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों की स्थापना के लिए ऋण.
  • xix. व्यक्तियों, संस्थानों या संगठनों द्वारा प्रबंधित कस्टम हायरिंग इकाइयाँ जो ट्रैक्टर, बुलडोजर, कुएँ की बोरिंग के उपकरण, थ्रेशर, कंबाइन आदि रखती हैं और अनुबंध के आधार पर किसानों के लिए कृषि कार्य करती हैं.
  • xx. कृषक साथी योजना
  • xxi. क्षेत्र विकास योजनाएँ
  • xxii. उत्पादन के विपणन में विकेन्द्रीकृत क्षेत्र की सहायता करने वाली कारीगरों, ग्राम और कुटीर उद्योगों के लिए निविष्टियों की आपूर्ति संस्थाओं को ऋण. शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के संबंध में "संस्थाओं" शब्द में वे संस्थान शामिल नहीं होंगे जिन्हें शहरी सहकारी बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों/उनके कामकाज को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे के अंतर्गत ऋण वितरण की अनुमति नहीं है.
  • xxiii. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत अनुमत गतिविधियां.

3. कृषि और ग्रामीण विकास के संवर्धन में सहायता प्रदान करने वाली अन्य कोई गतिविधि जिसका उल्‍लेख ऊपर न किया हो, को भी शामिल किया जा सकता है.