1. आरंभ
देश में खद्यान्नों के वैज्ञानिक विधि से भंडारण के लिए आधारभूत संरचना के निर्माण हेतु भारत सरकार से प्राप्त निधियों के संचालन के लिए नाबार्ड ने 03 सितंबर 2012 को ‘भंडारण और विपणन विभाग’ नामक एक नए विभाग की स्थापना की.
- भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि
देश में एक सुदृढ़ भंडारागार आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए सुनिश्चित निधि उपलब्ध कराने के प्रयोजन से वर्ष 2011-12 के केंद्रीय बजट में ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि की खेप XVII के तहत रु. 2,000 करोड़ की विशेष निधि की घोषणा की गई थी.
बाद में, नाबार्ड को यह भी निर्देश दिया गया कि भंडारागारों के लिए राज्य सरकारों को इस विशेष निधि से प्रत्यक्ष वित्त की सुविधा उपलब्ध कराई जाए. इसके उपरांत भंडारागार क्षेत्र पर विशेष बल देने के प्रयोजन से प्रधान कार्यालय स्थित रिपोजिशनिंग विभाग में अक्तूबर 2011 में भंडारागार प्रभाग का गठन किया गया.
भारत सरकार ने देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के लिए उच्च प्राथमिकता निर्धारित की है. माननीय केंद्रीय वित्तमंत्री ने 18 जुलाई 2014 को लोकसभा में वर्ष 2014-15 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए नाबार्ड में रु. 2,000 करोड़ से एक विशेष निधि स्थापित करने की घोषणा की, ताकि नामोदिष्ट पार्कों में प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जा सके. तदुपरान्त, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके लिए नाबार्ड को रु. 2,000 करोड़ का आबंटन किया.
तदनुसार, नाबार्ड में भंडारण और विपणन विभाग के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण निधि का संचालन 11 नवंबर 2014 से आरंभ कर दिया गया है.
2. विभाग के मुख्य कार्य :
- भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि
ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक रीति से भंडारण संरचना के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करना
- इन प्रयोजनों के लिए ऋण और ऋणेतर सहायता प्रदान करना:
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों की ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए
- वर्तमान भंडारागारों के नवीकरण/ मरम्मत/ आधुनिकीकरण के लिए
- फैक्स और अन्य सहकारी समितियों के वर्तमान भंडारागारों में उपलब्ध संरचनाओं/ सुविधाओं को भंडारण योग्य बनाने के
प्रयोजन से उन्नत बनाने हेतु
- देश के विभिन्न भागों में भंडारण संरचना की कमी को पूरा करने के लिए नीति/ रणनीति तैयार करना
- देश के विभिन्न राज्यों/ जिलों में विद्यमान वर्तमान भंडारण क्षमता का मूल्यांकन करना और भंडारण आवश्यकताओं/ संभाव्यताओं का आकलन करना.
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित भंडारागारों के प्रत्यायन के लिए सहयोग देना
- पैक्स और अन्य सहकारी संस्थाओं सहित छोटे भंडारागार मालिकों के भंडारागारों में भौतिक संरचना के उन्नयन के लिए कोलेटरल प्रबंधन कंपनियों (सीएमसी), राज्य सरकारों/ राज्य के स्वामित्व वाले निगमों के साथ सहयोग करना और इन भंडारागारों की आस्ति का उपयोग इनकी आय (पैक्स भंडारागार के प्रत्यायन के लिए अनुदान सहायता से) बढ़ाने के लिए करना.
- पैक्स स्टाफ/ भंडारागार के लोगों और भंडारागार मालिकों को जागरूक बनाना और प्रशिक्षित करना और उनके भंडारागारों के प्रत्यायन और पंजीकरण के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना.
- पूरे देश में ग्रामीण क्षेत्रों के वर्तमान भंडारागार/ शीत भंडारों का पता लगाना और नाबार्ड और भंडारागार विकास और विनियामक प्राधिकरण (डबल्यूडीआरए) के सहयोग से वेयर हाउस डायरेक्टरी को अद्यतन करना.
किसानों को उत्पादनोत्तर तरलता सहायता प्रदान करना
- उत्पाद भंडारण के लाभ से किसानों को अवगत कराकर इसे लोकप्रिय बनाने के लिए उपाय करना. किसानों को गरजू बिक्री से बचाकर उन्हें उनके उत्पाद के बेहतर दाम दिलाने का प्रयास करना.
- प्रत्यायित भंडारागारों/ शीत भंडारों को परक्राम्य भंडारागार रसीद जारी करने के लिए प्रोत्साहित करना और इसे लोकप्रिय बनाना.
किसानों की बाजार तक पहुंच का विस्तार करना
- पण्यों के वायदा और हाजिर दोनों एक्सचेंजों के साथ बात करके एक समुचित ढांचा/ संविदा तैयार करके किसानों को इन एक्सचेंजों (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) के माध्यम से ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करना.
- इन एक्सचेंजों पर ट्रेड करने के लिए किसानों के उत्पादों के एकत्रीकरण के लिए एक समुचित प्रणाली विकसित करना.
- इस कार्य के लिए एक समुचित निकाय (सहकारी समिति, उत्पादक संगठन, एनजीओ, सीएमसी, या गांव के स्तर पर कार्यरत कोई अन्य सामुदायिक संगठन) की पहचान की जानी चाहिए जो किसानों के लिए एकत्र करने वाले के रूप में काम कर सके.
हितधारकों की क्षमता निर्माण पहलों के लिए सहायता प्रदान करना
- कृषि पण्यों के भंडारण और विपणन के विभिन्न आयामों से नाबार्ड के अधिकारियों को परिचित करने के लिए प्रधान कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर प्रशिक्षण/ जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन.
3. खाद्य प्रसंस्करण निधि
आधारभूत संरचना का निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान करना:
- नामोदिष्ट फूड पार्कों और इनमें स्थापित की जाने वाली प्रसंस्करण इकाइयों में संरचना के निर्माण के लिए ऋण सुविधा प्रदान करना.
- प्रसंस्करण संरचना को बढ़ाने, मूल्य संवर्धन के लिए जागरूकता, किसानों के उत्पादों के फॉरवर्ड लिंकेज के लिए सीधे व्यवस्था करने के लिए नीति / रणनीति तैयार करना.
- नामोदिष्ट फूड पार्कों में स्थापित वर्तमान प्रसंस्करण इकाइयों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना ताकि इनमें तकनीक उन्नयन, स्वचलन, बेहतर कार्यकुशलता के माध्यम से उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ-साथ लागत में कमी लाने में मदद मिले.
- संबन्धित अंतर-मंत्रालय अनुमोदन समितियों में सदस्य के रूप में शामिल होकर मेगा फूड पार्क योजना और कोल्डचेन, वैल्यू चेन , मूल्य संवर्धन और संरचना संरक्षण में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की सहायता करना.
4. राष्ट्रीय स्तर पर विभाग की मुख्य उपलब्धियां:
- भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि
इस निधि की सफलता को देखते हुए और देश में खाद्य सुरक्षा के मिशन को पूरा करने के प्रयोजन से खाद्यान्नों के वैज्ञानिक तरीके से भंडारण की सुविधा को बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों और राज्य की स्वामित्व वाली एजेंसियों को वित्त प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2012-13 में इस निधि का आबंटन बढ़ाकर रु.5,000 कर दिया है.
इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा भंडारागार आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए आम जनता और निजी क्षेत्र के उद्यमियों को आसान ऋण उपलब्ध करने के लिए वर्ष 2013-14 और 2014-15 में प्रत्येक वर्ष रु. 5,0000 करोड़ का आबंटन किया गया.
30 सितंबर 2016 की स्थिति में इस निधि के अंतर्गत मंजूरियों और संवितरण का संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है:
- कुल आबंटन: रु. 10,000.00 करोड़
- इस तिथि में कुल मंजूरी: रु. 10,441.24 करोड़
- कुल मंजूर परियोजनाएं: 9,278
- 30.09.2016 की स्थिति में संचयी संवितरण: रु. 2,829.74 करोड़
- 30.09.2016 की स्थिति में 8.59 लाख मेट्रिक टन की क्षमता निर्माण के साथ कुल 2090 परियोजनाएं पूर्ण हुई.
इस निधि के तहत मंजूर और निर्मित प्रसंस्करण संरचनाओं का ब्यौरा निम्नानुसार है:
- कुल आबंटन: रु. 2,000 करोड़
- कुल मंजूर परियोजनाओं की संख्या (25 अक्टूबर 2016 की स्थिति): 13
- संवितरित ऋण (25 अक्टूबर 2016 की स्थिति ): रु. 73.10 करोड़
- इन 11 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं में लगभग 850 एकड़ भूमि विकसित की जाएगी जिसका उपयोग केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र के रूप में किया जाएगा.
- इन 11 केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों को 40 प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्रों (पीपीसी) और संबन्धित मेगा फूड पार्क के आस-पास समुचित स्थान पर स्थापित किए जाने वाले संग्रहण केन्द्रों से सहयोग प्राप्त होगा. इन केन्द्रों के माध्यम से प्रसंस्करण केंद्र किसानों से सीधे कृषि उत्पाद प्राप्त कर सकेंगे. इस प्रकार उपयोगकर्ता उद्योग को प्रत्यक्ष विपणन का लाभ मिल सकेगा.
- इन परियोजनाओं के पूरा होने पर प्रसंस्करण क्षेत्र को अपेक्षित बल मिलेगा जिसका विवरण निम्नानुसार है :
- कच्चे माल और तैयार माल के भंडारण के लिए 1,61,000 मीट्रिक टन शुष्क वेयरहाउस की उपलब्ध्ता (जल्दी खराब न होने वाले उत्पादों के लिए)
- कच्चे कृषि माल के थोक भंडारण के लिए 86,000 मीट्रिक टन के साइलो
- जल्द खराब वोने वाले तैयार उत्पादों के भंडारण के लिए 52,600 मीट्रिक टन शीत भंडारण क्षमता
- फ्रीजिंग तापमान पर रखे जाने वाले तैयार उत्पादों के भंडारण के लिए 11,600 मीट्रिक टन फ्रीजर क्षमता
- छोटे पैमाने पर फल और सब्जी उत्पादों को शीघ्र शीत भंडारण के लिए 11 मीट्रिक टन प्रति घंटे का क्षमता निर्माण
- 120 मीट्रिक टन प्रति घंटे के हिसाब से फल और सब्जी की छंटाई और ग्रेडिंग क्षमता
- फल पकाने के लिए 2080 मीट्रिक टन की नियंत्रित क्षमता
- पल्पिंग और शुद्ध पैकेजिंग के लिए 36.50 मीट्रिक टन प्रति घंटे की क्षमता
5. चालू परियोजनाएं और योजनाएं
- भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि
भारत सरकार द्वारा भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि के तहत वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए निधि आबंटित नहीं की गई है. इस निधि के अंतर्गत वर्ष 2013-14 और 2014-15 के दौरान मंजूर चालू परियोजनाओं का ब्यौरा निम्नानुसार है.
फूड पार्क के रूप में विकसित की जाने वाली कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आसान ऋण प्रदान करने के लिए वर्ष 2016-17 में भी विशेष निधि उपलब्ध है.
7. अन्य सूचनाएं:
विभाग के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए लिंक नीचे दिया गया है:
भंडारागार आधारभूत सुविधा निधि (डबल्यूआईएफ़)
संपर्क
मुख्य महाप्रबंधक
नाबार्ड, प्रधान कार्यालय
8वीं मंजिल, 'सी' विंग, सी-24, 'जी' Block
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई - 400 051
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