निवेश ऋण से परिसंपत्ति निर्माण के माध्यम से पूंजी निर्माण होता है. इससे प्रौद्योगिकी उन्नयन होता है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों और उद्यमियों के लिए उत्पादन, उत्पादकता और वृद्धिशील आय में वृद्धि होती है. यह एक दीर्घावधि पुनर्वित्त सुविधा है. आम तौर पर ऋण 3 से 15 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाता है.
इसका उद्देश्य निम्नलिखित क्षेत्रों में आय अर्जक संपत्तियों का निर्माण करना है :
- कृषि और सम्बद्ध गतिविधियां
- कारीगर, लघु उद्योग, गैर कृषि क्षेत्र (छोटे और लघु उद्यम), हस्तशिल्प, हथकरघा, पावरलूम, आदि
- ग्रामीण गरीबों के बीच काम करने वाली स्वैच्छिक एजेंसियों और स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियां
I. पात्र संस्थान
दीर्घावधि पुनर्वित्त के लिए पात्र संस्थान :
- राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (रासकृग्रावि बैंक)
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (क्षे ग्रा बैंक)
- राज्य सहकारी बैंक (रास बैंक)
-
जिला केंद्रीय सहकारी
- वाणिज्य बैंक (वा बैंक)
- कृषि विकास वित्त कंपनी (एडीएफ़सी)
- अनुसूचित प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक (प्राशस बैंक)
- उत्तर-पूर्व विकास वित्त निगम (एनईडीएफ़सी)
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)
II. प्रयोजन :
i) कृषि क्षेत्र :
कृषि और संबद्ध गतिविधियां जैसे लघु सिंचाई, कृषि मशीनीकरण, भूमि विकास, मृदा संरक्षण, डेयरी, भेड़ / बकरी पालन, मुर्गी पालन, सूअर पालन, वृक्षारोपण / बागवानी, वानिकी, मत्स्य, भंडारण और बाजार यार्ड, बायो गैस और ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोत, रेशम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, जानवर और पशु चालित गाड़ियां, कृषि प्रसंस्करण, कृषि सेवा केंद्र, आदि
ii) कृषीतर क्षेत्र :
कारीगर, छोटे और लघु उद्यम, हस्तशिल्प, हथकरघा, पावरलूम, आदि
III. ऋण अवधि :
ऋण की अवधि अधिकतम 15 वर्ष तक है.
IV. पुनर्वित्त सुविधा :
i) स्वतः पुनर्वित्त सुविधा (एआरएफ़) :
स्वत : पुनर्वित्त सुविधा (एआरएफ) कृषि क्षेत्र (एफएस) और कृषीतर क्षेत्र (ओएफएस) के तहत सभी परियोजनाओं के लिए पुनर्वित्त की मात्रा, बैंक ऋण या कुल वित्तीय परिव्यय (टीएफ़ओ) पर बिना किसी उच्चतम सीमा के वाणिज्य बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों / कृषि विकास वित्त निगमों/ एनईडीएफआई / गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए उपलब्ध है. तथापि, स्वतः पुनर्वित्त सुविधा (एआरएफ) कृषि क्षेत्र (एफएस) और कृषीतर क्षेत्र (ओएफ़एस) के तहत सभी परियोजनाओं के लिए रुपये 50.00 लाख तक की कुल वित्तीय परिव्यय की परियोजनाओं के लिए रासकृग्रावि बैंकों के लिए उपलब्ध है.
ii) पूर्व मंजूरी प्रक्रिया
यदि कोई बैंक पूर्व मंजूरी प्रक्रिया के तहत पुनर्वित्त लेना चाहता है तो वे परियोजना आधारित ऋण के लिए नाबार्ड को परियोजनाएं प्रस्तुत करें (नाबार्ड द्वारा मूल्यांकन और पूर्व स्वीकृति के अधीन).
V. पुनर्वित्त की सीमा:
पुनर्वित्त की सीमा पात्र बैंक ऋण की 100% तक होगी, जो प्रयोजन, निवेश का स्थान और पुनर्वित्त के लिए आवेदन कर रही एजेंसी पर निर्भर करता है.
VI. पुनर्वित्त के लिए मानदंड :
- परियोजना की तकनीकी व्यवहार्यता
- वित्तीय व्यवहार्यता और बैंक साध्यता
- ऋण पर्यवेक्षण के लिए संगठनात्मक व्यवस्था
VII. अंतिम उधारकर्ता :
यद्यपि, पुनर्वित्त रासकृग्रावि बैंकों/ रास बैंकों/ वाणिज्य बैंकों/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों/ कृषि विकास वित्त निगमों/ प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों / एनईडीएफआई को प्रदान किया जाता है, निवेश वित्त का अंतिम उधारकर्ता निम्नलिखित हो सकता है :
• व्यक्ति
• मालिकाना / साझेदारी संस्था
• कंपनियां
• राज्य अधिकृत निगम
• सहकारी समितियां