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ब्‍याज सहायता योजना

वर्ष 2006-07 के अपने बजट भाषण (पैरा 49) में माननीय वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि किसानों को मूलधन की राशि पर रु. 3.00 लाख की उच्चतम सीमा के लिए 7% की दर से अल्पावधि ऋण प्राप्त हों. यह नीति खरीफ 2006-07 से लागू की गई थी. संवितरण की तारीख से किसान द्वारा फसल ऋण चुकौती की वास्तविक तारीख तक अथवा बैंक द्वारा निर्धारित ऋण की देय तारीख जो भी पहले हो उस तक फसल ऋण की राशि पर ब्याज सहायता की राशि की गणना की जानी थी बशर्ते इसकी अधिकतम अवधि एक वर्ष की है.

उक्त घोषणा के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (क्षेग्रा बैंक) और सहकारी बैंकों द्वारा अपने संसाधनों से किसानों को दिए गए रु. 3 लाख तक के अल्पावधि उत्पादन ऋण के लिए 2% की ब्याज सहायता प्रदान की गई बशर्ते वे आधार स्तर पर 7% प्रति वर्ष की दर से अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराते हैं. इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14 से निजी क्षेत्र के बैंकों (उनकी ग्रामीण और अर्ध शहरी शाखाओं द्वारा दिए गए ऋणों के संबंध में) को भी समान प्रकार के नियम और शर्तों के आधार पर शामिल किया गया.

अ. तुरंत चुकौती पर किसानों को प्रोत्साहन

वर्ष 2009-10 से भारत सरकार ने किसानों को उनके ऋणों की तुरंत चुकौती अर्थात् देय तारीख को अथवा उससे पहले अथवा बैंक द्वारा निर्धारित तारीख के लिए प्रोत्साहन के रूप में 1% की अतिरिक्त सहायता आरंभ की जो अधिकतम एक वर्ष की अवधि के अधीन है. वर्ष 2010-11 के लिए इसे बढ़ाकर 2% एवं वर्ष 2011-12 के लिए इसे बढ़ाकर 3% कर दिया गया है.

आ. किसानों को राहत

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए बैंकों को पुनर्निर्धारित फसल ऋणों की राशि पर पहले वर्ष के लिए 2% की ब्याज सहायता उपलब्ध कराई गई. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार इस प्रकार के पुनर्निर्धारित ऋणों के लिए दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लागू होगी.

छोटे और सीमांत किसानों को परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष ब्याज सहायता

किसानों द्वारा उत्पाद की मजबूरन बिक्री रोकने और उनके उत्पादों को भंडारागार रसीदों के समक्ष भंडारागारों में रखने को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष किसानों को रियायती ऋण प्रदान करने के लिए वर्ष 2011-12 में योजना आरंभ की थी.

किसान क्रेडिट कार्ड रखने वाले छोटे और सीमांत किसानों को 7% प्रति वर्ष की ब्याज दर से रु. 3 लाख तक की ऋण सहायता प्रदान करने के लिए बैंकों को अपनी स्वाधिकृत निधियों पर 2% ब्याज सहायता उपलब्ध होगी. यह सहायता फसल कटाई के बाद छह महीनों की अवधि के लिए उपलब्ध होगी. यह सुविधा भंडारागार विकास विनियामक प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त भंडारागारों में रखे गए उत्पाद के समक्ष जारी परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष दी जाएगी.

छोटे किसान/ सीमांत किसान जिन्होंने बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से फसल ऋण नहीं लिया है वे इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे.

पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए कार्यशील पूंजी पर ब्याज सहायता

भारत सरकार ने वर्ष 2018-19 से पशुपालन और मत्स्यपालन किसानों को जारी केसीसी पर फसल ऋण के लिए ब्याज सहायता योजना का विस्तार किया है. पशुपालन और मत्स्यपालन किसानों को फसल ऋणों के लिए विद्यमान केसीसी के अलावा रु. 2 लाख तक के अल्पावधि ऋणों पर तुरंत चुकौती के लिए प्रोत्साहन के रूप में बैंकों को 2% और किसानों को 3% ब्याज सहायता प्रदान की जाती है बशर्ते बैंकों द्वारा 7% प्रति वर्ष की दर से ऋण प्रदान किए जाते हैं. फसल उगाने के लिए केसीसी रखने वाले किसानों और पशुपालन और अथवा मत्स्यपालन से संबंधित कार्य करने वाले किसानों को प्रति वर्ष रु. 3 लाख तक की समग्र सीमा पर अल्पावधि ऋण पर ब्याज सहायता उपलब्ध है.

भारत सरकार ने यह अनुदेश जारी किए हैं कि 01 अप्रैल 2020 से केवल केसीसी के समक्ष बैंकों के लिए ब्याज सहायता और किसानों को तुरंत चुकौती पर प्रोत्साहन उपलब्ध होगा.