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रणनीतिक आयोजना और उत्पाद नवोन्मेष विभाग

कृषि और ग्रामीण विकास से संबंधित मुद्दों का संधारणीय समाधान निकालने की दृष्टि से नाबार्ड, इसकी सहायक संस्थाओं और समग्र रूप से बैंकिंग क्षेत्र के लिए क्रेडिट और क्रेडिट प्लस उत्पाद तथा सेवाएं डिजाइन और विकसित किए जाने की आवश्यकता है, जिससे नाबार्ड और इसके हितधारकों के बीच आदान-प्रदान बढ़ेगा औए इस प्रकार नाबार्ड की बेहतर उपस्थिती दर्ज होगी.

तदनुसार, रणनीतिक आयोजना और उत्पाद नवोन्मेष विभाग (एसपीपीआईडी) की स्थापना 1 जनवरी 2020 को की गई ताकि मौजूदा उत्पादों में लगातार नवोन्मेष किया जा सके और नाबार्ड के अधिदेश के अनुसार वित्तीय क्षेत्र के बदलते परिदृश्य, ग्राहकों की जरूरतों और उभरते हुए ग्रामीण परिदृश्य के अनुरूप नवोन्मेषी उत्पादों को लॉन्च किया जा सके.

विभाग अपने मुख्य कार्यों के माध्यम से, उपयुक्त/सूचित निर्णयों को लेने में बैंक की सहायता करने के अलावा, परिवेश के महत्वपूर्ण परिज्ञान, स्पष्ट लक्ष्य निर्धारण, दक्षता के पुनर्स्थापन और उद्देश्य के प्रति साझेदारी की समझ प्रदान करता है.

ग्रामीण वित्तीय संस्थाओं में नाबार्ड के डिजिटल और प्रौद्दोगिकी सहयोगों को शामिल करने के लिए विभाग की व्याप्ति का दायरा बढ़ाया गया है.

विभाग के प्रमुख कार्य 

रणनीतिक आयोजना कार्य 

  • अपने प्राथमिक कार्यों और उत्तरदायित्वों के साथ, नाबार्ड के लक्ष्यों, उद्देश्यों और कार्य योजनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करना.
  • विज़न और मिशन की समीक्षा करते हुए अल्पावधि/मध्यावधि/दीर्घावधि योजनाएँ तैयार करना.
  • बाह्य एवं आंतरिक व्यावसायिक परिवेश के आधार पर नए उत्पादों को मौजूदा उत्पादों के साथ जोड़ना.
  • कार्य निष्पादन, कार्य संस्कृति, संचार, आदि का मूल्यांकन करना और इनमें अपेक्षित परिवर्तन करना.
  • सामयिक विषयों पर बेहतर समझ विकसित करने के लिए हितधारकों की बैठक, टाउन हाल बैठकें, संगोष्ठियाँ और सम्मेलन आयोजित करना.

उत्पाद नवोन्मेष कार्य

  • ग्राहकों की जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए नवोन्मेशी उत्पादों और समाधानों को वितरित करने के लिए निजी क्षेत्र के वित्त ज्ञान और नाबार्ड के गहन संप्रभु संबंधों का उपयोग करना;
  • वित्तीय उत्पादों एवं विकासात्मक गतिविधियों पर मार्केट अनुसंधान करना और उत्पाद के विकास के लिए वैचारिक ढांचा तैयार करना.
  • कॉर्पोरेट एवं लोक-हितैषी संस्थाओं के साथ नई व उभरती साझेदारियों में सहयोग के विस्तार की संभावना तलाशना.
  • बाजार की गंभीर बाधाओं पर अद्यतन विश्लेषण करने के लिए, डेटा एनालिटिक्स के उपकरणों का उपयोग करते हुए उत्पादों और उपकरणों को बेहतर बनाकर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार सहायता प्रदान करना.
  • नाबार्ड के विकासात्मक कार्यों एवं संवर्धनात्मक पहलों को व्यावसायिक प्रस्तावों में बदलना.
  • अनुसंधान और विश्लेषण के आधार पर समाधान देने के अलावा, नाबार्ड के सभी व्यावसायिक विभागों के साथ समन्वय स्थापित करना.
  • अपने कर्मचारियों के बीच नवोन्मेषी सोच और विचारधारा को बढ़ाना, गुणवत्ता चक्र/समूह की संकल्पना की शुरुआत करना

डिजिटल, तकनीकी और अन्य सहयोग

  • एंटरप्राइज आर्किटेक्चर और आईटी गवर्नेंस फ्रेमवर्क तैयार करना
  • केसीसी पोर्टल को स्थापित करने कि लिए अग्रणी किसान क्रेडिट कार्ड ऋण प्रक्रिया को डिजिटाइज़ करना
  • कृषि मूल्य श्रृंखला वित्तीयन के लिए बैंकिग मॉडल का संवर्धन करना
  • ग्रामीण वित्तीय संस्थानों में डिजिटल सहयोग को बढ़ाना
  • कृषि और ग्रामीण विकास को बाधित करने वाले मुद्दों के समाधान हेतु डिजिटल प्रौद्दोगिकियों के रूप में संधारणीय समाधानों के सहयोग हेतु, रू. 50 करोड़ की मूल निधि के साथ प्रौद्दोगिकी सुकरीकरण निधि की स्थापना की गई है.
  • नाबार्ड ने तकनीकी स्टार्ट-अप की मदद से डिजिटल प्रौद्योगिकी के विकास का समर्थन करने के लिए अपने लाभ से एक समर्पित प्रौद्योगिकी सुविधा कोष (टीएफएफ) की स्थापना की है। निधि के अन्तर्गत दो प्रस्ताव स्वीकृत किये गये।

उपलब्धियां

  • 2023-24 से 2027-28 की अवधि के दौरान बैंक के व्यापार, विकासात्मक और पर्यवेक्षी परिदृश्यों को शामिल करते हुए “प्रगति-1.0” नामक पंचवर्षीय रणनीति योजना की शुरुआत 01 अप्रैल 2023 से की गई है.
  • व्यवसाय पहल विभाग के साथ समन्वय में, इस विभाग ने राज्यों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी लाने के लिए वित्तपोषण के कार्यक्रम और परियोजना मोड दोनों पर क्रेडिट और क्रेडिट+ हस्तक्षेप के विवेकपूर्ण मिश्रण के साथ रुरल इनफ्रास्ट्रक्चर असिस्टन्स टु स्टेट गवर्नमेंट(आरआईएएस) उत्पाद को फिर से डिजाइन किया।
  • डीएवाई-एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए आरआरबी और आरसीबी के ब्याज छूट दावों के लिए वेब पोर्टल विकसित किया गया। पोर्टल 11 जनवरी 2024 से लाइव है।
  • DA&FW, भारत सरकार की एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) योजना के तहत ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी शुल्क दावों के निपटान के लिए वेब पोर्टल। DA&FW और NABARD द्वारा संयुक्त रूप से विकसित AIF ब्याज सबवेंशन पोर्टल https://aifis.nabard.org को 28 जून 2024 को माननीय केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया।
  • सहकारी बैंकों और आरआरबी द्वारा केसीसी ऋण की मंजूरी के लिए यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस के साथ ई-केसीसी (एलओएस पोर्टल) के एकीकरण के लिए आरबीआई इनोवेशन हब (आरबीआईएच) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  • नाबार्ड ने कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए 9 अप्रैल 2024 को एशियन डेव्लपमेंट बैंक के साथ आशय पत्र (Letter of Intent) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • नाबार्ड को वित्तीय समावेशन श्रेणी के तहत "ग्रामीण सहकारी बैंकों में सीबीएस" पहल के लिए एसोसिएशन ऑफ डेवलपमेंट फाइनेंसिंग इंस्टीट्यूशंस इन एशिया एंड द पैसिफिक (एडीएफआईएपी) पुरस्कार मिला।
  • नाबार्ड की व्यापक साइबर जोखिम बीमा की व्यवस्था के तहत कम प्रीमियम और व्यापक कवरेज के लाभों को जानते हुए, कई बैंकों ने नाबार्ड से संपर्क किया ताकि वे साइबर बीमा का लाभ उठा सकें। तदनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक 193 ग्रामीण बैंकों (19 आरआरबी सहित) को साइबर बीमा पॉलिसियां जारी की गईं, जो 01 जनवरी 2025 से प्रभावी हुई।
  • नाबार्ड ने एफपीओ एक्सेलेरेटर परियोजना के कार्यान्वयन के लिए साझेदारी स्थापित करने के लिए 12 जुलाई 2024 को "स्टेट ऑफ महाराष्ट्र एग्रिबिस्नस अँड रुरल ट्रान्स्फ़ोर्मेशन (स्मार्ट)", महाराष्ट्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य एफपीओ को व्यापक सहायता सेवाओं के साथ प्रदान करके उनके विकास में तेजी लाना है।
  • नाबार्ड ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024 में भाग लिया, कार्यक्रम का विषय था, "वित्त के अगले दशक का ब्लूप्रिंट: रिस्पॉन्सिबल एआई | इंक्लुसिव | रेसिलिएंट"
  • नाबार्ड ने विभिन्न विषयों पर फायरसाइड चैट, पैनल चर्चा आयोजित की। नाबार्ड ने नाबार्ड के आदेश के अनुरूप समस्याओं के अभिनव, डिजिटल समाधान खोजने के लिए 'नेशनल एग्रीइनोवेट हैकथॉन' भी आयोजित किया।
  • नाबार्ड ने ग्रामीण वित्तीय सेवाओं के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने, कृषि विकास को बढ़ाने और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार के लिए 25 सितंबर 2024 को राबो पार्टनरशिप के साथ एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • नाबार्ड ने वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सहयोग से, 4 से 9 जनवरी, 2025 के दौरान नई दिल्ली में भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का आयोजन किया। "बिल्डिंग अ रेसिलिएंट रुरल इंडिया फॉर अ विकसित भारत” पर थीमाधारित , इस कार्यक्रम को ग्रामीण विकास में तेजी लाने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा का प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस कार्यक्रम में 180 प्रदर्शनी स्टालों को ग्रामीण उत्पादों पर फ़ोकस किया गया, जिसमें भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित चीज़ें, जैविक वस्तुएं और आदिवासी शिल्प शामिल हैं। । इसके अलावा, इस कार्यक्रम में , "जीआई उत्पाद: सांस्कृतिक गौरव समृद्धि के लिए", "नल के अवसरों के लिए कार्बनिक कृषि को स्केल करना", "एक विकीत भारत के लिए सहकारी समितियों को सशक्त बनाना", "ग्रामीण महिला उद्यमियों को बढ़ावा देना" , "आदिवासी खजाने: विरासत और ड्राइविंग अर्थव्यवस्था को संरक्षित करना", "एक समावेशी उत्तर-पूर्व के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देना" और "ग्रामीण भारत के लिए वित्तपोषण के अवसर" जैसे प्रमुख विषयों पर उच्च स्तरीय पैनल चर्चाएँ दिखाई गईं।
  • आरसीबी को अकाउंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म में शामिल करने के लिए एसपीपीआईडी द्वारा प्रस्तावित केंद्रीकृत अकाउंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को आरबीआई से मंजूरी मिली।
  • ईए फ्रेमवर्क के परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश 19 जून 2024 के परिपत्र के माध्यम से जारी किए गए हैं।
  • विभागों को नाबार्ड में अपनाई जाने वाली ईए प्रैक्टिस के बारे में जागरूक करने के लिए एनएबीएनईटी पर एक ईए कॉर्नर बनाया गया है।

मौजूदा कार्य:

  • प्रगति-1.0 की पहलों का कार्यान्वयन.
  • कृषि मूल्य श्रृखंला के वित्तपोषण के लिए उपयुक्त डिजिटल बैंकिंग उत्पाद डिजाइन करना.
  • संभावित क्षेत्रों मे सहयोग की पहचान के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के साथ चर्चा।
  • स्मार्ट कार्यक्रम के माध्यम से, महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से, एफपीओ एक्सेलेरेटर पर एक पायलट के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ जुड़ाव।
  • सहकारी बैंकों/आरआरबी में पायलट आधार पर डिजिटल फसल ऋण-ईकेसीसी पोर्टल।
  • विशेष रूप से भूमिहीन और किरायेदार किसानों के बीच कृषि-ऋण के वितरण में तेजी लाने के लिए, प्रोग्रामेबल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (पीसीबीडीसी) का उपयोग करके उद्देश्यपूर्ण ऋण देने की एक प्रणाली आंध्र प्रदेश और ओडिशा में शुरू की जा रही है। यह ऋण वितरण के साधन के रूप में सीबीडीसी का उपयोग करने वाला पहला क्रेडिट उत्पाद है।
  • ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से सीबीएस, सीबीएस प्लस और संबंधित तकनीकी सेवाओं का अद्दतनीकरण/विस्तार।
  • अधिक आरसीबी और आरआरबी तक साइबर जोखिम बीमा का विस्तार। वर्तमान में 232 बैंक नाबार्ड सुविधायुक्त साइबर बीमा का लाभ उठा रहे हैं।

संपर्क सूचना

श्री मणिकुमार एस.
मुख्य महाप्रबंधक
एसपीपीआईडी, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय
चौथा तल, ‘सी’ विंग
सी -24, ‘जी’ ब्लॉक
बांद्रा – कुर्ला संकुल,
बांद्रा (पूर्व)
मुंबई-400051
टेलीफोन:022-68120024
ई-मेल: sppid@nabard.org

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नाबार्ड प्रधान कार्यालय