भारत ने सम्पूर्ण देश में खुले में शौच करने की प्रथा को तेज़ी से समाप्त कर दिया है जिसका पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था (डबल्यूएएसएच) पर असर हुआ है. नाबार्ड ने ‘स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण’ जैसे श्रेष्ठ मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए आवश्यक निधियाँ उपलब्ध कराकर सरकार की सहायता की है. नाबार्ड ने अब तक रु.15000 करोड़ की राशि मंजूर की है और 12,298 करोड़ की राशि संवितरित की है जिससे 3.29 करोड़ घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया. इस योजना के लाभार्थियों के व्यवहार में आए परिवर्तन को बनाए रखने तथा योजना के तहत निर्मित आधारभूत संरचना के नियमित रखरखाव के लिए सतत जागरूकता पैदा करना आवश्यक है. सामुदायिक और व्यक्तिगत दोनो स्तरों पर अच्छे स्वास्थ्य और स्वच्छता की आवश्यकता है. इसके लिए ग्रामीण भारत में नाबार्ड की पहुँच का लाभ उठाते हुए, उसकी साझेदार एजेंसियों के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर स्वच्छता साक्षरता अभियान शुरू करने की आवश्यकता है.
अतः 2 अक्तूबर 2020 को प्रधान कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में स्वच्छता साक्षरता अभियान की औपचारिक शुरुआत की गई. यह अभियान 2 अक्तूबर 2020 से 26 जनवरी 2021 तक चलेगा. अभियान के दौरान लगभग 1.00 लाख प्रतिभागियों के लिए स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता की मैपिंग की जाएगी. ये सुविधाएं हैं - शौचालयों की मरम्मत, वर्तमान शौचालयों का दो पिट वाले शौचालयों में रूपांतरण, बाथरूम का निर्माण, शौचालयों को पानी का कनैक्शन आदि. स्वच्छता सुविधाओं का वित्तपोषण करने वाले बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए नाबार्ड ने रियायती दर पर पुनर्वित्त योजना आरंभ की है. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाओं में सुधार करने के लिए समय पर और पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए ओडीएफ़ + और ++ को ध्यान में रखते हुए उचित रणनीति विकसित की जाएगी.
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