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व्यवसाय पहल विभाग

नाबार्ड ने बदलते आर्थिक परिवेश के मद्देनजर, बैंक के लिए व्यवसाय की नई संभावनाओं को विकसित करने के उद्देश्‍य से वर्ष 2010 में रिपोजीशनिंग पहल के तहत कई कदम उठाए । परिणामस्वरूप, देश के ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास और आर्थिक परिवेश को बढ़ाने के लिए आवश्यक नई व्यावसायिक क्षेत्रों को प्रत्यक्ष ऋण देने के लिए, एक नये विभाग व्यवसाय पहल विभाग (बीआईडी) का गठन किया गया ।

व्यवसाय पहल विभाग - बिजनेस प्रोडक्ट्स

नाबार्ड आधारभूत संरचना विकास सहायता (नीडा)

नीडा के तहत निम्‍नलिखित तीन माध्यमों से ग्रामीण आधारभूत परियोजनाओं के लिए ऋण उपलब्ध है-

  • प्रत्यक्ष ऋण : राज्‍य सरकार एवं राज्‍य सरकार के स्‍वामित्‍व वाली संस्‍थाओं को ग्रामीण आधारभूत सुविधा परियोजनाओं हेतु ।
  • निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) : प्रत्यक्ष रूप से अथवा राज्य सरकार की संस्थाओं, सहकारी संस्थाओं, उत्पादक संगठनों, निगमों आदि द्वारा संवर्धित विशेष प्रयोजन उपक्रम (एसपीवी) के माध्यम से निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) वाली आधारभूत संरचना परियोजनाओं हेतु ।
  • गैर-पीपीपी : कंपनी और सहकारी संस्‍थाओं जैसी पंजीकृत संस्‍थाओं द्वारा संवर्धित गैर-पीपीपी ग्रामीण आधारभूत सुविधा परियोजनाओं हेतु ।

उपलब्धि :

30 जून, 2024 की स्थिति के अनुसार, नीडा के अंतर्गत संचयी स्वीकृत राशि एवं संवितरण क्रमशः ₹82336.77 करोड़ और ₹43929.30 करोड़ है ।

विगत 5 वित्तीय वर्षों और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2019-20 4382.30 3727.09
2020-21 22767.75 7506.08
2021-22 8125.27 7136.26
2022-23 3581.71 6329.48
2023-24 9934.40 7303.96
2024-25 (30 जून 2024) 2971.06 359.48

प्रभाव

नीडा के तहत अब तक 156 परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई है जिनके प्रभाव/होने वाले प्रभाव निम्नवत है

(₹ करोड़)

क्षेत्र प्रभाव
पेयजल की आपूर्ति 31,722 कॉलोनी लाभान्वित
ग्रामीण शिक्षा 6 मेडिकल कॉलेज, 3 इंजीनियरिंग कॉलेज, 15 सरकारी मॉडल कॉलेज, 1,500 स्कूल
ग्रामीण संपर्क 7,537 किमी सड़कें, 7.9 किमी पुल, 8.5 किमी हवाई रोपवे
विद्युत पारेषण 15 राज्यों में 53 परियोजनाएं (आधारभूत संरचना का आधुनिकीकरण)
नवीकरणीय ऊर्जा 113 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता विकसित हुई
सूक्ष्म सिंचाई 1.4 लाख हेक्टेयर कवर
सिंचाई 21.2 लाख हेक्टेयर कवर
संचार नेट-कनेक्टेड 30,000+ सरकारी कार्यालय, 20 लाख घरों तक निःशुल्क नेट कनेक्टिविटी
स्वच्छता लिंक्ड सीवर लाइनों के साथ एसटीपी (15 एमएलपीडी)
भंडारागार और शीत भंडारण 29,600 मीट्रिक टन क्षमता सृजित

सहकारी बैंकों को प्रत्यक्ष पुनर्वित्‍त सहायता (डीआरए)

वैद्यनाथन समिति के पुनरुत्थान पैकेज की अनुशंसा लागू होने के उपरांत अब जि़ला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी), किसी भी वित्तीय संस्था, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित/ अनुमोदित है, से वित्तीय संसाधन जुटा सकते हैं ।

इस संबंध में, नाबार्ड द्वारा प्रत्यक्ष पुनर्वित्‍त सहायता (डीआरए) के माध्यम से जि़ला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) और राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) को प्रत्यक्ष वित्तपोषण दिया जाता है ताकि उनके ऋण सम्बंधित आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके ।

संस्थानों द्वारा क्रेडिट लिमिट का उपयोग, शाखाओं के माध्यम से/ पैक्स के माध्यम से व्यक्तियों (जैसे किसानों, व्यापारियों, कारीगरों आदि) को विभिन्न प्रयोजनों के लिए ऋण देने के लिए किया जा सकता है, जैसे:

  • ₹3 लाख से अधिक के फसल ऋण (ब्याज सहायता सीमा से अधिक)
  • कार्यशील पूंजी ऋण
  • प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से खरीद कार्य हेतु ऋण
  • चीनी स्टॉक के गिरवी के समक्ष वित्तपोषण
  • कटाई के बाद की गतिविधियाँ तथा विपणन गतिविधियाँ हेतु ऋण
  • उपज का भंडारण/ ग्रेडिंग/ पैकेजिंग हेतु ऋण
  • फूड क्रेडिट कंसोर्टियम
  • बीमा कवरेज योजनाएं उत्पन्न करने हेतु ऋण

उपलब्धि :

30 जून 2024 की स्थिति के अनुसार, डीआरए के तहत सहकारी बैंकों को संचयी स्वीकृत राशि एवं संवितरण क्रमशः ₹1,33337.30 करोड़ और ₹1,14,203.83 करोड़ है ।

विगत 5 वित्तीय वर्षों और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2019-20 8932.00 9199.88
2020-21 11890.00 7373.49
2021-22 18521.00 17573.67
2022-23 21434.96 18179.41
2023-24 26816.40 26869.04
2024-25 (30 जून 2024) 2855.00 1757.00

फेडरेशन को ऋण सुविधा (सीएफ़एफ़)

कृषि वस्तुओं की खरीद और विपणन तथा उर्वरक, कीटनाशक आदि कृषि इनपुट की आपूर्ति से जुड़े राज्‍य / सहकारी विपणन संघों और निगमों को अल्‍पावधि ऋण प्रदान करने के उद्देश्‍य से सीएफ़एफ़ की शुरूआत की गई ।

सीएफ़एफ़ के तहत कृषि एवं संबद्ध वस्तुओं की खरीद, दूध की खरीद, कृषि इनपुट की आपूर्ति, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, मूल्य संवर्धन आदि के लिए कार्यशील पूंजी ऋण दिया जाता है ।

पात्र संस्थाएँ

  • राज्य/ केंद्रीय सरकारी कृषि विपणन महासंघ एवं निगम
  • डेयरी सहकारी/ महासंघ
  • कृषि विपणन सहकारी/ महासंघ
  • पंजीकृत कंपनियाँ
  • कृषि प्रौद्योगिकी और उद्यमिता विकास के लिए संगठन

उपलब्धि :

30 जून 2024 की स्थिति के अनुसार, सीएफएफ के तहत संचयी स्वीकृत एवं कुल संवितरण क्रमश : ₹256971.87 करोड़ और ₹294300.85 करोड़ है ।

विगत 5 वित्तीय वर्षों और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2019-20 25071.00 37206.56
2020-21 40160.00 47852.62
2021-22 36435.80 46434.31
2022-23 40606.75 31437.21
2023-24 38700.00 39240.23
2024-25 (30 जून 2024) 5500.00 3840.00

डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ़)/ पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ)

केंद्रीय बजट 2017-18 की घोषणानुसार, नाबार्ड में डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ़) की स्थापना की गई । डीआईडीएफ़ की प्रारंभिक मूल निधि ₹8004 करोड़ तथा अवधि 5 वर्षों अर्थात 2018-19 से 2022-23 थी ।

भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 01 फरवरी 2024 को आयोजित अपनी बैठक में डीआईडीएफ़ के एएचआईडीएफ़ (पशुपालन अवसंरचना विकास निधि) के साथ विलय और एएचआईडीएफ़ को और तीन वर्षों के लिये 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने को मंजूरी दी है । साथ ही, नाबार्ड को संशोधित एएचआईडीएफ योजना के तहत ऋणदाता संस्था के रूप में शामिल किया गया है, तदनुसार, निधि के अन्तर्गत वित्त वर्ष 2024-25 से नाबार्ड द्वारा ऋण वितरण किया जाएगा ।

इस निधि की स्‍थापना का उद्देश्‍य संकटग्रस्त दूध सहकारी समितियों को 6.5% की दर से सब्सिडी युक्त ऋण उपलब्ध कराना है ताकि वे मुख्य रूप से अपने दशकों पुराने शीतलन और प्रसंस्करण संयंत्रों को बदल सकें तथा मूल्यवर्धित उत्पाद संयंत्र स्थापित कर सकें।

डीआईडीएफ़ योजना के उद्देश्य

  • दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों और मशीनरी का आधुनिकरण करना तथा अधिक दुग्ध प्रसंस्करण के लिए अतिरिक्त आधारभूत संरचना तैयार करना.

कार्यान्वयनकर्ता एजेंसी और अंतिम उधारकर्ता

  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी)
  • अंतिम उधारकर्ता : दुग्ध यूनियन, राज्य डेयरी महासंघ, बहू-राज्यीय दुग्ध सहकारी, दुग्ध उत्पादक कंपनियाँ और एनडीडीबी की सहायक संस्थाएं

योजना परिव्यय

  • ₹11,184 करोड़, कुल परियोजना परिव्यय - ₹10,005 करोड़ (ऋण: ₹8,004 करोड़, अंतिम उधारकर्ता का अंश: ₹2,001 करोड़); एनडीडीबी और एनसीडीसी का अंश: ₹12 करोड़, ब्याज सहायता (भारत सरकार): ₹1,167 करोड़

उपलब्धि

डीआईडीएफ़ योजना की परिचालन अवधि के दौरान, 32 परियोजनाओं को, ₹3015.60 करोड़ की संचयी ऋण राशि तथा संचयी संवितरण ₹2260.93 करोड़ किया गया ।

डीआईडीएफ़ योजना की वर्ष-वार प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2018-19 1216.81 440.00
2019-20 351.24 670.00
2020-21 1083.55 120.70
2021-22 364.01 118.66
2022-23 0.00 735.26
2023 -24 0.00 176.31
2024-25 (30 जून 2024) 0.00 0.00

मात्स्यिकी और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि/ फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ)

भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2018-19 में 5 वर्ष अर्थात 2018-19 से 2022-23 तक की अवधि के लिए ₹7522.48 करोड़ की राशि से मात्स्यिकी और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की स्थापना की घोषणा की थी । भारत सरकार द्वारा दिनांक 26 फरवरी 2024 के पत्र के माध्यम से इस योजना को पहले से स्वीकृत ₹7522.48 करोड़ राशि के साथ 01.04.2023 से 31.03.2026 तक और 3 वर्षों की अवधि के लिए बढ़ा दिया है ।

एफआईडीएफ, समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य सेक्टरों में मत्स्य आधारभूत संरचना सुविधाओं के सृजन और 2020 तक मछली उत्पादन में वृद्धि कर नीली क्रांति के तहत निर्धारित 15 मिलियन टन के लक्ष्य को प्राप्त करने की परिकल्पना करता है ।

एफआईडीएफ के अंतर्गत, नाबार्ड राज्य सरकारों/ संघ शासित प्रदेशों को मत्स्य-आधारित आधारभूत अवसंरचना गतिविधियों जैसे मत्स्य हार्बर, मछली लैंडिंग केन्द्र, एकीकृत शीत श्रृंखला, आधुनिक मछली बाजार, मत्स्य प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य आधारभूत संरचना सुविधाओं की स्थापना के लिए ऋण और ब्याज अनुदान करता है ।

उपलब्धि

30 जून 2024 की स्थिति के अनुसार, नाबार्ड ने 82 परियोजनाओं के तहत 8 राज्य सरकारों (तमिलनाडु -64, महाराष्ट्र -5, गुजरात -4, पश्चिम बंगाल -3, आंध्र प्रदेश -3, गोवा -1, हिमाचल प्रदेश -1, केरल -1) को संचयी रूप से ₹3248.27 करोड़ का सावधि ऋण मंज़ूर किया है । अभी तक, 6 राज्यों अर्थात तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा, हिमाचल प्रदेश और केरल को संचयी रूप से ₹903.96 करोड़ की राशि संवितरित की गई है ।

एफआईडीएफ योजना की वर्ष-वार प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2019-20 348.00 0.00
2020-21 0.00 193.77
2021-22 912.28 171.93
2022-23 1987.99 225.67
2023-24 0.00 289.21
2024-25 (30 जून 2024) 0.00 23.38

राज्य सरकारों को ग्रामीण आधारभूत संरचना सहायता (आरआईएएस)

नाबार्ड ने पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों, आकांक्षी और सीमावर्ती जिलों पर विशेष ध्यान देने के साथ- साथ राज्य सरकारों की दीर्घावधि आधारभूत संरचना की जरूरतों के वित्तपोषण के लिए आरआईएएस के रूप एक नया ऋण उत्पाद लॉन्च किया है ।

  • आरआईएएस, राज्य सरकारों को परियोजना और कार्यक्रम दोनों मोड के तहत ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए लचीली अवधि और स्थगन के साथ अधिक समग्र वित्तपोषण प्रदान करता है ।
  • आरआईएएस के तहत पीएमयू, तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव आकलन आदि के रूप में ऋण और ऋण+ सहायता और मूल्यवर्धित सेवाओं हेतु ऋण सहायता भी उपलब्ध है।

विगत वित्तीय वर्षों और वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान प्रगति

(₹ करोड़)

वर्ष स्वीकृति वितरण
2022-23 1065.00 0.00
2023-24 0.00 0.00
2024-25 (30 जून 2024) 0.00 0.00

संपर्क सूत्र:

श्री दिनेश पूलक्कुनात
मुख्य महाप्रबंधक
दूसरी मंजिल, 'ए' विंग
सी-24, 'जी' ब्लॉक, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई 400 051
टेली : (91) 022 68120018
ई-मेल : bid@nabard.org

आरटीआई - धारा 4 (1) (बी) के अंतर्गत जानकारी

नाबार्ड प्रधान कार्यालय