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जलवायु कार्यवाई एवं संधारणीयता विभाग

जलवायु कार्रवाई पर अधिक ध्यान देने के उद्देश्य से नाबार्ड में जलवायु कार्रवाई और संधारणीयता विभाग (डीसीएएस) की स्थापना की गई. अपने कुशल व नियोजित ध्यान केंद्र के साथ नाबार्ड का लक्ष्य एक समग्र, संधारणीय तथा जलवायु आघात-सह्य भविष्य की ओर इस क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभाने का है.

विभाग के प्रमुख कार्य निम्नानुसार है

विभाग के प्रमुख कार्य

  • अपने जलवायु परिवर्तन की कार्य-सूची के तहत जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप आने वाली चुनौतियों, विशेषतः भारत के कृषि संबंधी क्षेत्रों और ग्रामीण आजीविका क्षेत्रों में, का समाधान करना नाबार्ड का लक्ष्य है.
  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोश (एनएएफ़सीसी) हेतु राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई (एनआईई) और ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ़) के डायरेक्ट एक्सैस एंटीटी (डीएई) की भूमिका में नाबार्ड का लक्ष्य भारत में अनुकूलन तथा शमन गतिविधियों हेतु राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और निजी वित्त को निर्दिष्ट करना है. नाबार्ड ने अड़ैप्टेशन फ़ंड बोर्ड के साथ नेशनल इंपलीमेंटिंग एंटीटी (एनआईई) के रूप में पुनः आधिकारिक मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है.
  • नाबार्ड के स्वयं की लाभ राशि से संवर्धित जलवायु परिवर्तन निधि जलवायु परिवर्तन से संबंधित ज्ञान वर्धन हेतु गतिविधियों, जागरूकता निर्माण गतिविधियों को सहायता प्रदान करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में लघु आकार के नवोन्मेषी परियोजनाओं को पायलट आधार पर सहायता प्रदान करता है.
  • जलवायु आघात-सह्य तथा संधारणीय विकास के संवर्धन के उद्देश्य के साथ नाबार्ड जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी) पर आधारित परियोजना के सुझावों/ अवधारणाओं की पहचान करने तथा उसके कार्यान्वयन हेतु सुविधा प्रदान करता है.
  • राज्य सरकारों, संस्था के स्वयं के स्टाफ सदस्यों और जलवायु वित्तपोषण से संबंधित भागीदार संस्थाओं सहित हितधारकों का क्षमता निर्माण और सुग्राहीकरण तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण तंत्रों से संसाधन जुटाना.

डीसीएएस द्वारा कार्यान्वित परियोजनाएँ

  • 1. अड़ैप्टेशन फ़ंड: अड़ैप्टेशन फ़ंड (एएफ़) के तहत यूएसडी 9.8 मिलियन के कुल परिव्यय सहित छह ठोस अनुकूलन परियोजनाएँ एएफ़बी द्वारा अनुमोदित की गई थी, जिससे छह राज्यों, नामतः पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु तथा राजस्थान, के 57,802 अतिसंवेदनशील व्यक्तियों को लाभ मिला. फलस्वरूप अंतरिम आधार पर अड़ैप्टेशन फ़ंड बोर्ड द्वारा निर्धारित यूएसडी 10.0 मिलियन के राष्ट्रीय उच्चतम सीमा का व्यय किया गया. यह परियोजनाएँ कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों पर हैं.
    परियोजना की जानकारी यहाँ उपलब्ध है: यहाँ क्लिक करें
  • 2. ग्रीन क्लाइमेट फंड: जुलाई 2015 में ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ़) की 10वीं बोर्ड बैठक में नाबार्ड को डायरेक्ट एक्सैस एंटीटी (डीएई) की आधिकारिक मान्यता दी गई थी, तथा उसे अक्टूबर 2022 में पुनः आधिकारिक मान्यता दी गई. नाबार्ड उन बड़े आकार की परियोजनाओं को जमा करने हेतु पात्र है, जिनका परिव्यय यूएसडी 250 मिलियन से अधिक है. जीसीएफ़ के तहत नाबार्ड द्वारा जमा किए गए दो प्रस्तावों को जीसीएफ़ के बोर्ड द्वारा मंजूरी दी गई है. इन परियोजनाओं की जानकारी निम्नानुसार है:
  • क्रम. सं. परियोजना का नाम निष्पादन इकाई कुल परियोजना परिव्यय (यूएसडी) परियोजना सह-वित्तपोषण जानकारी (यूएसडी में) अनुदान/ ऋण
    1 व्यावसायिक, औद्योगिक और आवासीय गृह निर्माण क्षेत्रों के लिए सोलर रूफटॉप खंड हेतु ऋण व्यवस्था टाटा कैपिटल लिमिटेड (टीसीसीएल) 250 मिलियन जीसीएफ़- 100 मिलियन ऋण
    टीसीएल- 100 मिलियन वरिष्ठ ऋण
    परियोजना डिवेलपर की इक्विटी- 50 मिलियन इक्विटी
    2 ओडिशा के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा आघात-सह्य की वृद्धि करने हेतु ग्राउंडवाटर रिचार्ज एवं सोलर सूक्ष्म-सिंचाई जल संसाधन विभाग, ओडिशा सरकार 166.3 मिलियन जीसीएफ़- 34.35 मिलियन अनुदान
    राज्य केंद्राभिमुखीकरण निधि और समुदाय- 131.94 मिलियन अनुदान/ सह-वित्तपोषण

परियोजनाओं की अतिरिक्त जानकारी यहाँ उपलब्ध है: यहाँ क्लिक करें

3. जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय अनुकूलन कोश:

  • जलवायु परिवर्तन हेतु राष्ट्रीय अनुकूलन कोश (एनएएफ़सीसी), ₹847.47 करोड़ के अनुदान सहायता सहित 30 परियोजनाएँ 25 राज्यों (नामतः पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, तमिलनाडु, केरल, मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मेघालय, तेलंगाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, सिक्किम, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश और दो संघ शासित प्रदेश, नामतः पुडुचेरी तथा जम्मू) मे मंजूर की गई. एनएएफ़सीसी परियोजनाओं का कार्यान्वयन जल प्रबंधन, कृषि, पशुधन, तटीय और वन परिस्थितिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रभाव पर ध्यान देगा. 28 राज्य/ संघ-शासित विशेष परियोजनाओं के अलावा दो बहु-राज्य मंजूर किए गए. ₹120.66 करोड़ के कुल अनुदान सहायता सहित ‘फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु आघात-सह्य निर्माण’ पर एक क्षेत्रीय परियोजना पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के राज्यों में कार्यान्वित करने हेतु मंजूर की गई. इसके अलावा ₹126.10 करोड़ की अनुदान सहायता सहित ‘अतिसंवेदनशील समुदायों को जलवायु आघात-सह्य बनाने और आजीविका में वृद्धि करने हेतु विकृत भूदृश्यों का परिस्थितिकी की प्राकृतिक स्थिति में पुनः स्थापन’ पर एक और बहु-राज्य परियोजना राजस्थान, तेलंगाणा और महाराष्ट्र के राज्यों में कार्यान्वित की जा रही है.

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4. जलवायु परिवर्तन निधि:

  • नाबार्ड की लाभ राशि से ₹5.00 करोड़ के प्रारंभिक परिव्यय के साथ जलवायु परिवर्तन निधि (सीसीएफ़) वर्ष 2015-16 में स्थापित की गई थी. वर्ष 2019 में निधि परिव्यय ₹20.00 करोड़ तक बढ़ गई. वर्तमान में सीसीएफ़ का प्रयोग जलवायु परिवर्तन से संबंधित संवर्धन तथा सहायक गतिविधियों के लिए हो रहा है. इस निधि के तहत उन मध्यस्थताओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन के क्षेत्रों में नाबार्ड के हित को आगे बढ़ाएँगे. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सीसीएफ़ के तहत ₹2.53 करोड़ की राशि संवितरित की गई.

5. जलवायु परिवर्तन निधि - ब्याज में अंतर की राशि (इंटरेस्ट डिफरैनशियल)

  • अनुकूलन पर ध्यान देते हुए परियोजना-आधारित सहायता के माध्यम से जलवायु कार्रवाई में सुधार करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों तथा सहायता के तहत आरआईडीएफ़, डब्ल्यूआईएफ और एफआईएफ से उत्पन्न ब्याज में अंतर की राशि (इंटरेस्ट डिफरैनशियल) की निधि से मौजूदा सीसीएफ़ संवर्धित की गई. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राशि ₹65.37 करोड़ है.

जलवायु परिवर्तन केंद्र:

  • नाबार्ड द्वारा स्थापित जलवायु परिवर्तन केंद्र बर्ड, लखनऊ में जुलाई 20, 2018 को औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया था. केंद्र का उद्देश्य संबंधित हितधारकों की क्षमता निर्माण संबंधी आवश्यकताओं का समाधान करना, नीति समर्थन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले अवसरों का दोहन करने के लिए ज्ञान, प्रौद्योगिकी और वित्त लाकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और कमजोर समुदायों के लिए.

संपर्क सूचना

डॉ के इंकारसल
मुख्य महाप्रबंधक
नाबार्ड, प्रधान कार्यालय
4थी मंजिल, ‘सी’ विंग
प्लॉट: सी-24, ‘जी’ ब्लॉक
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व),
मुंबई -400051
दूरभाष: (+91) 022-68120077
ईमेल का पता: dcas@nabard.org

नाबार्ड प्रधान कार्यालय