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केन्द्रीय सतर्कता विभाग

नाबार्ड में केंद्रीय सतर्कता विभाग की स्थापना 1 जुलाई 1985 को की गई थी और प्रधान कार्यालय स्तर में केंद्रीय सतर्कता विभाग (सीवीडी), क्षेत्रीय कार्यालयों और प्रशिक्षण संस्थानों में सतर्कता विभाग हैं, जो कि मुख्य सतर्कता अधिकारी, नाबार्ड के समग्र नियंत्रण के अधीन काम कर रहे हैं. मुख्य सतर्कता अधिकारी का अधिकार क्षेत्र नाबार्ड की सभी सहायक कंपनियों पर भी लागू होता है जिनमें नाबार्ड से प्रतिनियुक्ति एक अधिकारी जो कम से सहायक महाप्रबंधक हो, को आंतरिक सतर्कता अधिकारी नामित किया जाता है.

सतर्कता प्रशासन का मूल उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं की अधिप्राप्ति के क्षेत्रों सहित बैंक के संपूर्ण कामकाज में ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है. यह केंद्रीय सतर्कता आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली के निर्देशों और आवश्यकताओं के प्रति बैंक के अनुपालन को सुधार करने में भी सहायता प्रदान करता है.

प्रमुख कार्य

केंद्रीय सतर्कता विभाग निम्नलिखित कार्य करता है:

  • कर्मचारियों के सतर्कता संबंधी मामलों पर कार्रवाई.
  • आम जनता, वित्तीय सेवाएँ विभाग (डीएफ़एस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), भारत सरकार केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) आदि से प्राप्त शिकायतों की जाँच करना.
  • भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, वित्तीय सेवाएँ विभाग (डीएफ़एस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, आदि को आवश्यक सूचना प्रदान करना.
  • पारस्परिक हितों के मुद्दों पर उपर्युक्त एजेंसियों के साथ संपर्क करना.
  • क्षेत्रीय कार्यालयों, प्रशिक्षण संस्थानों और प्रधान कार्यालय के विभागों के निवारक सतर्कता निरीक्षणों (पीवीआई) और निरीक्षण रिपोर्टों, लेखापरीक्षा रिपोर्टों, संविदाओं, अनर्जक आस्तियों के आवधिक अनुप्रवर्तन के माध्यम से निवारक सतर्कता पद्धतियाँ लागू करना.
  • संवेदनशील क्षेत्रों का पता लगाना.
  • व्यवस्थागत सुधार लाने हेतु सुझाव देना.

अज्ञात/छद्मनाम वाली शिकायतें:

कोई भी शिकायत जिसमें शिकायतकर्ता का नाम और पता नहीं होता है जो अज्ञात शिकायत होती है और ऐसी कोई शिकायत जिसमें शिकायतकर्ता का पूरा विवरण नहीं होता है अथवा अहस्ताक्षरित होती है या शिकायतकर्ता द्वारा बाद में की गई शिकायत के रूप में स्वीकार नहीं की जाती है, एक छद्म नाम की शिकायत है.

केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिनांक 24 सितंबर 2020 के आदेश क्रमांक 12/09/20 के अनुसार, 'अज्ञात/छद्म नाम वाली शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और ऐसी शिकायतों को फ़ाइल किया जाना चाहिए'.

जनहित प्रकटीकरण और मुखबिरों की सुरक्षा (पीआईडीपीआई) के अंतर्गत गुमनामी का संरक्षण

पीआईडीपीआई एक ऐसी व्यवस्था की परिकल्पना करता है जिसके माध्यम से शिकायतकर्ता शिकायत दर्ज कराकर चेतावनी जारी कर सकता है और ऐसा करने के लिए अपने उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा की मांग भी कर सकता है. इस व्यवस्था के अंतर्गत केंद्रीय सतर्कता आयोग लिखित शिकायतें या प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिए नामित एजेंसी के रूप में अधिकृत है. नामित एजेंसी, यदि उचित समझती है तो, प्रकटीकरण करने वाले व्यक्तियों से और जानकारी या ब्यौरे की मांग कर सकती है. शिकायतकर्ता की पहचान उजागर नहीं की जाएगी. पद के दुरुपयोग या भ्रष्टाचार के आरोपों का पता चलने पर नामित एजेंसी संबंधित विभाग या संगठन को उपयुक्त कार्रवाई की सिफारिश करेगी. यदि किसी आवेदन पर या एकत्र की गई जानकारी के आधार पर नामित एजेंसी का मत है कि शिकायतकर्ता या गवाह को सुरक्षा की आवश्यकता है, तो वह संबंधित सरकारी अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करेगी; और नामित एजेंसी के विपरीत निर्देशों के बावजूद सूचना देने वाले की पहचान का खुलासा होने की स्थिति में, नामित एजेंसी इस तरह के प्रकटीकरण करने वाले व्यक्ति या एजेंसी के खिलाफ मौजूदा नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई शुरू करने के लिए अधिकृत है. आयोग, मामले के तथ्यों के सत्यापन योग्य होने के अधीन, भारत सरकार के पीआईडीपीआई संकल्प के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई करेगा.

पीआईडीपीआई की शिकायत एक बंद/सुरक्षित लिफाफे में होनी चाहिए और इसे सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग को संबोधित किया जाना चाहिए. लिफाफे पर स्पष्ट रूप से "जनहित प्रकटीकरण के अंतर्गत शिकायत" या "पीआईडीपीआई" अंकित होना चाहिए. पीआईडीपीआई शिकायतकर्ता को अपना नाम और पता शिकायत की शुरुआत या अंत में या संलग्न पत्र में देना चाहिए. लिफाफे के ऊपर नाम और पता नहीं लिखा होना चाहिए. व्यक्ति की पहचान की सुरक्षित रखने हेतु, आयोग कोई पावती जारी नहीं करेगा और मुखबिरों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्वयं के हित में आयोग के साथ कोई और पत्राचार न करें. पीआईडीपीआई शिकायतों में ऐसे विवरण शामिल नहीं होने चाहिए जिससे शिकायतकर्ता की पहचान की जा सके.

अधिक जानकारी नीचे दिए गए वेबलिंक्स के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है:

  • पीआईडीपीआई शिकायत दर्ज़ करने हेतु दिशानिर्देश:

    https://cvc.gov.in/?q=citizens-corner/whistle-blower-complaints

  • पीआईडीपीआई शिकायत पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को इस लिंक

    https://cvc.gov.in/faq.pdf  के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है.

शिकायत निवारण की स्थिति

वर्ष 2023-24 के दौरान, केंद्रीय सतर्कता विभाग, प्रधान कार्यालय ने आम जनता, केंद्रीय सतर्कता आयोग, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, भारतीय रिजर्व बैंक, वित्तीय सेवाएँ विभाग आदि से प्राप्त 196 शिकायतों की जाँच की है. इनमें से 188 की जाँच पूर्ण की गई और उनका निपटान किया गया. मार्च 2024 की समाप्ति तक शेष 8 शिकायतें नियत प्रक्रिया में थीं.

प्रमुख लिंक्स

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग, भारत सरकार की शिकायत से निपटने की नीति को अध्याय III और पीआईडीपीआई के दिशा-निर्देशों को सतर्कता नियमावली (अद्यतन 2021) के अध्याय IV में देखा जा सकता है: https://www.cvc.gov.in/?q=guidelines/vigilance-manual-updated

अन्य जानकारी

शिकायतें, यदि कोई हो, तो निम्नलिखित पते पर या क्षेत्रीय कार्यालयों/प्रशिक्षण संस्थानों के प्रभारी अधिकारी को डाक/ई-मेल/फैक्स के माध्यम से भेजी जा सकती हैं.

संपर्क:

श्री यू दिनेश शानभाग
मुख्य सतर्कता अधिकारी
नाबार्ड, प्रधान कार्यालय
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स
पोस्ट बॉक्स संख्या 8121, बांद्रा (पूर्व), मुंबई – 400051
दूरभाष संख्या: 022-68120057
ई-मेल: cvd@nabard.org

नाबार्ड प्रधान कार्यालय