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सूचना प्रौद्योगिकी विभाग

12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना के बाद कम्प्यूटर सेवा प्रभाग (सीएसडी) के गठन के माध्यम से सुदृढ़ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आधारभूत संरचनाओं और सेवाओं की आवश्यकता को स्वीकार किया गया. पहले यह प्रभाग आर्थिक विश्लेषण और प्रकाशन प्रभाग का एक भाग था और इसे 1998 में नया नाम सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी) दिया गया ताकि बैंक के आईटी-सम्बन्धी कार्यों पर अलग से पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित किया जा सके और सूचना, संचार तथा प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को प्रभावी दिशा दी जा सके.

उद्देश्य

संगठन की सार्थकता बनी रहे और प्रभावी तथा सक्षम समाधान विकसित किए जा सकें, इसके लिए आईटी प्रणालियों, नेटवर्कों और प्लेटफ़ॉर्मों का आधुनिकीकरण अनिवार्य है. विभाग का मुख्य उद्देश्य बैंक को अद्यतन उपलब्ध प्रौद्योगिकी के अनुरूप ऐसी सुदृढ़, सुरक्षित और त्वरित आईटी प्रणालियाँ और सेवाएँ उपलब्ध कराना है ताकि परिचालन दक्षता और व्यवसाय उत्पादकता में सुधार के साथ-साथ निर्णय प्रक्रिया के लिए डाटा को तत्समय प्रसारित किया जा सके.

मूल कार्य

आईटी अभिशासन

आईटी अभिशासन संरचना में बोर्ड की आईटी रणनीति समिति (आइटीएससीबी), आईटी संचालन समिति (आईटीएससी), मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) और मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ) शामिल हैं. इसके अलावा एक आईटी सलाहकार समिति, जिसमें एक पूर्णकालिक निदेशक (डब्ल्यूटीडी), नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारी और अकादमिक क्षेत्र, सॉफ्टवेयर उद्योग तथा आईटी अनुसन्धान संस्थाओं से विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो बैंक को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, साइबर सुरक्षा और अन्य सम्बंधित मामलों पर परामर्श देती है. आईटी रणनीति समिति (आइटीएससीबी) में निदेशक मण्डल के सदस्यों और आईटी विशेषज्ञ शामिल होते हैं. यह समिति आईटी संचालन समिति के सुझावों का परीक्षण करती है और नए सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, आईटी प्लेटफॉर्म, साइबर सुरक्षा प्रणाली आदि से सम्बंधित प्रस्तावों को अनुमोदित / अनुशंसित करती है. डीआईटी के मुख्य महाप्रबंधक को मुख्य सूचना अधिकारी नामित किया गया है.

आईटी अभिशासन का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आईटी में किए गए निवेशों से व्यवसाय मूल्य सृजित हो और सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बंधित जोखिमों का शमन किया जा सके. यह उद्देश्य एक ऐसी संगठनात्मक संरचना कार्यान्वित करने के माध्यम से हासिल किया जा रहा है जिसमें सूचना, व्यवसाय प्रक्रिया, एप्लिकेशनों और आधारभूत संरचना के दायित्व के लिए सुपरिभाषित भूमिकाएँ दी गई हैं.

बैंक के लिए आईटी और आईटी से सम्बंधित नीतियाँ डिजाइन करना

विभाग बैंक के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए आईटी नीतियाँ तैयार करने के लिए जिम्मेदार है. ये नीतियाँ लागू सांविधिक/ विनियामकीय दिशानिर्देशों का ध्यान रखते हुए, बैंक की डिजिटल यात्रा में मार्गदर्शन करती हैं और सम्बंधित जोखिमों के शमन के लिए एक सुपरिभाषित प्रक्रिया स्थापित है.

आईटी आधारभूत संरचना के लिए प्रावधान, उसमें वृद्धि और नियमित आधार पर उसे बदलना

विभाग बैंक के भीतर कम्प्यूटर प्रणालियों को स्थापित करने और उनका रखरखाव करने का पर्यवेक्षण करता है. सभी सर्वर-स्तरीय हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का रखरखाव डीआईटी द्वारा किया जाता है और बैंक के सभी उपयोगकर्ताओं को चौबीसो घंटे उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है.

उद्यम-स्तरीय एप्लिकेशनों का एंकर कार्यान्वयन और रखरखाव

डीआईटी सर्वोत्तम श्रेणी के सेवाप्रदाताओं की सेवाएँ लेकर बैंक की व्यवसायगत, विकासगत और प्रशासनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले उद्यम-स्तरीय एप्लिकेशनों के कार्यान्वयन तथा रखरखाव की देखरेख करता है. बैंक ने आतंरिक रूप से एक कॉर्पोरेट इंट्रानेट भी विकसित किया है.

विभाग के उपयुक्त संसाधनों तक सुरक्षित मोबाइल और रिमोट पहुँच में सुधार

हाल ही में, प्रणालियों तक मोबाइल और रिमोट पहुँच की गति बहुत बढ़ गई है. इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं - पेपरलेस संगठन की दिशा में आगे बढ़ना और क्लाउड-आधारित सहयोगात्मक साधनों (टूल्स) को अपनाना.

संपर्क विवरण

श्री सी सरस्वती
मुख्य महाप्रबंधक
पाँचवा माला, 'सी’ विंग
सी -24, 'जी' ब्लॉक
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई - 400 051
टेली:022-68120041
ई-मेल पता: dit@nabard.org

आरटीआई के अंतर्गत सूचना – धारा 4(1)(बी)

नाबार्ड प्रधान कार्यालय