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सूक्ष्म ऋण नवप्रवर्तन विभाग

सूक्ष्म ऋण नवप्रवर्तन विभाग, विभिन्न उत्पादों और वितरण चैनलों के माध्यम से किफ़ायती तथा संधारणीय पद्धति से समाज के अत्यंत पिछड़े वर्गों अर्थात ग्रामीण आंतरिक इलाकों के ग़रीबों तक वित्तीय सेवाएँ पहुंचाने में सहायता करता है. सूक्ष्म वित्त नवप्रवर्तन अर्थात स्वयं सहायता समूह-बैंक सहबद्धता कार्यक्रम को राष्ट्र व्यापी स्तर पर मुख्य धारा में लाने के लिए वर्ष 1998 में इस विभाग का गठन किया गया. ‘सूक्ष्म ऋण नवप्रवर्तन’ विभाग के माध्यम से नाबार्ड देश में सूक्ष्म वित्त पहलों को सुकर बनाने में अपनी भूमिका निभाता आ रहा है.

प्रमुख कार्य

विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने और उनकी क्षमताओं का विकास कर इन पहलों को आगे ले जाने के लिए नाबार्ड लगातार ध्यान केन्द्रित करता आया है. इसके फलस्वरूप भारत में विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है जिसका उल्लेख यहाँ किया जा रहा है:

क. स्वयं सहायता समूह – बैंक सहबद्ध कार्यक्रम (एसएचजी-बीएलपी) का प्रसार

विभिन्न शोध अध्ययनों के प्रेक्षणों और नाबार्ड की एक शोध परियोजना के आधार पर अत्यंत पिछड़े और अल्प सेवा प्राप्त ग़रीबों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने के लिए एक किफ़ायती प्रभावी प्रणाली तैयार की गई. वर्ष 1992-93 के दौरान 500 स्वयं सहायता समूहों को औपचारिक वित्तीय संस्थाओं से जोड़ने का यह छोटा-सा प्रयोगिक प्रयास, ग्राहक आधार और पहुँच के संदर्भ में विश्व का सबसे बड़ा सूक्ष्म वित्त कार्यक्रम बन गया है.

ग़ैर सरकारी संगठन क्षेत्र ने स्वयं सहायता समूह संवर्धन संस्थाओं के रूप में कार्य करते हुए स्वयं सहायता समूहों के गठन उनके संवर्धन और उन्हें बैंक ऋण से सहबद्ध करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. नाबार्ड ने बाद में ग्रामीण वित्तीय संस्थाओं (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, ज़िला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों), कृषक क्लबों (एफ़सी), स्वयं सहायता समूह संघों, ग़ैर सरकारी संगठन-सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं, एकल ग्रामीण वलांटियरों (आईआरवी) आदि सहित कई अन्य को स्वयं सहायता संवर्धन संस्थाओं के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल किया. स्वयं सहायता संवर्धन के लिए नाबार्ड से प्रसारात्मक अनुदान सहायता के माध्यम से इन हितधारकों को प्रोत्साहित किया गया.

बचत प्राधान्य सूक्ष्म वित्त मॉडल अब विश्व का सबसे बड़ा समन्वित वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया है जिसमें देश के 14.2 करोड़ परिवार शामिल हैं. 87% पूरी तरह से महिला समूहों के चलते इस कार्यक्रम से देश में अत्यंत आवश्यक महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है. इस कार्यक्रम की वर्तमान, 31 मार्च 2022 की स्थिति, इसके अंत में दी गई है.

ख. भारत सरकार की महिला स्वयं सहायता समूह योजना

भारत सरकार द्वारा घोषित महिला स्वयं सहायता समूह योजना (डबल्यूएसएचजी) का कार्यान्वयन नाबार्ड ग़ैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कर रहा है और इसे पिछड़े और वामपंथी उग्रवादग्रस्त ज़िलों में सहायता प्रदान कर रहा है. ग़ैर सरकारी संगठन महिला स्वयं सहायता समूहों के संवर्धन और बैंक ऋण सहबद्धता में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं.

ग. संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) का संवर्धन और बैंकों द्वारा उनका वित्तपोषण

संयुक्त देयता समूह वास्तव में छोटे / सीमांत / बंटाईदारों / संपत्ति-हीन ग़रीबों के ऋण समूह होते हैं जिनके पास अपनी ज़मीन के उपयुक्त मालिकाना अधिकार नहीं होते. इन अनौपचारिक समूहों में 4-10 सदस्य होते हैं जो एक-जैसी आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं और बैंक से उनके द्वारा लिए गए ऋण की संयुक्त रूप से चुकौती के लिए वचनबद्ध होते हैं. नाबार्ड ने वर्ष 2004-05 में 13 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के सहयोग से आठ राज्यों में प्रायोगिक तौर पर संयुक्त देयता समूहों के वित्तपोषण की शुरूआत की. बाद में वर्ष 2006 में इस योजना को बैंकिंग प्रणाली की मुख्य धारा में लाया गया.

वित्तपोषक बैंकों और अन्य संयुक्त देयता समूह संवर्धन संस्थाओं (जेएलजीपीआई) को 100% पुनर्वित्त सहायता प्रदान करने के साथ – साथ, नाबार्ड योजना के अधीन सभी हितधारकों में जागरूकता निर्माण तथा उनके क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है.

घ. स्वयं सहायता समूहों का डिजिटाइज़ेशन – ई-शक्ति

विभाग ने स्वयं सहायता समूह स्तर पर लेखा बहियों और अन्य अभिलेखों को डिजिटाइज़ करने की प्रायोगिक परियोजना ई-शक्ति और बैंकों को स्वयं सहायता समूहों के साथ व्यापार सुकर करने के लिए बैंकों की सहायता करने के लिए बैंकों को डिजिटल रूप में अद्यतन रिकार्ड उपलब्ध कराया जाता है. वर्ष 2015 में प्रायोगिक आधार पर आरंभ करने के बाद वर्ष 2017 में देश के 100 ज़िलों में ई-शक्ति का विस्तार किया गया. वर्ष 2019-20 के दौरान 25 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों में 281 ज़िलों में परियोजना का और अधिक विस्तार किया गया. 31 मार्च 2022 को 12.74 लाख स्वयं सहायता समूहों का डिजिटाइज़ेशन किया गया जिसमें 146 लाख सदस्य शामिल हैं. डिजिटाइज़ किए गए 12.74 लाख स्वयं सहायता समूहों में ई-शक्ति से पहले, ऋण सहबद्ध की संख्या 4.82 लाख (डिजिटाइज़ किए गए समूहों का 39%) थी जो ई-शक्ति के बाद 31 मार्च 2022 को 7.17 लाख (डिजिटाइज़ किए गए समूहों का 56%) हो गई. स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को स्थानीय भाषा (10 भाषाओं) में अपने बैंकिंग लेन-देन संबंधी एसएमएस प्राप्त होने से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ गया है.

कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी और इसकी प्रगति परियोजना की वेबसाइट www.eshakti.nabard.org पर उपलब्ध है.

च. अखिल भारतीय स्तर पर आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम से नैबफाउंडेशन तक

  • नैबफाउंडेशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस अर्थात 15 अक्तूबर 2020 को देश के 35 ज़िलों में अखिल भारतीय स्तर पर एक अनोखा कार्यक्रम “मेरा पैड मेरा अधिकार” आरंभ किया गया. इस परियोजना का उद्घाटन माननीय महिला और बाल विकास तथा कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी और इस कम लागत वाली पैड मशीन का डिज़ाइन बनाने वाले पुरस्कार विजेता पद्मश्री श्री अरुणाचलम मुरुगनाथम ने किया. श्री अरुणाचलम इस परियोजना के तकनीकी साझेदार भी हैं.
  • इस परियोजना के अधीन पैड उत्पादन और विपणन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण कौशल की आवश्यकता सहित सैनिटरी पैड बनाने की माशीन के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए आजीविका उद्यम विकास कार्यक्रम चैनल का उपयोग किया जाता है. संबंधित स्वयं सहायता समूहों के लिए आजीविका पैदा करने के साथ-साथ इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत में महिलाओं की स्वच्छ माहवारी भी है. 31 मार्च 2022 को रु.1.99 करोड़ के कुल परियोजना परिव्यय के समक्ष रु.1.63 करोड़ का उपयोग किया गया है, 34 मशीनें लगाई गई हैं और विभिन्न ज़िलों में उत्पादन शुरू किया गया है.

अन्य पहल

आजीविका संवर्धन : स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को आजीविका गतिविधियां अपनाने के लिए सक्षम बनाने के लिए नाबार्ड ग़ैर सरकारी संगठनों और अन्य उपयुक्त संस्थाओं को शामिल करते हुए सूक्ष्म उद्यम विकास कार्यक्रमों (एमईडीपी) तथा आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सहायता प्रदान करता रहा है.

  • प्रकाशन : विभाग स्वयं सहायता समूह–बैंक सहबद्धता और अन्य सूक्ष्म वित्त गतिविधियों से संबंधित विषयों पर नियमित आधार पर विविध सामग्री का प्रकाशन करता है. इनमें से एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण “भारत में सूक्ष्म वित्त की स्थिति” वार्षिक प्रकाशन है. संदर्भ सामग्री के रूप में शोधार्थी, नीति आयोजक, सरकारी विभाग आदि इसका उपयोग करते हैं.
  • प्रशिक्षण और बैंकों, ग़ैर सरकारी संगठनों, सरकारी विभागों आदि अन्य संस्थाओं जैसे साझेदार एजेंसियों के कार्मिकों के क्षमता विकास के लिए सहायता प्रदान करना.
  • स्वयं सहायता समूहों और संयुक्त देयता समूहों के गठन और बैंकों के साथ सहबद्धता के लिए ग़ैर सरकारी संगठनों और अन्य संस्थाओं को सहायता प्रदान करना.
  • बैंकों, सरकारी संस्थाओं, ग़ैर सरकारी संगठन साझेदारों और उनसे महत्त्वपूर्ण स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों जैसे सभी हितधारकों के लाभ के लिए प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रमों, संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के आयोजन के लिए सहायता और प्रयोजन.

स्वयं सहायता समूह – बैंक सहबद्धता कार्यक्रम की उपलब्धियां – 31 मार्च 2022 की स्थिति

क्रम सं विवरण भौतिक (संख्या लाख में) वित्तीय (रुपये करोड़ में)
1 31 मार्च 2022 को बैंकों के साथ बचत सहबद्ध स्वयं सहायता समूहों की संख्या 134.03 58892.68
(i) कुल स्वयं सहायता समूहों में – केवल महिला स्वयं सहायता समूह 112.92 52455.48
(ii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन – एनआरएलएम / स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना - एसजीएसवाई के अधीन 82.01 37424.80
(iii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - एनयूएलएम / स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना -एसजेएसआरवाई के अधीन 7.39 3547.12
2 वर्ष 2021-22 के दौरान ऋण सहबद्ध कुल स्वयं सहायता समूहों की संख्या 42.96
145200.23
(i) कुल स्वयं सहायता समूहों में - केवल महिला स्वयं सहायता समूह 41.42
139315.69
(ii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन – एनआरएलएम / स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना - एसजीएसवाई के अधीन 34.87
116479.07
(iii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - एनयूएलएम / स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना -एसजेएसआरवाई के अधीन 1.98
8627.25
3 31 मार्च 2022 को बकाया ऋण वाले कुल स्वयं सहायता समूहों की संख्या 69.57
188078.80
(i) कुल स्वयं सहायता समूहों में – केवल महिला स्वयं सहायता समूह 65.15 179468.42
(ii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन – एनआरएलएम / स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना - एसजीएसवाई के अधीन 55.45 150506.71
(iii) कुल स्वयं सहायता समूहों में – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - एनयूएलएम / स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना -एसजेएसआरवाई के अधीन 3.42 11077.18
4 31 मार्च 2022 को प्रति स्वयं सहायता समूह औसत बकाया ऋण राशि (₹ में)
2.70
5 वर्ष 2021-22 के दौरान संवितरित प्रति स्वयं सहायता समूह औसत ऋण राशि (₹ में)
3.38
6 31 मार्च 2022 तक शामिल किए गए अनुमानित परिवारों की संख्या
1618.97
7 प्रबंध सूचना प्रणाली एमआईएस प्रस्तुत करने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की संख्या 419
8 संयुक्त देयता समूहों संबंधी जानकारी
(i) 31 मार्च 2021 तक संवर्धित संयुक्त देयता समूह 187.92 325937.63
(ii) वर्ष 2021-22 के दौरान संवर्धित संयुक्त देयता समूह  70.00
133372.85
(iii) 31 मार्च 2022 तक संवर्धित संचयी संयुक्त देयता समूह 257.92 459310.48
9 नाबार्ड से सहायता    
(i) साझेदार संस्थाओं के लिए क्षमता विकास    
  स्वयं सहायता समूह-बैंक ऋण सहबद्धता कार्यक्रम और संयुक्त देयता समूह योजना के अधीन    
  वर्ष 2021-22 के दौरान आयोजित कार्यक्रमों की संख्या 1.99  
  वर्ष 2021-22 के दौरान शामिल प्रतिभागियों की संख्या (लाख में) 47.33  
(वामपंथी उग्रवादग्रस्त और पिछड़े ज़िलों में) महिला स्वयं सहायता समूह योजना
वर्ष 2021-22 के दौरान आयोजित कार्यक्रमों की संख्या 1457
वर्ष 2021-22 के दौरान शामिल प्रतिभागियों की संख्या (लाख में) 0.6
(ii) सूक्ष्म वित्त संस्थाओं को चक्रिक निधि सहायता (आरएफ़ए) और पूंजी सहायता    
  31 मार्च 2022 को बकाया चक्रिक निधि सहायता   6776.56
31 मार्च 2022 को बकाया पूंजी सहायता 107795.77
(iii) वर्ष 2021-22 के दौरान ग़ैर बैंकिंग वित्त संस्थाओं को संवितरित पुनर्वित्त सहायता  
(iv) स्वयं सहायता समूह – बैंक सहबद्धता कार्यक्रम के अधीन स्वयं सहायता समूहों के संवर्धन के लिए स्वयं सहायता संवर्धन संस्थाओं को अनुदान सहायता  
वर्ष 2021-22 के दौरान स्वीकृत अनुदान सहायता 0.10
31 मार्च 2022 तक स्वीकृत संचयी स्वीकृति 428.28
(v) 31 मार्च 2022 तक महिला स्वयं सहायता समूह विकास योजना के अधीन स्वयं सहायता समूहों के प्रसार के लिए स्थिर ग़ैर सरकारी संगठनों को स्वीकृत संचयी अनुदान सहायता 204.38
(vi) 31 मार्च 2022 तक संयुक्त देयता समूहों के संवर्धन के लिए संयुक्त देयता समूह संवर्धन संस्थाओं को स्वीकृत संचयी अनुदान   319.83

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