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सूचना का अधिकार

सरकारी योजना विभाग

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) (ख) के अंतर्गत प्रकाशन के लिए अपेक्षित सूचना

क्र.सं.

विवरण

सूचना

(ii)

विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियाँ और कर्त्तव्य

सरकारी योजना विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निम्नलिखित कर्तव्यों का निर्वहन करते करते हैं:

अ) भारत सरकार की पूँजी सब्सिडी योजनाओं का कार्यान्वयन:

नाबार्ड भारत सरकार की विभिन्न ऋण-सहबद्ध सब्सिडी योजनाओं, विशेष रूप से कृषि परियोजनाओं और प्राथमिकता क्षेत्र गतिविधियों के लिए, के अंतर्गत पात्र बैंकों को सब्सिडी पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. इन योजनाओं के कार्यान्वयन से कृषि और अनुषंगी क्षेत्र तथा प्राथमिकता क्षेत्र के लिए आधार-स्तरीय ऋण में वृद्धि संभव हुई है:

i. समन्वित कृषि विपणन योजना (आईएसएएम) की नई कृषि विपणन आधारभूत संरचना उप-योजना

ii. कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी)

आ) भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा जारी ब्याज सहायता:

i. भारत सरकार की फसल ऋण, पशुपालन और मात्स्यिकी के लिए ब्याज सहायता योजना

ii. चीनी मिलों को विद्यमान एथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि और अतिरिक्त उत्पादन क्षमता उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय सहायता देने हेतु ब्याज सहायता योजना

 

(iii)

विभाग में विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व के माध्यम सम्मिलित हैं.

कार्यविधि- सब्सिडी/ ब्याज सहायता जारी करने सम्बन्धी तौर-तरीके भारत सरकार द्वारा तैयार की गई सम्बंधित योजना में निर्धारित कार्यविधियों से संचालित होते हैं. इस संबंध में नाबार्ड द्वारा समय-समय पर परिचालनात्मक दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं.


उत्तरदायित्व- उत्तरदायित्व के लिए नाबार्ड की नीति का अनुसरण किया जाता है.

(iv)

अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए विभाग द्वारा स्थापित मानदंड

कृत्यों का निर्वहन नाबार्ड के नियमों और विनियमों, भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त दिशानिर्देशों और विभाग द्वारा जारी विभिन्न नीतिगत परिपत्रों में निर्धारित मानदंडों/ मानकों की संरचना के भीतर किया जाता है. विभिन्न कृत्यों के लिए मानदंडों की रूपरेखा निम्नानुसार है:

1. भारत सरकार की योजना के अंतर्गत 7% वार्षिक की दर पर फसल ऋण के वित्तपोषण के लिए ब्याज सहायता योजना–

भारत सरकार ने वर्ष 2006-07 में ब्याज सहायता योजना शुरू की थी. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए भारत सरकार के विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार: सरकारी क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों (उनके द्वारा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रात्त ऋणों के मामले मैं), सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रति किसान रु.3,00,000 तक के उनकी अपनी निधियों से प्रदत्त ऋणों के लिए 1.5% वार्षिक की ऋण सहायता दी जाती है, बशर्ते उधारदाता संस्थाएँ आधार स्तर पर किसानों को 7% वार्षिक की दर पर अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराएँ.

उक्त के अतिरिक्त, 2009-10 से समय पर चुकौती करने वाले किसानों को अतिरिक्त ब्याज सहायता देने की योजना शुरू की गई जिसमें वर्तमान में समय पर चुकौती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 3% की ब्याज सहायता दी जाती है. यह सहायता किसानों को वर्ष के दौरान अधिकतम रु.3.00 लाख तक के अल्पावधि उत्पादन ऋणों पर और एएच एंड एफ की कार्य शील पूंजी की आवश्यकता के लिए 2 लाख रुपये तक की उप-सीमा, अधिकतम सीमा 3 लाख रुपये क्र.सं. विवरण सूचना के अधीन दी जाती है. इस प्रकार समय पर चुकौती करने वाले किसानों को विभिन्न बैंकों से 4% वार्षिक की दर पर अल्पावधि उत्पादन ऋण मिल रहा है.

किसानों द्वारा मजबूरी में अपनी उपज बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, बैंकों के लिए 1.5% की दर से ब्याज छूट का लाभ उपलब्ध है, जिससे वे किसान क्रेडिट कार्ड वाले छोटे और सीमांत किसानों को छह महीने तक ऋण देने में सक्षम हो जाते हैं। फसल की कटाई के बाद और वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त गोदामों में संग्रहीत उपज के लिए जारी की गई परक्राम्य वेयरहाउस रसीदों के आधार पर ऋण उपलब्ध है।

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए बैंकों को पुन:संरचित ऋणों पर पहले वर्ष के लिए ब्याज सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे पुन:संरचित ऋणों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लगेगी. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 अगस्त 2022 के अपने एफ. सं. 1-4/2020 – क्रेडिट -I के माध्यम से बैंकों को दी जाने वाली ब्याज सहायता में आशोधन किया है. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए: सहकारी बैंकों, क्षेग्रा बैंकों, लघु वित्त बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों को कृषि और पशुपालन, डेयरी, मात्स्यिकी, मधुमक्खी पालन आदि सहित अनुषंगी क्षेत्रों के लिए अपनी निधि का उपयोग करते हुए प्रदत्त ऋणों हेतु 1.5% ब्याज सहायता देय होगी, बशर्ते बैंक 7% पर ऋण देते हों

2.पशुपालन और मात्स्यिकी की कार्यशील पूँजी पर ब्याज सहायता 

भारत सरकार ने फसल ऋण लेने वाले किसानों को जारी केसीसी पर लागू ब्याज सहायता को 2018-19 से केसीसी धारक पशुपलाक और मत्स्य किसानों के मामले में भी लागू किया था. फसल ऋण के लिए विद्यमान केसीसी से अलग पशुपालक और मत्स्य किसानों को प्रदत्त अल्पावधि ऋणों पर बैंकों को 2% की ब्याज सहायता (वि.वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए 1.5% की ब्याज सहायता) और समय पर चुकौती के लिए प्रोत्साहन के रूप में किसानों को 3% की ब्याज सहायता दी जाती है, बशर्ते बैंकों द्वारा 7% वार्षिक की दर पर ऋण दिए गए हों. फसलोत्पादन के लिए केसीसी रखने वाले जो किसान पशुपालन या मात्स्यिकी गतिविधियों में भी लगे हों, उनके मामले में ब्याज सहायता रु.3.00 लाख वार्षिक की समग्र सीमा तक ही उपलब्ध है.

3. एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने की योजना

योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, खाद्य और सार्वजानिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करता है. चीनी मिलों को परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बैंक ऋण हेतु बैंकों से संपर्क करना पड़ता है. नाबार्ड को डीएफपीडी, भारत सरकार के साथ संवाद करने और योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता के प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.

योजना के अंतर्गत सहायता: :बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण पर 6% वार्षिक की दर पर या ब्याज दर के 50% में से जो भी कम हो, उस दर पर ब्याज का वहन एक वर्ष की आस्थगन अवधि सहित केवल पाँच वर्षों के लिए भारत सरकार द्वारा किया जाएगा.

पात्र संस्थाएँ: सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक, निजी वाणिज्यिक बैंक, अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी, और कोई भी अन्य वित्तीय संस्था, जो नाबार्ड से पुनर्वित्त के लिए पात्र है, पात्र चीनी मिलों की ओर से योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता का दावा करने के लिए पात्र हैं.

4. पूँजी निवेश सब्सिडी योजनाएँ -  नाबार्ड भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न सरकार-प्रायोजित योजनाओं के लिए सब्सिडी पहुँचाने हेतु माध्यम एजेंसी है जिनका विवरण निम्नानुसार है:

(i) समन्वित कृषि विपणन योजना (आईएसएएम) की कृषि विपणन आधारभूत संरचना उप-योजना

(ii) कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी)सब्सिडी कार्यक्रमों के निष्पादन सम्बन्धी मानदंड मद सं. (xii) में दिए गए हैं.

(ix)

विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका

अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका -

(x)

विभाग के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक, जिसके अंतर्गत प्रतिकर की प्रणाली भी है जो उसके विनियमों में यथा-उपबंधित हो.

यहाँ क्लिक करें -

(xi)

सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्ययों और किए गए संवितरणों पर रिपोर्टों के अलग-अलग विवरण उपदर्शित करते हुए विभाग के प्रत्येक अभिकरण (एजेंसी) को आबंटित बजट

आबंटित बजट और किए गए संवितरण:

सरकार-प्रायोजित योजनाएँ

Rs . करोड़ में

क्र.सं.

योजना का नाम

31.03.2025 की स्थिति के अनुसार संचयी संवितरण

1

आईएसएएम की नई कृषि विपणन आधारभूत संरचना उप-योजना

2053.344

2

कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी)

160.04

(xii)

सहायिकी (सब्सिडी) कार्यक्रमों के निष्पादन की रीति जिसमें आबंटित राशि और कार्यक्रमों के लाभार्थियों के ब्यौरे सम्मिलित हैं.

नाबार्ड के माध्यम से चलाई जाने वाली चालू पूँजी सब्सिडी योजनाओं की सूची मद सं. 4 के बिंदु सं. (iv) पर दी गई हैं.

1. कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी) -

उद्देश्य – किसानों को उनके दरवाजे पर मूल्य-वर्धित विस्तार सेवाएँ, परामर्श सेवाएँ अदि देने में सक्षम कृषि-उद्यम स्थापित करने के लिए अर्हता-प्राप्त कृषि-व्यावसायिकों को सुविधा प्रदान कर सरकारी विस्तार सेवाओं के प्रयासों की अनुपूर्ति करना.

कार्यविधि – नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय बैंको से प्राप्त सब्सिडी के दावों के प्रस्तावों की संवीक्षा करते हैं और सब्सिडी को मंजूरी देते हैं. क्षेत्रीय कार्यालय सब्सिडी के समेकित दावे पुनर्वित्त विभाग, प्रधान कार्यालय को प्रेषित करते हैं जो दावों के आधार पर भारत सरकार को निधियों की माँग प्रेषित करता है. भारत सरकार से निधियों की उपलब्धता के आधार पर क्षेत्रीय कार्यालयों से प्राप्त दावों की पुष्टि सम्बंधित बैंकों को जारी करने के लिए की जाती है. सब्सिडी की उपलब्धता – योजना के अंतर्गत महिलाओं, अनुसूचित जाति/ जनजाति के सदस्यों, और पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय क्षेत्रों के सभी श्रेणी के लाभार्थियों को परियोजना लागत के 44% की सम्मिश्र सब्सिडी, और अन्य सभी लाभार्थियों को परियोजना लागत के 36% की सब्सिडी दी जाती है.

2. कृषि विपणन आधारभूत संरचना योजना (एएमआई) -

उद्देश्य – कृषि और अनुषंगी क्षेत्र की अतिरिक्त बिक्री-योग्य उपज के विपणन के प्रभावी प्रबंधन के लिए विपणन आधारभूत संरचना विकसित करना, फसलोपरांत प्रबंधन के लिए नवोन्मेषी और अधुनातन प्रौद्योगिकी का संवर्धन करना, खेती की उपज, प्रसंस्कृत उपज और कृषि निविष्टियों के लिए वैज्ञानिक भण्डारण क्षमता के सृजन को बढ़ावा देना.उद्देश्य – कृषि और अनुषंगी क्षेत्र की अतिरिक्त बिक्री-योग्य उपज के विपणन के प्रभावी प्रबंधन के लिए विपणन आधारभूत संरचना विकसित करना, फसलोपरांत प्रबंधन के लिए नवोन्मेषी और अधुनातन प्रौद्योगिकी का संवर्धन करना, खेती की उपज, प्रसंस्कृत उपज और कृषि निविष्टियों के लिए वैज्ञानिक भण्डारण क्षमता के सृजन को बढ़ावा देना.

भण्डारण आधारभूत संरचना परियोजनाओं के लिए: सब्सिडी के प्रयोजन से वित्तीय संस्था द्वारा यथा-आकलित परियोजना लागत के हिसाब से परियोजना की पूँजी लागत या किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा यथा-प्रमाणित पात्र घटकों की वास्तविक लागत की परिगणना कर, इनमें से जो भी कम हो, प्रति मीट्रिक टन सब्सिडी सीमा और साथ ही नीचे दी गई समग्र सीमा के अधीन:

श्रेणी सब्सिडी की दर (पूँजी लागत पर) सब्सिडी की सीमा
50-1000 मी.ट. (रु./मी.ट.) 1000 मी.ट. से अधिक 10,000 मी.ट. तक (रु./मी.ट.) अधिकतम सीमा (रु. लाख) एकल दावे के लिए
अ) पूर्वोत्तर के राज्य, सिक्किम, संघराज्य क्षेत्र अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप, पर्वतीय* क्षेत्र 33.33% 2666.40 2666.40 133.20
आ) अन्य क्षेत्र        
1. पंजीकृत एफपीओ, पंचायतें, महिलाएँ, अनुसूचित जाति/ जनजाति के उद्यमी या उनकी सहकारी संस्थाएँ**/ स्वयं सहायता समूह 33.33% 2333/- 2000/- 100.00
2. अन्य सभी श्रेणियों के लाभार्थी 25% 1700/- 1500/- 75.00

उपरोक्त संशोधित सब्सिडी दर उन परियोजनाओं पर लागू होंगे जिनके लिए सावधि ऋण 10.11.2024 को या उसके बाद स्वीकृत किया गया है।

* पर्वतीय क्षेत्र में वे स्थान आते हैं जो औसत समुद्र तल से 1,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं.

** अनुसूचित जाति/ जनजाति की सहकारी संस्थाओं को राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारी द्वारा प्रमाणित होना चाहिए.

भंडार से इतर परियोजनाओं के लिए: सब्सिडी के प्रयोजन से वित्तीय संस्था द्वारा यथा-आकलित परियोजना लागत के हिसाब से परियोजना की पूँजी लागत या किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा यथा-प्रमाणित पात्र घटकों की वास्तविक लागत की परिगणना कर, इनमें से जो भी कम हो.

श्रेणी

सब्सिडी की दर (पूँजी लागत पर)

सब्सिडी की उच्चतम सीमा# (रु. लाख में)

अ) पूर्वोत्तर के राज्य, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, संघराज्य क्षेत्र अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप, पर्वतीय* क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्र

33.33%

30.00 Lakhs

आ) अन्य क्षेत्र      
1. पंजीकृत एफपीओ, पंचायती राज संस्थाएँ, महिला कृषक/ उद्यमी, अनुसूचित जाति/ जनजाति के उद्यमी या उनकी सहकारी संस्थाएँ** 33.33% 30.00 लाख
2. अन्य सभी श्रेणियों के लाभार्थी 25% 25.00 लाख

* पर्वतीय क्षेत्र में वे स्थान आते हैं जो औसत समुद्र तल से 1,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं.

** अनुसूचित जाति/ जनजाति की सहकारी संस्थाओं को राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारी द्वारा प्रमाणित होना चाहिए.

# दाल की दलाई और तेल की पेराई की परियोजनाओं के लिए 25% वाली श्रेणी के लिए अधिकतम सब्सिडी रु.12.50 लाख और 33.33% वाली श्रेणी के लिए अधिकतम सब्सिडी रु.16.66 लाख मात्र है.

कार्यविधि – अग्रिम सब्सिडी के लिए, बैंक सावधि ऋण की पहली क़िस्त के संवितरण से 90 दिनों के भीतर सब्सिडी के दावे ‘एनश्योर’ पोर्टल में फ़ाइल करते हैं और हार्ड प्रति में आवश्यक दस्तावेज क्षेत्रीय कार्यालयों में प्रस्तुत करते हैं जो दावों की संवीक्षा कर नाबार्ड के प्रधान कार्यालय को भेज देते हैं. निधियों की उपलब्धता के आधार पर दावों की पुष्टि की जाती है और सब्सिडी का संवितरण किया जाता है. अंतिम सब्सिडी का दावा बैंक द्वारा निरीक्षण के बाद पोर्टल में टर्म लोन की पहली किस्त के वितरण की तारीख से 18 महीने (जुर्माने के साथ अतिरिक्त 6 महीने की अनुमति) के भीतर भरा जाना चाहिए योजना संबंधी विस्तृत जानकारी नाबार्ड वेबसाइट (https://www.nabard.org/auth/writereaddata/tender/1412180913Cir_283_E%20.pdf) -
https://www.nabard.org/auth/writereaddata/File/circular-no-271-dor-68-ami-addendum-with-annexures.pdf -


वह भाषा जिसमें मैनुअल/ पुस्तिकाएँ उपलब्ध हैं.

सरकार योजनाओं पर सभी परिपत्र और पुस्तिकाएँ द्विभाषिक हैं.


इलेक्ट्रोनिक रूप में उपलब्ध सूचना

सभी परिपत्र और संगत सूचनाएँ सॉफ्ट फॉर्म में नाबार्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.

(xiii)

संगठन की सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं का विवरण

नाबार्ड में परिवाद/ शिकायत निवारण तंत्र स्थापित है. व्यक्तियों/ एजेंसियों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना माँगी जा सकती है.

(xiv)

ऐसी अन्य सूचनाएँ जो इस धारा के अंतर्गत निर्धारित हैं.

परिवाद निवारण पोर्टल, वेबमास्टर और ई-मेल के मध्यम से सरकार-प्रायोजित चालू योजनाओं के अंतर्गत ब्याज सहायता और सब्सिडी से सम्बंधित सभी परिवादों/ शिकायतों का उत्तर दिया जाता है.

अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआईपी) से प्राप्त सन्दर्भों और सूचना का अधिकार के अंतर्गत माँगी जाने वाली सूचनाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं.

सूचना का अधिकार