कृत्यों का निर्वहन नाबार्ड के नियमों और विनियमों, भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त दिशानिर्देशों और विभाग द्वारा जारी विभिन्न नीतिगत परिपत्रों में निर्धारित मानदंडों/ मानकों की संरचना के भीतर किया जाता है. विभिन्न कृत्यों के लिए मानदंडों की रूपरेखा निम्नानुसार है:
1. भारत सरकार की योजना के अंतर्गत 7% वार्षिक की दर पर फसल ऋण के वित्तपोषण के लिए ब्याज सहायता योजना–
भारत सरकार ने वर्ष 2006-07 में ब्याज सहायता योजना शुरू की थी. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए भारत सरकार के विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार: सरकारी क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों (उनके द्वारा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रात्त ऋणों के मामले मैं), सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रति किसान रु.3,00,000 तक के उनकी अपनी निधियों से प्रदत्त ऋणों के लिए 1.5% वार्षिक की ऋण सहायता दी जाती है, बशर्ते उधारदाता संस्थाएँ आधार स्तर पर किसानों को 7% वार्षिक की दर पर अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराएँ.
उक्त के अतिरिक्त, 2009-10 से समय पर चुकौती करने वाले किसानों को अतिरिक्त ब्याज सहायता देने की योजना शुरू की गई जिसमें वर्तमान में समय पर चुकौती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 3% की ब्याज सहायता दी जाती है. यह सहायता किसानों को वर्ष के दौरान अधिकतम रु.3.00 लाख तक के अल्पावधि उत्पादन ऋणों पर और एएच एंड एफ की कार्य शील पूंजी की आवश्यकता के लिए 2 लाख रुपये तक की उप-सीमा, अधिकतम सीमा 3 लाख रुपये क्र.सं. विवरण सूचना के अधीन दी जाती है. इस प्रकार समय पर चुकौती करने वाले किसानों को विभिन्न बैंकों से 4% वार्षिक की दर पर अल्पावधि उत्पादन ऋण मिल रहा है.
किसानों द्वारा मजबूरी में अपनी उपज बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, बैंकों के लिए 1.5% की दर से ब्याज छूट का लाभ उपलब्ध है, जिससे वे किसान क्रेडिट कार्ड वाले छोटे और सीमांत किसानों को छह महीने तक ऋण देने में सक्षम हो जाते हैं। फसल की कटाई के बाद और वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त गोदामों में संग्रहीत उपज के लिए जारी की गई परक्राम्य वेयरहाउस रसीदों के आधार पर ऋण उपलब्ध है।
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए बैंकों को पुन:संरचित ऋणों पर पहले वर्ष के लिए ब्याज सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे पुन:संरचित ऋणों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लगेगी. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 अगस्त 2022 के अपने एफ. सं. 1-4/2020 – क्रेडिट -I के माध्यम से बैंकों को दी जाने वाली ब्याज सहायता में आशोधन किया है. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए: सहकारी बैंकों, क्षेग्रा बैंकों, लघु वित्त बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों को कृषि और पशुपालन, डेयरी, मात्स्यिकी, मधुमक्खी पालन आदि सहित अनुषंगी क्षेत्रों के लिए अपनी निधि का उपयोग करते हुए प्रदत्त ऋणों हेतु 1.5% ब्याज सहायता देय होगी, बशर्ते बैंक 7% पर ऋण देते हों
2.पशुपालन और मात्स्यिकी की कार्यशील पूँजी पर ब्याज सहायता
भारत सरकार ने फसल ऋण लेने वाले किसानों को जारी केसीसी पर लागू ब्याज सहायता को 2018-19 से केसीसी धारक पशुपलाक और मत्स्य किसानों के मामले में भी लागू किया था. फसल ऋण के लिए विद्यमान केसीसी से अलग पशुपालक और मत्स्य किसानों को प्रदत्त अल्पावधि ऋणों पर बैंकों को 2% की ब्याज सहायता (वि.वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए 1.5% की ब्याज सहायता) और समय पर चुकौती के लिए प्रोत्साहन के रूप में किसानों को 3% की ब्याज सहायता दी जाती है, बशर्ते बैंकों द्वारा 7% वार्षिक की दर पर ऋण दिए गए हों. फसलोत्पादन के लिए केसीसी रखने वाले जो किसान पशुपालन या मात्स्यिकी गतिविधियों में भी लगे हों, उनके मामले में ब्याज सहायता रु.3.00 लाख वार्षिक की समग्र सीमा तक ही उपलब्ध है.
3. एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने की योजना
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, खाद्य और सार्वजानिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करता है. चीनी मिलों को परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बैंक ऋण हेतु बैंकों से संपर्क करना पड़ता है. नाबार्ड को डीएफपीडी, भारत सरकार के साथ संवाद करने और योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता के प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.
योजना के अंतर्गत सहायता: :बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण पर 6% वार्षिक की दर पर या ब्याज दर के 50% में से जो भी कम हो, उस दर पर ब्याज का वहन एक वर्ष की आस्थगन अवधि सहित केवल पाँच वर्षों के लिए भारत सरकार द्वारा किया जाएगा.
पात्र संस्थाएँ: सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक, निजी वाणिज्यिक बैंक, अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी, और कोई भी अन्य वित्तीय संस्था, जो नाबार्ड से पुनर्वित्त के लिए पात्र है, पात्र चीनी मिलों की ओर से योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता का दावा करने के लिए पात्र हैं.
4. पूँजी निवेश सब्सिडी योजनाएँ - नाबार्ड भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न सरकार-प्रायोजित योजनाओं के लिए सब्सिडी पहुँचाने हेतु माध्यम एजेंसी है जिनका विवरण निम्नानुसार है:
(i) समन्वित कृषि विपणन योजना (आईएसएएम) की कृषि विपणन आधारभूत संरचना उप-योजना
(ii) कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी)सब्सिडी कार्यक्रमों के निष्पादन सम्बन्धी मानदंड मद सं. (xii) में दिए गए हैं.
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