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राज्य परियोजना विभाग

राज्य परियोजना विभाग (एसपीडी), ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ़) से ऋण प्रदान करता है. प्रारंभ में केवल राज्य सरकारें परियोजना के आधार पर आरआईडीएफ़ के तहत ऋण लेने के लिए पात्र थीं. लेकिन 01 अप्रैल 1999 से पंचायती राज संस्थाएं (पीआरआई), गैरसरकारी संगठन (एनजीओ), स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) इत्यादि भी आरआईडीएफ़ के तहत ऋण लेने के लिए पात्र हो गए. पिछले लगभग दो दशकों में, आरआईडीएफ़ ने भारत की कुल ग्रामीण आधारभूत सुविधा के लगभग पांचवें हिस्से का वित्तपोषण किया है. ग्रामीण आधारभूत संरचना के क्षेत्र में आरआईडीएफ कुछ वर्षों से सार्वजनिक पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत बन गया हैं.

1. आरआईडीएफ की उत्पत्ति

ग्रामीण आधारभूत संरचनाओं के निर्माण संबंधी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए 1995 में शुरू की गई आरआईडीएफ़ योजना इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी नीतिगत पहल थी.

वित्तीय संसाधनों के अभाव में राज्यों की अधूरी आधारभूत परियोजनाओं को वित्तीय पोषण देने के लिए आरआईडीएफ़ की स्थापना की गई. महत्वपूर्ण आधारभूत सुविधाओं की अपर्याप्तता के कारण, बैंक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के दिशानिर्देशों के अनुसार कृषि के लिए ऋण संवितरण करने में असमर्थ थे.

इस कारण 1995-96 के बजट में भारत सरकार ने उस समय सिंचाई के क्षेत्र में चल रही आधारभूत सुविधा परियोजनाओं को वित्तपोषण प्रदान करने के लिए नाबार्ड द्वारा प्रचालित ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ़) की घोषणा की. बाद में, यह निधि नई ग्रामीण आधारभूत सुविधा परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराई गई एवं इसके दायरे को ग्रामीण आधारभूत सुविधा के लगभग सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल करने के लिए बढ़ाया गया.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों के लिए यथानिर्धारित प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लिए ऋण में कमी की राशि से आरआईडीएफ़ के लिए संसाधन जुटाए जाते हैं.

2. विभाग के महत्वपूर्ण कार्य

आरआईडीएफ़ की एक विशेष खेप की राशि का निर्धारण प्रत्येक वर्ष भारत सरकार के द्वारा किया जाता है. आरआईडीएफ़ के अंतर्गत वार्षिक निधि का आवंटन सभी राज्यों में निम्नांकित मानदंडो के आधार पर किया जाता है.

  • राज्य का भौगोलिक क्षेत्र
  • प्रतिलोम समग्र आधारभूत विकास सूचकांक
  • राष्ट्रिय ग्रामीण जनसंख्या में हिस्सेदारी और ग्रामीण गरीबी दर
  • प्रतिलोम सीडी अनुपात और प्रतिलोम प्रति व्यक्ति प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण
  • आरआईडीएफ के अंतर्गत प्रदर्शन (औसत संवितरण और आहरण योग्य राशि का उपयोग)
  • कृषि (सिंचाई सहित) और पेयजल परियोजना के लिए औसत मंजूरी
  • आरआईडीएफ़ की विशेष खेप अथवा किसी अन्य निधि के लिए बैंकों के योगदान की राशि का निर्धारण वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में ही कर दिया जाता है. संवितरण के लिए जब निधि की आवश्यकता होती है तो नाबार्ड संबंधित बैंक से निधि की मांग करते हैं.
  • कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र तथा ग्रामीण कनेक्टिविटी, इन तीनों शीर्षों में मोटे तौर पर वर्गीकृत 39 गतिविधियों के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं के लिए नाबार्ड राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
  • पात्र परियोजनाएं राज्य सरकार के वित्त विभाग द्वारा नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की जाती हैं. क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा परियोजनाओं का मूल्यांकन कर प्रधान कार्यालय को भेज दिया जाता है. प्रधान कार्यालय में इसे परियोजना मंजूरी समिति (पीएससी) अथवा आंतरिक मंजूरी समिति (आईएससी) के समक्ष विचार एवं संस्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है.
  • ग्रामीण आधारभूत सुविधा संवर्धन निधि (आरआईपीएफ़) का सृजन हितधारकों के क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के साथ-साथ विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में नवीन / प्रायोगिक / संवर्धनात्मक आधारभूत सुविधा के सहयोग के लिए 01 सितंबर 2011 से 25 करोड़ रू से किया गया. आरआईपीएफ़ के अंतर्गत ऐसी प्रायोगिक प्रोटोटाइप परियोजनाओं को सहयोग दिया जाता है जो ग्रामीण और कृषि क्षेत्र की आधारभूत सुविधाओं के सतत विकास को बढ़ावा देने में सकारात्मक प्रभाव डालती हों.

3. विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धियां

31 दिसम्बर 2024 तक संचयी स्वीकृति और संवितरण

विवरण स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या आरआईडीएफ राशि स्वीकृत आरआईडीएफ ऋण संवितरित उपयोग
आरआईडीएफ़ 784605 559073.63 437493.15 78%
भारत निर्माण - 18500.00 18500.00 100%
कुल 784605 577573.63 455993.15 79%

आरआईडीएफ I से XXX तक, नाबार्ड ने 31 दिसम्बर 2024 तक राज्य सरकारों को ₹5,59,074 करोड़ रुपये की ऋण सहायता (वेयरहाउसिंग परियोजनाओं के लिए ऋण सहित) सहित कुल 7,84,605 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

इसमें से राशि ₹4,37,493 करोड़ पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, भारत निर्माण के तहत ग्रामीण सड़कों के लिए ₹18,500 करोड़ रुपये स्वीकृत और वितरित किए गए थे। यह कुल ₹5,77,574 करोड़ रुपये की मंजूरी और ₹4,55,993 करोड़ रुपये के कुल संवितरण का अनुवाद करता है।

संचयी मंजूरी में क्षेत्र-वार हिस्सा

31 दिसम्बर 2024 को स्वीकृत क्षेत्रवार संचयी आरआईडीएफ ऋण के लिए जिम्मेदार:

  • कृषि, सिंचाई और संबद्ध क्षेत्र (43%)
  • सामाजिक क्षेत्र (21%)
  • ग्रामीण सड़क और पुल (36%)

31 दिसम्बर 2024 तक आरआईडीएफ के तहत अनुमानित संचयी आर्थिक और सामाजिक लाभ निम्नानुसार थे:

ग्रामीण आधारभूत सुविधा अतिरिक्त लाभ सृजित
सिंचाई क्षमता 454 लाख हेक्टेयर
ग्रामीण पुल 14 लाख मी.
ग्रामीण सड़कें 5.7 लाख किमी.


गैर-आवर्ती रोजगार
सिंचाई 1,49,249 लाख श्रम दिवस
ग्रामीण सड़कें और ग्रामीण पुल 70,921 लाख श्रम दिवस
श्रमदिवस अन्य 92,699 लाख कार्यदिवस

I. आरआईडीएफ परियोजनाओं के लाभ:

आरआईडीएफ़ के माध्यम से ग्रामीण आधारभूत सुविधा के निर्माण में नाबार्ड के समर्थन से कई लाभदायक परिणाम आए. जैसे कि:

  • आरआईडीएफ़ के अंतर्गत मंजूर परियोजनाओं के सक्षम एवं तेज़ क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों को निधियों की प्रतिबद्ध आपूर्ति.
  • राज्य सकारों द्वारा निवेश की गई राशि वाली अधूरी पड़ी परियोजनाओं को वित्तपोषण प्रदान करने से परियोजनाएं पूर्ण हुई एवं इनका पूर्ण लाभ मिला.
  • अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन, गैर आवर्ती रोजगार और नौकरियों के सृजन ने ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि में योगदान दिया है.
  • परियोजनाओं की निगरानी के परिणामस्वरूप अधिकांश परियोजनाओं का क्रियान्वयन समय पर हुआ जिससे समय और लागत की बचत हुई.
  • नाबार्ड द्वारा आरआईडीएफ़ के सहयोग से परियोजनाओं के पूरा होने से बैंकों में ऋण की मांग में वृद्धि हुई है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रियल सेक्टरों के विकास में मदद मिली है.

4. चालू परियोजनाएं और योजनाएं:

खेप-वार और राज्य-वार बंद हो चुकी एवं जारी परियोजनाओं/योजनाओं के खेप-वार और राज्य-वार विवरण अनुबंध I एवं II में दिये गए हैं.

II. दीर्घावधि सिंचाई निधि (एलटीआईएफ़)

  • 18 राज्यों में फैली 99 चिन्हित मध्यम और बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को मिशन मोड में तेजी से पूरा करने के लिए 2016-17 के दौरान नाबार्ड में दीर्घावधि सिंचाई निधि (एलटीआईएफ़) की शुरुआत की गई. इसके पश्चात 04 अन्य परियोजनाओं अर्थात् आन्ध्र प्रदेश में पोलावरम परियोजना, बिहार और झारखंड में उत्तर कोयल परियोजना, पंजाब में सरहिंद और राजस्थान फीडरों की रिलाइनिंग और पंजाब में शाहपुर कंडी बांध को एलटीआईएफ के दायरे में शामिल किया गया.
  • वर्ष 2016-2021 के दौरान नाबार्ड ने भारत सरकार की एसपीवी राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) को केंद्रीय हिस्से के रूप में ऋण प्रदान किया है, साथ ही 15 वर्षों की अवधि के लिए इच्छुक राज्य सरकारों को राज्य के हिस्से के रूप में ऋण प्रदान किया है. अब तक 13 राज्यों ने नाबार्ड से वित्त पोषण सहायता प्राप्त करने के लिए करार ज्ञापन निष्पादित किया है.
  • वर्ष 2021-22 से मात्र 60 चालू एआईबीपी परियोजनाओं के लिए राज्य के हिस्से को पूरा करने की दिशा में और 85 चालू सीएडीडब्ल्यूएम बड़ी /मध्यम सिंचाई परियोजनाएं को (99 सिंचाई परियोजनाओं में से) वित्तपोषण व्यवस्था जारी रखी जा रही है जिनमें भारत सरकार की ब्याज उपादान सहायता केवल 2% तक है. केंद्र के हिस्से के लिए वित्तपोषण आवश्यकताओं को भारत सरकार के बजटीय संसाधनों के माध्यम से पूरा किया जाएगा.
  • 2024-25 के दौरान, राज्य के हिस्से के लिए एलटीआईएफ के तहत कोई ऋण राशि स्वीकृत नहीं की गई है और ₹251.97 करोड़ की ऋण राशि जारी की गई. 31 दिसंबर 2024 तक संचयी मंजूर ऋण राशि रु.85,790.78 करोड़ (केंद्र का हिस्सा- रु.46,495.93 करोड़ और राज्य का हिस्सा- रु.39,294.85 करोड़) और संचयी जारी ऋण राशि रु.61602.89 करोड़ (केंद्र का हिस्सा - रु.26,500.60 करोड़ और राज्य का हिस्सा - रु.35,102.29 करोड़) है.
  • 99 परियोजनाओं में से 58 परियोजनाओं का तीव्रीकृत क्षेत्र लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) घटक और 16 परियोजनाओं का कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडी एंड डब्ल्यूएम) घटक पूरा हो चुका है. 99 सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में 2016-23 के दौरान दी गई वित्तपोषण सहायता ने 34.63 लाख हेक्टेयर की लक्षित सिंचाई क्षमता की तुलना में 25.20 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता के निर्माण की सुविधा प्रदान की है. इसके अतिरिक्त, कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत 21.15 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य कृषि क्षेत्र विकसित किया गया है. (स्रोत-एमओजेएस, भारत सरकार)

तालिका: 31 दिसंबर 2024 तक एलटीआईएफ के तहत निधियों की राज्यवार मंजूरी और जारी की गई राशि का विवरण निम्नानुसार है:

₹ in crore

क्रम सं. राज्य मंजूर ऋण जारी ऋण
केंद्र का हिस्सा राज्य का हिस्सा केंद्र का हिस्सा राज्य का हिस्सा
1 आंध्र प्रदेश 425.07 513.87 91.81 489.34
2 असम 195.04 116.01 7.55 116.01
3 बिहार 240.01 0.00 146.07 0.00
4 छत्तीसगढ़ 165.73 80.07 62.79 0.00
5 गोवा 17.60 209.95 3.84 209.94
6 गुजरात 8158.50 3611.03 5635.45 3611.03
7 जम्मू और कश्मीर 57.34 0.00 46.26 0.00
8 झारखंड 1847.00 1020.44 756.73 768.10
9 कर्नाटक 1837.336 0.00 1183.32 0.00
10 केरल 48.71 0.00 2.69 0.00
11 मध्य प्रदेश 3537.52 2863.18 811.1 1705.02
12 महाराष्ट्र 4627.50 18021.31 1796.79 16121.77
13 मणिपुर 309.86 390.37 228.35 370.02
14 उड़ीसा 1751.81 5614.22 1340.82 4811.8189
15 पंजाब 143.71 0.00 70.50 0.00
16 राजस्थान 1084.668 423.06 509.94 423.06
17 तेलंगाना 3478.826 0.00 673.86 0.00
18 उत्तर प्रदेश 4661.86 6431.34 1553.91 6431.18

उप-कुल 32588.09 39294.85 14921.78 35102.29
19 पोलावरम 11217.71 - 10650.15 -
20 नार्थ कोएल रिज़र्वार 1378.61 - 721.22 -
21 शाहपुरकंदी बांध 485.35 - 207.45 -
22 सिरहिंद फीडर और राजस्थान फीडर का पुनर्लेखन 826.17 - 0.00 -

 सकल कुल 46495.93 39294.85 26500.60 35102.29

III. सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ़)

  • सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ़) की शुरुआत नाबार्ड में वर्ष 2019-20 को रु.5000 करोड़ प्रारम्भिक कॉर्पस के साथ की गई थी. इस निधि का उद्देश्य राज्य सरकारों के सूक्ष्म सिंचाई के दायरे का विस्तार करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-प्रति बूंद, अधिक फसल के प्रावधानों से परे इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में राज्य सरकारों के प्रयासों को सुविधाजनक बनाना था. प्रारंभिक कॉर्पस के लिए एमआईएफ परिचालन हेतु की फंडिंग व्यवस्था 31 जुलाई 2024, तक उपलब्ध थी .
  • मौजूदा वित्तपोषण व्यवस्था के तहत, भारत सरकार की ओर से 3% ब्याज अनुदान के साथ भाग लेने वाली राज्य सरकारों को ऋण दिया गया था।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW), भारत सरकार (GoI) ने सूचित किया है कि 15वें वित्त आयोग की अवधि के लिए सूक्ष्म सिंचाई कोष (MIF) को और ₹5,000 करोड़ (जैसा कि केंद्रीय बजट 2021-22 में घोषित किया गया है) द्वारा जारी रखने और बढ़ाने को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 03 अक्टूबर 2024 को आयोजित अपनी बैठक में मंजूरी दे दी है, जिसमें ब्याज अनुदान को पहले के 3% से संशोधित कर 2% कर दिया गया है। तदनुसार, नाबार्ड के निदेशक मंडल (BoD) ने 12 नवंबर 2024 को आयोजित अपनी 259वीं बैठक में 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान राज्य सरकारों के लिए MIF वित्तपोषण व्यवस्था को बढ़ाने और जारी रखने को मंजूरी दी।
  • 2024-25 के दौरान कोई ऋण राशि स्वीकृत नहीं की गई है और ₹251.68 की ऋण राशि जारी की गई है. 31 दिसंबर 2024 तक संचयी मंजूर ऋण रु.4719.10 करोड़ था और रु.3639.49 करोड़ जारी किए गए है.

तालिका: 31 दिसंबर 2024 तक एमआईएफ के तहत निधियों की राज्यवार मंजूरी और जारी किए गए राशि का विवरण निम्नानुसार है:

(₹ करोड़ में)

क्रम सं. राज्य का नाम मंजूर ऋण जारी ऋण
1 आंध्र प्रदेश 616.13 616.13
2 गुजरात 764.13 641.29
3 तमिलनाडु 1357.93 1357.93
4 हरियाणा 785.30 365.89
5 पंजाब 149.65 32.13
6 उत्तराखंड 14.84 0.58
7 राजस्थान 740.79 465.67
8 कर्नाटक 290.33 159.87

कुल 4719.10 3639.49

एमआईएफ के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा अब तक की गई मंजूरियों में 20.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई कवरेज के विस्तार का लक्ष्य रखा गया है. इसमें से 31 मार्च 2024 तक राज्यों द्वारा 16.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया है (स्रोत-एमओए&एफडब्ल्यू, भारत सरकार).

IV. प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)

  • भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2016 से पीएमएवाई-जी की शुरुआत "2022 तक सभी के लिए आवास" के तहत बिजली, स्वच्छ सुरक्षित पानी, स्वच्छता, एलपीजी जैसी आधारभूत सुविधाओं के साथ एक पक्का घर प्रदान करने के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बेघर और / या जीर्ण आवासों में रहने वाले लोगों के लिए कार्यक्रम शुरू किया. पीएमएवाई-जी के तहत, नाबार्ड ने केंद्र के हिस्से के रूप में आंशिक वित्तपोषण के लिए भारत सरकार की एसपीवी, राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (एनआरआईडीए) को 2017-18 से 2020-21 तक ऋण दिया है. पीएमएवाई-जी के तहत संचयी मंजूरी राशि रु.61,975 करोड़ थी और रु.48,819.03 करोड़ संवितरण किया गया था. पीएमएवाई-जी के तहत नाबार्ड द्वारा जारी ऋण सहायता ने 31 मार्च 2022 तक 1.77 करोड़ घरों के निर्माण की सुविधा प्रदान की है. (स्रोत: ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की वेबसाइट).

V. स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी)

  • सर्वत्र स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने और ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच को समाप्त करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए, नाबार्ड ने 2018-19 और 2019-20 के दौरान भारत सरकार के एसपीवी, राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता और गुणवत्ता केंद्र (एनसीडीडब्ल्यूएस एंड क्यू) को इस योजना के तहत केंद्र के हिस्से के रूप में आंशिक वित्तपोषण के लिए ऋण दिया है. इस योजना के तहत 31 मार्च 2020 तक संचयी मंजूर राशि रु.15,000.00 करोड़ है और संचयी संवितरण रु.12,298.20 करोड़ किया गया है.

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