वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ)

ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, कृषि प्रसंस्करण, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में संधारणीय और न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए, कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में निवेश करने वाले श्रेणी I और II के तहत पेशेवर रूप से प्रबंधित सेबी पंजीकृत वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ) में योगदान करना, समय-समय पर सेबी द्वारा श्रेणी I और II के तहत अनुमोदित निधियों में इक्विटी और वेंचर डेब्ट फंड के रूप में निवेश के लिए एक और महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में पहचाना गया है. ऐसे निवेश नाबार्ड अधिनियम, 1981 की धारा 26 के अंतर्गत आते हैं.

नाबार्ड कृषि, कृषि प्रसंस्करण, कृषि मूल्य शृंखला, ग्रामीण एमएसएमई, जलवायु कार्रवाई और कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एआईएफ में निवेश करेगा. नाबार्ड सेक्टर एग्नॉस्टिक फंड में भी निवेश करेगा.

उद्देश्य

नाबार्ड निम्नलिखित में से एक या अधिक उद्देश्यों वाले वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ) में योगदान देगा:

  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन सहित कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने वाली मौजूदा या नई गतिविधियों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना.
  • ग्रामीण निवासियों द्वारा अनुकरण हेतु आय-उत्पादक टिकाऊ मॉडल इकाइयों के विकास को सुविधाजनक बनाना.
  • कृषि, ग्रामीण विकास और जलवायु कार्रवाई को सहयोग और बढ़ावा देने वाले नवोन्मेषी, उच्च जोखिम वाले, उभरते उद्यमों में निवेश को प्रोत्साहित करना.
  • उन इकाइयों की सहायता करना जो इक्विटी, सेमी-इक्विटी और डेब्ट इंस्ट्रुमेंट सपोर्ट तक पहुंच के अभाव में अपने परिचालन को बढ़ाने में असमर्थ हैं.
  • उन इकाइयों को सहयोग प्रदान करना जो ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के विकास और/ या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगी.
  • नाबार्ड के मौजूदा पुनर्वित्त और सह-वित्त उत्पादों और अन्य विकासात्मक पहलों को पूरक और व्यापक आधार प्रदान करना.

पात्रता

  • एआईएफ को सेबी (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए. उपरोक्त विनियमों की श्रेणी I और II के अंतर्गत वर्गीकृत निधियों पर विचार किया जाएगा;
  • प्रथम समापन की तिथि से निधि की अधिकतम अवधि 10 वर्ष होनी चाहिए;
  • एआईएफ द्वारा समर्थित स्टार्ट-अप इकाइयां/ मौजूदा इकाइयां अधिमानतः नाबार्ड अधिनियम, 1981 में परिभाषित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जाएगी. यदि इकाइयां ऐसे क्षेत्र के बाहर स्थापित की जाती हैं, तो उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं से ग्रामीण क्षेत्रों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलना चाहिए.
  • नाबार्ड ने शर्त रखी है कि अपनी प्रतिबद्धता की राशि का दो गुना (2x) कृषि और ग्रामीण विकास के लाभ के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले उद्यमों में निवेश किया जाना चाहिए. शर्त पूरी न होने की स्थिति में, आईएम निर्धारित निवेश को पूरा करने में कमी पर 15% प्रति वर्ष का जुर्माना देने के लिए बाध्य होगा, जो छमाही आधार पर देय होगा (“2x मानदंड);
  • निवेश उद्देश्य, निवेश फोकस और निवेश पैरामीटर प्रस्तावित निधि के समान या उससे मिलते-जुलते सभी पिछले निधियों ने प्रतिबद्धता अवधि पूरी कर ली होगी या निधि की कम से कम 70% राशि का निवेश कर दिया होगा. निवेश समिति योग्य मामलों में आवश्यकता में छूट देगी.
  • आईएम और/ या प्रायोजक (कुल मिलाकर) कम से कम ₹10 करोड़ या निधि के आकार का 10%, जो भी कम हो, का योगदान देंगे.
  • निवेश प्रबंधक को नाबार्ड को किसी भी अतिरिक्त अंशदान के भुगतान से छूट देनी चाहिए, जिसमें समकारी प्रीमियम या पिछली समाप्ति के बाद निधि में शामिल होने के कारण दिया गया कोई अन्य प्रीमियम शामिल है.
  • अपने पहले या दूसरे सेबी पंजीकृत निधि के लिए प्रतिबद्धता चाहने वाले निवेश प्रबंधकों को नया निधि माना जाएगा. ऐसे निधि के लिए लागू अतिरिक्त शर्तें इस प्रकार हैं:

a) प्रायोजकों के अलावा अन्य योगदानकर्ताओं से प्रस्तावित निधि की कम से कम 25% प्रतिबद्धता जुटाई जानी चाहिए;

निवेश प्रबंधक या निधि प्रबंधन टीम से कम से कम एक प्रमुख प्रबंधन कार्मिक को वर्तमान निधि के प्रथम बंद होने से पहले सेबी पंजीकृत एआईएफ की गतिविधियों के प्रबंधन में 5 वर्ष से अधिक का अनुभव होना चाहिए और उसका अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए. इसके अलावा मुख्य प्रबंधन कार्मिक के पास पूंजी के पूल के प्रबंधन/या वित्तीय बाजारों में निवेश यानी प्रतिभूतियों या अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों की खरीद, बिक्री और लेनदेन में कम से कम 10 साल का अनुभव (वीसी/ एआईएफ में अनुभव सहित) होना चाहिए.

c) प्रथम समापन प्राप्त करना चाहिए;

निधि के एआईएफ ट्रस्ट (ट्रस्ट) / एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की संरचना विभिन्न नियामक और वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप होगी.

प्रस्ताव में निम्नलिखित दस्तावेज शामिल होने चाहिए

  • सेबी पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रति
  • निजी प्लेसमेंट ज्ञापन
  • पिछले कार्य-निष्पादन का विवरण - पूर्ण रूप से बाहर निकलने की स्थिति में निधि द्वारा उत्पन्न आईआरआर; आंशिक निकास के मामले में, अब तक का मौजूदा आईआरआर और अप्रयुक्त पोर्टफोलियो का मूल्यांकन (चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित)
  • अन्य निवेशकों से प्राप्त प्रतिबद्धता पत्रों की प्रतिलिपि
  • अब तक किए गए निवेशों और प्रस्तावित सौदों का विवरण

प्रसंस्करण शुल्क :

निवेश समिति के समक्ष प्रस्ताव रखने से पहले निवेश प्रबंधक को 25 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों के लिए दो लाख पचास हजार रुपये तथा लागू करों की गैर-वापसी योग्य प्रसंस्करण फीस तथा 25 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों के लिए पांच लाख रुपये तथा लागू करों का भुगतान करना होगा.

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