जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के क्योटो प्रोटोकॉल (यूएनएफसीसी) के तहत अनुकूलन निधि (एएफ़) स्थापित की गई थी. अनुकूलन निधि का उद्देश्य ठोस परियोजनाओं और कार्यक्रमों का वित्तपोषण करना है जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल के लिए विकासशील देशों (जो क्योटो प्रोटोकॉल के लिए पक्षकार रहे हैं) में कमजोर समुदायों की मदद करेगा.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, अनुकूलन निधि के लिए राष्ट्रीय नामित प्राधिकारी (एनडीए) है और एनडीए के अनुमोदन के साथ प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाते हैं.
नाबार्ड को जुलाई 2012 में अनुकूलन निधि के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई (एनआईई) के रूप में नियुक्त किया गया है और वह भारत के लिए केवल एक एनआईई है. एनआईई की हैसियत से नाबार्ड अनुकूलन निधि बोर्ड से गैर सरकारी संगठनों, केन्द्रीय / राज्य सरकार के विभागों, अनुसंधान संस्थानों और तकनीकी संस्थानों आदि जैसी पात्र कार्यकारी संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत की गई व्यवहार्य जलवायु अनुकूलन के कार्यान्वयन की परियोजनाओं के लिए अनुकूलन निधि का उपयोग कर सकता है.
अनुकूलन निधि बोर्ड के तहत मंजूर प्रस्ताव